नब्बे हिंदुओं के सामूहिक कन्वर्जन मामले में आरोपित इलाहाबाद एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर आरबी लाल ने गिरफ्तारी से राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। वकील सिद्धार्थ दवे ने चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष मेंशन करते हुए अर्जी पर जल्द सुनवाई की मांग की। दवे ने कहा कि पुलिस उनके पीछे पड़ी हुई है। तब कोर्ट ने आज ही सुनवाई की बात कही।
सुनवाई के दौरान आरबी लाल की ओर से वकील सिद्धार्थ दवे ने कहा कि याचिकाकर्ता का नाम एफआईआर में नहीं है। वे वाइस चांसलर हैं। फतेहपुर में एक एफआईआर दर्ज की गई कि कन्वर्जन किया जा रहा है। याचिकाकर्ता उस समय इलाहाबाद में था। एफआईआर में याचिकाकर्ता का नाम नहीं था। एफआईआर दर्ज होने के आठ महीने बाद याचिकाकर्ता को बुलाया जा रहा है। पुलिस यूनिवर्सिटी में भी छापा मारती है। याचिकाकर्ता के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया जा चुका है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
चीफ जस्टिस ने दवे से पूछा कि क्या आरबी लाल के खिलाफ कोई आरोप है, तब दवे ने कहा कि याचिकाकर्ता का एफआईआर तक में नाम नहीं है। इसके पीछे दो बयान हैं। एक बयान विरोधी कर्मचारी और दूसरा एक छात्र का है जो यौन प्रताड़ना के आरोप में यूनिवर्सिटी से निकाला जा चुका है। उसके बाद कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी करते हुए आरबी लाल को गिरफ्तारी से सुरक्षा देने का आदेश दिया।
आज सुबह याचिकाकर्ता की ओर से वकील सिद्धार्थ दवे ने चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष मेंशन करते हुए अर्जी पर जल्द सुनवाई की मांग की थी। दवे ने कहा था कि पुलिस उनके पीछे पड़ी हुई है। तब कोर्ट ने आज ही सुनवाई का आदेश दिया था।
इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया था। हाईकोर्ट का कहना था कि ये समाज के बड़े तबके के हितों से जुड़ा मसला है। जांच एजेंसी ने कन्वर्जन के आरोप को साबित करने के लिए सबूत रखे हैं। आरोप बेहद संजीदा है और कोर्ट इन्हें हल्के में नहीं ले सकता। आरबी लाल ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
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