भारतीय सांस्कृतिक चिंतन ही समाधान
July 24, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

भारतीय सांस्कृतिक चिंतन ही समाधान

कोविड की पिछली तबाही में भारत के इस सांस्कृतिक चिंतन का पक्ष दुनिया ने देखा था

by हितेश शंकर
Dec 27, 2022, 12:08 pm IST
in भारत, सम्पादकीय
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

भारत के इस सांस्कृतिक चिंतन का पक्ष दुनिया ने देखा था। बड़े-बड़े समृद्ध देशों में लोगों की मौतें हुईं परंतु भारत में गरीबों को भी टीका मिला जो दुनिया में कभी कोई सोच नहीं सकता। इतना ही नहीं, दुनिया के और जो गरीब देश थे, उनके लिए भी भारत ने टीके की व्यवस्था की, तमाम अन्य सहयोग दिए। यह जो भारतीय चिंतन है, यही भविष्य की पूंजी है। हमें एक वायरस से नहीं लड़ना, हमें उन सभी वायरस से लड़ना है जो मानवता के लिए खतरा हैं।

येरूशलम में हिब्रू विश्वविद्यालय में इतिहास के प्रोफेसर युवाल नोवा हरारी की मानव के मानव बनने की कहानी बताने वाली पुस्तक ‘सेपिएंस’ ने एक बौद्धिक बहस, या यूं कहें कि एक लहर पैदा की है। सेपिएंस में वे बड़ी बारीकी से मानव जाति के विकास और सामाजिक विमर्शों को रेखांकित करते हैं। उसे दार्शनिक पहलू पर भी ले जाते हैं और उसकी तुलनाएं भी सामने रखते हैं। अगर हम सेपिएंस का संदर्भ लें तो वे मानव जाति के विकास क्रम में अलग-अलग बातें बताते हैं। जैसे निएंडरथल था, इसके बाद सेपिएंस आए। वे कहते हैं कि निएंडरथल के सामने सेपिएंस बल में कुछ भी नहीं था और वह चाहता तो उसे मसल कर रख देता। मगर सेपिएंस के पास बुद्धि थी, कौशल था, कल्पनाएं थीं, और बुद्धिमत्ता थी। निएंडरथल के पास शक्ति थी। तो मानव के विकास की कहानी शक्ति और समझ के बीच में संतुलन साध के कदम-दर-कदम बढ़ने की कहानी है।

युवाल नोवा हरारी ने जो बात कही, आज के संदर्भ में उसके गहरे अर्थ हैं। आज एक छोटा-सा वायरस इस पूरे विकास क्रम पर प्रश्नचिह्न लगा रहा है कि हमारी ये यात्रा कितनी लंबी होगी और हमारी चिंताएं साझी हो गई हैं। इस समय उन बातों को समझने की, पलट कर देखने की जरूरत है। सवाल ये है कि सेपिएंस निएंडरथल से ज्यादा समझदार था, तो दूसरे का अस्तित्व खत्म हो गया होगा, परंतु अपने अस्तित्व के लिए अगर उसने खतरा पैदा कर लिया है तो उसके लिए वह कितना जागरूक है? अब कोविड की जो नई चेतावनियां हैं, चीन की जो हालत है, उससे लग रहा है कि सभी के लिए मिल-बैठ कर सोचने का वक्त आ गया है। और यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि पहली दो थर्राहटों से हम चेते नहीं हैं।

आपकी जो वास्तव में चिंताएं हैं, आप अब तक उनको समझ ही नहीं पाए हैं। और मानवता की साझी चिंताएं क्या हो सकती हैं? एक तो इस वायरस से सामूहिकता से लड़ना। दूसरा, समाजों में और जो वायरस पैदा हो गए हैं, उनको बढ़ावा देने से बाज आना। जो शक्ति के बूते समझते हैं कि खास तरह की लामबंदियां करके दुनिया को घुटनों पर लाया जा सकता है या चौधराहट रखी जा सकती है, वे गलत हैं। वे निएंडरथल की तरह ही खत्म हो जाएंगे। परंतु सेपिएंस के तौर पर कौन बचेगा? वह समझ कौन सी है?

समझने वाली बात यह भी है कि पहले जब मानवता के लिए आपदा आती थी, तो बहुत मुनादी करते हुए आती थी। विश्वयुद्धों के नामकरण होते थे- प्रथम विश्वयुद्ध, द्वितीय विश्वयुद्ध, मित्र राष्ट्र, धुरी राष्ट्र। हम उनके मंसूबे, एजेंडे, लामबंदियां देख पाते थे। मगर अब प्रथम, द्वितीय और जो कहा जा रहा था कि तृतीय विश्वयुद्ध पानी के कारण होगा, उससे पहले ही यह आ गया कि तीसरा नहीं, प्रथम या द्वितीय वेब या लहर ही आपको खत्म कर देगी।आपको सोचने-समझने का मौका भी नहीं मिलेगा। एकाएक लगता है कि बहुत समझदारी की बातें हैं, उन तक भी पहुंचने का सफर मानवता तय करेगी या नहीं, जैसे क्या पानी के लिए तीसरा विश्वयुद्ध होगा?

प्रो. सैम्युअल पी. हैटिंगटन के सभ्यताओं का संघर्ष के सिद्धांत से लगता था कि यह शायद सामाजिक विमर्श को चिह्नित करने वाली है, जो सही खतरे के बारे में बता रही है। परंतु अब लग रहा है कि यह जो वायरस है, उसने यह प्रश्न किया है कि आपकी जो वास्तव में चिंताएं हैं, आप अब तक उनको समझ ही नहीं पाए हैं। और मानवता की साझी चिंताएं क्या हो सकती हैं? एक तो इस वायरस से सामूहिकता से लड़ना। दूसरा, समाजों में और जो वायरस पैदा हो गए हैं, उनको बढ़ावा देने से बाज आना। जो शक्ति के बूते समझते हैं कि खास तरह की लामबंदियां करके दुनिया को घुटनों पर लाया जा सकता है या चौधराहट रखी जा सकती है, वे गलत हैं। वे निएंडरथल की तरह ही खत्म हो जाएंगे। परंतु सेपिएंस के तौर पर कौन बचेगा? वह समझ कौन सी है?

सेपिएंस की जो समझ है, उसे व्यक्तिगत हित तक रखेंगे तो खत्म हो जाएंगे। परंतु इन सबके बीच अगर तालमेल का सूत्र पकड़कर सामूहिकता से साथ चलें तो इस लहर को भी और संकटों की हर लहर को पार कर जाएंगे। समझ की यह कड़ी भारतीय चिंतन से जुड़ती है जिसमें जो कमजोर है, उन्हें भी संभालना है और शक्ति है तो वह संभालने के लिए है, दादागीरी के लिए नहीं। और वह सैन्य आधार पर अपना विस्तार नहीं करती, सांस्कृतिक आधार पर विस्तार करती है। और, सांस्कृतिक आधार का मतलब मूर्ति, पत्थर, वास्तुकला ये ही नहीं है। वह मानवता को दोनों हाथों से सहेजते हुए चलती है और उसके लिए मन में करुणा पैदा करती है।

कोविड की पिछली तबाही में भारत के इस सांस्कृतिक चिंतन का पक्ष दुनिया ने देखा था। बड़े-बड़े समृद्ध देशों में लोगों की मौतें हुईं परंतु भारत में गरीबों को भी
टीका मिला जो दुनिया में कभी कोई सोच नहीं सकता। इतना ही नहीं, दुनिया के और जो गरीब देश थे, उनके लिए भी भारत ने टीके की व्यवस्था की, तमाम अन्य सहयोग दिए। यह जो भारतीय चिंतन है, यही भविष्य की पूंजी है। हमें एक वायरस से नहीं लड़ना, हमें उन सभी वायरस से लड़ना है जो मानवता के लिए खतरा हैं। चाहे वह दानवाधिकारों की पैरवी हो, चाहे कट्टरता हो, चाहे शक्ति के बूते सब पर हनक जमाने की बात हो, इन सभी को खत्म करके साझी वैश्विक चिंताओं पर विचार करने की दस्तक है, यह वायरस नहीं है। इस समय भारतीय चिंतन ही पथ-प्रदर्शन करेगा।

@hiteshshankar

हितेश शंकर
Editor at Panchjanya |  + postsBio ⮌

हितेश शंकर पत्रकारिता का जाना-पहचाना नाम, वर्तमान में पाञ्चजन्य के सम्पादक

  • हितेश शंकर
    https://panchjanya.com/author/hitesh-shankar/
    ‘गोपालगंज की चुप्पी’… बांग्लादेश की आत्मा पर चली गोलियां
  • हितेश शंकर
    https://panchjanya.com/author/hitesh-shankar/
    विरोधजीवी संगठनों का भ्रमजाल
  • हितेश शंकर
    https://panchjanya.com/author/hitesh-shankar/
    देश की एकता और अखंडता के लिए काम करता है संघ : अरविंद नेताम
Topics: Fighting VirusThreat to Humanityसंतुलन साधकदम-दर-कदम बढ़ने की कहानीद्वितीय विश्वयुद्धभारत में गरीबकोविड की तबाहीप्रथम विश्वयुद्धIndian cultural thinking is the only solution First World WarSecond World WarIndia Cultural Thought
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

द्वितीय विश्व युद्ध में भारतीय बलिदानियों की याद में इटली ने बनाया स्मारक, 5,782 सैनिकों ने दिया था सर्वोच्च बलिदान

सुभाष चंद्र बोस

इतिहास : स्वाधीनता संग्राम के सेनापति

सावरकर का कथित माफीनामा राष्ट्रविरोधी तत्वों की मृगतृष्णा

स्व-गौरव का भान जगाएगा भारत का स्वाभिमान

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

संत चिन्मय ब्रह्मचारी को बांग्लादेश में किया गया है गिरफ्तार

हिंदू संत चिन्मय ब्रह्मचारी को नहीं मिली जमानत, 8 महीने से हैं बांग्लादेश की जेल में

आरोपी मोहम्मद कासिम

मेरठ: हिंदू बताकर शिव मंदिर में बना पुजारी, असल में निकला मौलवी का बेटा मोहम्मद कासिम; हुआ गिरफ्तार

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटिश पीएम कीर स्टार्मर

India UK FTA: भारत-ब्रिटेन ने मुक्त व्यापार समझौते पर किए हस्ताक्षर, जानिये इस डील की बड़ी बातें

बांग्लादेश के पूर्व चीफ जस्टिस खैरुल हक।

बांग्लादेश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एबीएम खैरुल हक गिरफ्तार, शेख हसीना के थे करीबी

एक चार्जर से कई फोन चार्ज करना पड़ सकता है महंगा, जानिए इससे होने वाले नुकसान

5 वक्त की नमाज, जाकिर नाइक के VIDEO; जिहादी साहित्य- बहनों ने बताई कन्वर्जन की दास्तां; “केरल फाइल्स” से भी है खौफनाक

PM Kisan Yojana

PM Kisan Yojana: 20वीं किस्त कब मिलेगी? तुरंत करें ये काम वरना रुक जाएगा पैसा

सिनेमाघरों में छाई ‘Saiyaara’: यूपी पुलिस का फिल्मी अलर्ट, दिल दें, OTP नहीं- वरना अकाउंट हो जाएगा खाली!

Maulana chhangur Inspector Siddqui Suspended

गाजियाबाद: छांगुर गैंग के साथ साठगांठ, क्राइम ब्रांच इंस्पेक्टर अब्दुल रहमान सिद्दीकी सस्पेंड

ग्राफिक- शशि मोहन रावत

5 सवाल? आखिर कैसे मौलाना छांगुर हिंदुओं के कन्वर्जन में सफल हुआ- कौन थे मददगार

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • जीवनशैली
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies