उमेश पाल की हत्या के बाद बुलडोजर की कार्रवाई लगातार जारी है. अतीक अहमद गैंग के माशूक प्रधान का आलीशान मकान आज ध्वस्त कर दिया गया है. इसके साथ ही राजू पाल हत्याकांड के अभियुक्त कवि अहमद एवं अन्य अभियुक्तों का मकान भी गिराया जाएगा. गत बृहस्पतिवार को प्रयागराज जनपद के धूमनगंज थाना अंतर्गत सफदर अली के मकान को गिराया गया.
पुलिस ने अपनी जांच में पाया था कि उमेश पाल की हत्या में शामिल शूटर, सफदर अली के इस मकान में रात में ठहरे हुए थे. सफदर अली का मकान चकिया मोहल्ले में बना हुआ था. पुलिस ने जब घर खाली कराना शुरू किया तब घर के सदस्यों विरोध किया. सफदर के घर के सदस्य घर के अंदर से निकलने को तैयार नहीं हो रहे थे. पुलिस ने बलपूर्वक सभी को बाहर निकाल दिया. उसके बाद मकान को ध्वस्त कर दिया था. बुधवार को जफर अहमद के घर पर बुलडोजर चलाया गया था. पुलिस ने जफर अहमद के घर से दो राइफल एवं आधी कटी हुई तलवार बरामद किया था. कुछ महीने पहले अतीक अहमद का घर जब ध्वस्त कर दिया गया था. उसके बाद से अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन और उनके दो बेटे जफर अहमद के इसी मकान में रह रहे थे.
बता दें कि उमेश पाल की हत्या के बाद अभियुक्तों के घर पर बुलडोजर चलाने की कार्रवाई शुरू हो चुकी है. करीब 40 ऐसे अभियुक्तों का घर चिन्हित किया गया है. इन सभी के घरों पर प्रयागराज विकास प्राधिकरण का बुलडोजर चलाया जाएगा.
बता दें कि गत 24 फरवरी को प्रयागराज जनपद के धूमनगंज थाना अंतर्गत उमेश पाल को घर के सामने गोली मार कर हत्या कर दी गई. उमेश पाल, बसपा विधायक राजू पाल हत्याकांड का मुख्य गवाह है. इस हमले में दोनों गनर के भी मृत्यु हो गई.
बता दें कि राजू पाल की हत्या के मुकदमे की सुनवाई काफी तीव्र गति से चल रही है. इसी दौरान उमेश पाल पर आज हमला हो गया. वर्ष 2005 में जब विधायक राजू पाल की हत्या के मुकदमे की सुनवाई शुरू हुई तो सभी गवाह पक्षद्रोही हो गए थे. जिस समय मुकदमे की सुनवाई हो रही थी. उस समय सपा का शासनकाल था. उसके बाद राजू पाल की पत्नी पूजा पाल ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी कि सपा के शासनकाल में अभियुक्तगण अत्यंत प्रभावी हैं इसलिए ट्रायल पर रोक लगा दी जाय. उच्च न्यायालय ने ट्रायल पर रोक लगा दी थी. जैसे ही बसपा की सरकार वर्ष 2007 में बनी. अतीक अहमद और उसके भाई के खिलाफ मुक़दमे दर्ज किये गए. राजू पाल हत्याकांड के गवाह जो कोर्ट में मुकर गए थे, उन सब ने थाने में एफआईआर लिखवाया कि उनका अपहरण कर लिया गया था और यह कहा गया था कि कोर्ट में अगर नहीं मुकरोगे तो जान से मार दिए जाओगे, इसलिए जान के डर से कोर्ट में बयान से मुकरना पड़ा था, राजू पाल हत्याकांड के गवाह उमेश पाल समेत अयं कई लोगों ने अपहरण का मुकदमा दर्ज कराया. एक साल फरार रहने के बाद वर्ष 2008 में दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार होकर अतीक अहमद को प्रयागराज लाया गया.
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