उत्तराखंड में सबसे ज्यादा क्राइम वाला क्षेत्र है बनभूलपुरा
July 13, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत उत्तराखंड

उत्तराखंड में सबसे ज्यादा क्राइम वाला क्षेत्र है बनभूलपुरा

वन, रेलवे और पुलिस-प्रशासन के लिए हमेशा बड़ा सिर दर्द रहा है यह क्षेत्र

by उत्तराखंड ब्यूरो
Jan 6, 2023, 09:50 am IST
in उत्तराखंड
बनभूलपुरा

बनभूलपुरा

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर कथित रूप से बसा बनभूलपुरा क्षेत्र के बारे में लगातार सुर्खियां छाई हुई हैं और अवैध अतिक्रमण को लेकर सवाल उठ रहे हैं, यहां के बारे में एक और जानकारी ये भी है कि ये इलाका उत्तराखंड में सबसे ज्यादा अपराधिक क्षेत्र वाला माना जाता है, जहां अपराधी पनाह लेते हैं।

हाईकोर्ट ने यहां काबिज 4365 मकानों में बसे करीब पंद्रह हजार लोगों को हटाने के आदेश दिए थे, इस आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने “स्टे” दे दिया है, अब इस मामले की सुनवाई सर्वोच्च अदालत में फरवरी माह में शुरू होगी। रेल पटरी के इर्द गिर्द पंद्रह मीटर दायरे में बसे लोगों को रेलवे अपनी जमीन बता चुका है, जबकि कब्जेदर कहते हैं कि ये उनके बाप-दादा की जमीन है। जमीन के मालिकाना हक की लड़ाई अब उच्चतम न्यायालय में लड़ी जानी है। राजनीतिक तौर पर कहा जा रहा है कि यहां 50 हजार लोगों को हटाया जा रहा है, जबकि यहां से सवा चार हजार छोटे-छोटे झोपड़ी नुमा कुछ पक्के मकानों को ही हाई कोर्ट ने रेलवे की जमीन पर अवैध कब्जा माना था और इसकी पैमाईश करीब 29 एकड़ निकली हुई थी। ये वो जमीन है जो रेलवे स्टेशन से सटी हुई है और रेलवे यहां अपने स्टेशन का विस्तार करना चाहता है।

रेलवे ने अपनी लाइन से पंद्रह मीटर तक सीमांकन करते हुए करीब दो किमी तक अपने खंबे लगाए जिसके बाद से बनभूलपुरा क्षेत्र में बवाल उठना शुरू हुआ और उस सीमांकन में हिंदू और मुसलमान दोनों के घर आ गए और सोशल मीडिया पर प्रचार ये किया गया कि केवल मुस्लिम आबादी को हटाया जा रहा है। बनभूलपुरा कैसे बसा, कौन लोग यहां रहते है? इस पर भी चर्चा छिड़ी हुई है।

हल्द्वानी स्टेशन के दूसरी तरफ रेलवे पटरी के उस पार गौला नदी बहती है, जिसमें से रेता, बजरी, पत्थर का चुगान होता है। अंग्रेजी शासन काल से लेकर सत्तर के दशक तक रेलवे अपनी नई पुरानी परियोजनाओं के लिए पत्थर तुड़वाकर गिट्टी इस नदी से लेता रहा था, यहां जो ठेकेदार पत्थर तोड़ने का ठेका लेते थे वो रामपुर, मुरादाबाद, स्वार इलाकों से सैकड़ों की संख्या में मुस्लिम मजदूर लेकर आए और वे पत्थर तोड़कर माल गाड़ी में गिट्टी भरवाते थे। यह मजदूर यहीं रेल पटरी किनारे झोपड़ी डालकर बैठ गए, उस वक्त रेलवे ने भी इन्हें नहीं रोका क्योंकि ये रेलवे के लिए ही गिट्टी तोड़ रहे थे। सालों से ये अपना काम करते रहे, इनके बच्चे भी यहीं हुए और वो भी इस काम के साथ-साथ गोला नदी से रेता बजरी चुराकर घोड़ा बुग्गी से ढोकर शहर में बिक्री का धंधा करने लगे, धीरे-धीरे इनकी झोपड़ियां पक्के स्वरूप में तब्दील होती गईं। अब रेलवे को होश आया कि ये तो हमारी जमीन पर बसे हुए अतिक्रमणकारी हैं।

रेता बजरी की चोरी-
बनभूलपुरा वो इलाका है जहां रेलवे की पटरी के किनारे वो घोड़ा बुग्गी वाले रहते हैं, जो रात दिन गौला नदी में अवैध खनन कर उत्तराखंड के वन विभाग को राजस्व आय को नुकसान पहुंचाते रहे हैं। इनकी संख्या एक-दो नहीं हजारों में है। उन्हीं में कुछ लोग अब रेता बजरी चोरी करके डंपर और कुछ तो जेसीबी मालिक बन बैठे हैं। यहां गौला नदी से चोरी का माल निकालने वाले ही अपना गैंग बनाते हैं और कई बार यहां गैंग वार भी हुई है। गौला नदी से रेता बजरी चोरी करने वालों को वन विभाग या पुलिस विभाग भी पकड़ नहीं पाता और यदि कोई हाथ लग भी गया तो उनके राजनीतिक आका उन्हें छुड़ा ले जाते रहे हैं। रेलवे पटरी किनारे ढोलक बस्ती, गफूर बस्ती, नई बस्ती और इंद्रा नगर बनभूलपुरा क्षेत्र के वो मोहल्ले हैं, जिन्हें भूल भुलैया भी कहा जाता है। इस इलाके में जाने से पुलिसकर्मी भी कतराते हैं, हिम्मत वाले और बलिष्ठ पुलिस कर्मियों की यहां तैनाती की जाती है।

नशे का कारोबार
बनभूलपुरा वो इलाका है, जहां राज्य का सबसे ज्यादा नशे का कारोबार होता है। बरेली से आने वाले स्मैक तस्कर यहां डेरा डालते रहे हैं। ट्रेन और बाइक पर आने वाले ड्रग के कैरियर यहां डिलीवरी देते हैं। चरस, गांजा की खरीद फरोख्त का धंधा यहां बरसों से चलता रहा है।

लकड़ी की तस्करी
लंबे समय से बनभूलपुरा चोरी की इमारती लकड़ी के लिए मशहूर रहा है। गौला नदी के पार जंगल से पेड़ों को काटकर, इमारती लकड़ी को घोड़ों पर लादकर यहां बनभूलपुरा क्षेत्र में छुपाया जाता था। यहां रहने वाले करीब तीन सौ से ज्यादा बढ़ई इस चोरी की लकड़ी को रातोंरात चीर कर उनका साइज बनाकर उसे ठिकाने लगा देते रहे हैं। वन विभाग भी चोरी हुई लकड़ी को अपना नहीं बता पाता है। हल्द्वानी और आसपास जितने मकान रोज बनते हैं, उसमें लगने वाली लकड़ी का दस प्रतिशत भी वन निगम से नहीं खरीदा जाता और सभी जगह चोरी की लकड़ी का माल खपाया जाता है।

चोर लुटेरों का अड्डा है बनभूलपुरा
यूपी, बिहार से लेकर कई अन्य राज्यों के चोर लुटेरे इस इलाके में आकर छिपते रहे हैं। उत्तराखंड के कुमायूं मंडल में यदि कोई चोरी लूट की वारदात होती है तो पुलिस सबसे पहले अपराधी को यहां खोजती है। उत्तराखंड पुलिस के हर शहर की कोतवाली और थाना क्षेत्र की फोटो डायरी में और अब कंप्यूटर रिकॉर्ड में बनभूलपुरा इलाके के अपराधियों के फोटो और रिकार्ड मिलेंगे। ट्रेन में, शहरों में, ट्रेन में मोबाइल, पर्स, बैग, कुंडल, गले की चेन, छीना-झपटी करने वालों के आश्रय स्थल के रूप में ये बनभूलपुरा क्षेत्र जाना जाता है।

अराजकता और अपराधियों का गढ़
हल्द्वानी में जितने भी बदमाश पनपे वो बनभूलपुरा इलाके में पनपे और इन सभी का यहां के छोटे-छोटे अपराधियों को संरक्षण देने में भूमिका रही। कुछ तो बाद में यहां के पार्षद बन गए। निसंदेह इन पर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का संरक्षण इसलिए भी रहा कि यहां मुस्लिम आबादी थी जो कि बीजेपी को वोट नहीं देती थी। कांग्रेस और समाजवादी इसी बात का डर उन्हें दिखाती रही है कि बीजेपी आएगी तो बनभूलपुरा को उजाड़ देगी। यहां के छोटे से बड़े अपराधियों को इन्हीं दिनों पार्टियों का संरक्षण मिलता रहा है और यही वजह है कि वोट बैंक की राजनीति की वजह से इन्हीं दोनों दलों के नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में रेलवे अतिक्रमण मुद्दे को खुद जाकर पैरवी की है।

हल्द्वानी आईएसबीटी निर्माण पर रोक की वजह है बनभूलपुरा बस्ती
कांग्रेस शासन काल में गौला नदी पार स्टेडियम के पास करीब 25 करोड़ की लागत से आईएसबीटी बनाया जाना था। वन विभाग से जमीन ट्रांसफर हो गई। बीजेपी सरकार आई तो स्थानीय लोगों ने इस आईएसबीटी का विरोध किया, इसके पीछे बड़ी वजह ये थी कि हिंदू समाज के लोगों को बस पकड़ने के लिए बनभूलपुरा बस्ती से होकर गुजरना पड़ेगा क्योंकि कोई और रास्ता नहीं था या फिर लोगों को काठगोदाम अथवा तीनपानी से आना पड़ता, जिसमें समय और पैसा लगता। बनभूलपुरा में अपराधी दिन रात सक्रिय रहते हैं इस इलाके में तो स्थानीय मुस्लिम महिलाएं तक बेपर्दा होकर निकलने में असहज रहती हैं और हिंदू महिलाओं को यहां जाना असुरक्षा महसूस कराता था इसलिए बीजेपी सरकार ने जन भावना को देखते हुए आईएसबीटी पर काम रुकवा दिया। कांग्रेस ने तिकोनिया से एक फ्लाई ओवर आईएसबीटी तक बनाने की योजना पूर्व में बनाई थी, किंतु उसमें आर्मी प्रशासन ने अडंगा लगा दिया।

रेलवे स्टेशन तक जाना मुश्किल
हल्द्वानी रेलवे स्टेशन तक पहुंचने के लिए स्थानीय लोगों को ढोलक गफूर बस्ती से होकर गुजरना पड़ता था। रिक्शा से पीछे से उठाईगीर सामान निकाल कर भाग जाते हैं, स्टेशन परिसर में इन्हीं उठाईगिरों को पुलिस दौड़ाती रहती है। स्टेशन के बाहर यात्रियों के साथ जो व्यवहार होता है वो बयान करने लायक नहीं है।
कुल मिलाकर रेलवे अतिक्रमण का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में है, बेशक इसका मानवीय पक्ष भी है, लेकिन इसके दूसरे पक्ष को भी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता, जो कि अब हल्द्वानी के लिए नासूर बन चुका है।

Topics: बनभूलपुराBanbhulpura crime areaउत्तराखंड का बनभूलपुराBanbhulpura caseबनभूलपुरा का सचBanbhulpura of Haldwaniबनभूलपुरा में अपराधीबनभूलपुरा अपराध क्षेत्रबनभूलपुरा मामलाहल्द्वानी का बनभूलपुराBanbhulpuraBanbhulpura of Uttarakhandहल्द्वानी समाचारTruth of BanbhulpuraHaldwani NewsCriminal in Banbhulpura
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Uttarakhand rape

हल्द्वानी में 8 साल की बच्ची से दुष्कर्म, ट्यूशन टीचर के बेटे ने की दरिंदगी, गिरफ्तार

Uttarakhand communal violence

उत्तराखंड: बनभूलपुरा में सांप्रदायिक तनाव,  पथराव के बाद भारी फोर्स तैनात

डेमोग्राफी चेंज : हल्द्वानी में बसी अवैध मुस्लिम बस्ती, प्रशासन ने की ध्वस्तीकरण की कार्रवाई

प्रतीकात्मक चित्र

उत्तराखंड : डिटर्जेंट पाउडर मिलाकर जूस के पाउच बनाता था मोहम्मद राशिद

प्रतीकात्मक तस्वीर

उत्तराखंड : शाहिद ने नाम बदल कर नाबालिग हिंदू लड़की को फंसाया,पोल खुली, रिपोर्ट दर्ज

उत्तराखंड : चार साहिबजादे हमारे सनातन धर्म के रक्षक – सीएम धामी

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

RSS का शताब्दी वर्ष : संघ विकास यात्रा में 5 जनसंपर्क अभियानों की गाथा

Donald Trump

Tariff war: अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है टैरिफ युद्ध

कपिल शर्मा को आतंकी पन्नू की धमकी, कहा- ‘अपना पैसा वापस ले जाओ’

देश और समाज के खिलाफ गहरी साजिश है कन्वर्जन : सीएम योगी

जिन्होंने बसाया उन्हीं के लिए नासूर बने अप्रवासी मुस्लिम : अमेरिका में समलैंगिक काउंसिल वुमन का छलका दर्द

कार्यक्रम में अतिथियों के साथ कहानीकार

‘पारिवारिक संगठन एवं विघटन के परिणाम का दर्शन करवाने वाला ग्रंथ है महाभारत’

नहीं हुआ कोई बलात्कार : IIM जोका पीड़िता के पिता ने किया रेप के आरोपों से इनकार, कहा- ‘बेटी ठीक, वह आराम कर रही है’

जगदीश टाइटलर (फाइल फोटो)

1984 दंगे : टाइटलर के खिलाफ गवाही दर्ज, गवाह ने कहा- ‘उसके उकसावे पर भीड़ ने गुरुद्वारा जलाया, 3 सिखों को मार डाला’

नेशनल हेराल्ड घोटाले में शिकंजा कस रहा सोनिया-राहुल पर

‘कांग्रेस ने दानदाताओं से की धोखाधड़ी’ : नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी का बड़ा खुलासा

700 साल पहले इब्न बतूता को मिला मुस्लिम जोगी

700 साल पहले ‘मंदिर’ में पहचान छिपाकर रहने वाला ‘मुस्लिम जोगी’ और इब्न बतूता

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies