भारत की बढ़ती वैश्विक पहचान और सफल कूटनीति की वजह से विश्व राजनीति में भारत का महत्व दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। पहले भी कई मौकों पर भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता को लेकर अनेक देश प्रस्ताव रख चुके हैं। इनमें विश्व के कई प्रमुख देश भी शामिल हैं। रूस भी इस बारे में ‘मित्र’ भारत के समर्थन खड़ा रहा है। अब एक बार फिर रूस के विदेश मंत्री ने स्पष्ट कहा है कि भारत की एशिया पर मजबूत पकड़ को देखते हुए इसे सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता दी जानी चाहिए।
रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने भारत को संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनाने के बारे में गत दिनों मॉस्को में बयान दिया था। अभी पिछले सप्ताह रूस की राजधानी में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन हुआ था। इसी सम्मेलन में लावरोव ने कहा था कि भारत ने दुनिया के प्रमुख मुद्दों पर अपना स्पष्ट मत रखा है जिससे परिषद का मोल बढ़ा है। इस स्थिति में भारत को सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य क्यों नहीं बनाना चाहिए!
उल्लेखनीय है कि 2021 से भारत सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता करता आ रहा है। यह अध्यक्षता इसी दिसम्बर माह में खत्म होने जा रही है। इसे देखते हुए ऐसा होने से ठीक पहले रूस के विदेश मंत्री का यह बयान आना एक खास महत्व रखता है। उनका यह कहना कि भारत परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए प्रबल दावेदार है, यह भारत की संभावनाओं को और पुख्ता करता है।
सम्मेलन में लावरोव ने कहा कि उनके हिसाब से भारत आर्थिक प्रगति के मामले में दुनिया के शीर्ष देशों में से एक है। कुछ वक्त बाद भारत की जनसंख्या दुनिया में सबसे ज्यादा होगी। लावरोव ने इस मौके पर भारत की विदेश नीति की जमकर तारीफ भी की। इस संबंध में उन्होंने कहा कि भारत के पास कई तरह की चुनौतियों से निपटने का एक कूटनीतिक अनुभव है। एशिया पर भी भारत का मजबूत पकड़ है। यह बात सुरक्षा परिषद के लिए भारत की दावेदारी को और भी दमदारी से सामने रखती है।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत सिर्फ संयुक्त राष्ट्र संघ में ही नहीं अपितु अनेक क्षेत्रीय संगठनों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। लावरोव के शब्दों में कहें तो, भारत एक बहुध्रुवीय विश्व बनाने की इच्छा रखने तक सीमित नहीं रहा है, यह उस दुनिया का एक महत्वपूर्ण स्तंभ भी बनने जा रहा है। शंघाई सहयोग संगठन में भारत की भूमिका को कौन नहीं जानता!
गत नवंबर माह में फ्रांस तथा ब्रिटेन ने भी भारत को सुरक्षा परिषद स्थायी सदस्य बनाने की बात कही थी। फ्रांस की प्रतिनिधि ने संयुक्त राष्ट्र में अपने वक्तव्य में कहा था कि अब समय आ गया है जब उभरते दमदार देशों की दुनिया की सबसे ताकतवर संगठन में भारत की हिस्सेदारी और बढ़े। 2021 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब अमेरिका गए थे तब वहां के राष्ट्रपति जो बाइ़डेन ने भी सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता की दावेदारी की पैरवी की थी।
दरअसल भारत एक लंबे समय से सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने के लिए प्रयासरत है। लेकिन चीन भारत के आगे हमेशा अवरोध पैदा करता आ रहा है। चीन को छोड़ दें तो फ्रांस, अमेरिका, रूस तथा ब्रिटेन भारत को सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य बनाने पर अपनी हामी भर चुके हैं, लेकिन चीन ने हर बार कोई न कोई बहाना बनाकर भारत की स्थायी सदस्यता का विरोध ही किया है।
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