दिल्ली विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह के उपलक्ष्य पर “मीडिया एवं जवाबदेही” विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में वरिष्ठ पत्रकार स्वर्गीय के. आर. मलकानी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर वक्ताओं ने चर्चा की।
इन दिनों दिल्ली विश्वविद्यालय अपने शताब्दी समारोह का आयोजन कर रहा है। इसमें विभिन्न क्षेत्रों में अग्रणी भूमिका निभाने वाले लोगों एवं समाज में उनके योगदान को याद करते हुए विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों को समाहित कर रहा है। इसी क्रम में “मीडिया एवं जवाबदेही” विषय पर एक संगोष्ठी 11 नवंबर को दिल्ली विश्वविद्याल के कनवेंशन हॉल में आयोजित की गई। संगोष्ठी दो सत्रों में संपन्न हुई।
संगोष्ठी का उद्घाटन दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह के उद्बोधन से हुआ। कुलपति ने कहा कि श्री मलकानी जी चार दशक तक पत्रकारिता में रहे। वे पहले ऐसे पत्रकार थे, जिन्हें आपातकाल में सबसे पहले जेल हुई एवं सबसे बाद में रिहाई। प्रो. योगेश सिंह ने आगे कहा कि इस संगोष्ठी के माध्यम से छात्रों को मलकानी जी के जीवन में भाषाई पहलू को गहराई से समझना चाहिए साथ ही साथ एक पत्रकार की देश के प्रति क्या जिम्मेदारियां होती हैं, इसको भी बेहतर रूप से समझना चाहिए। पत्रकारिता के छात्रों को बिना किसी दबाव में आए पत्रकारिता करने की सीख लेनी चाहिए और लोकतांत्रिक ढांचे को मजूबत करने में योगदान देना चाहिए।
मुख्य अतिथि श्री राजकुमार भाटिया (सदस्य कार्यकारिणी परिषद, डीयू) ने कहा कि पत्रकारिता में जिम्मेदारी और जवाबदेही के साथ—साथ वस्तुनिष्ठता बहुत जरूरी चीज है। तभी हम एक मजूबत लोकतंत्र बना सकते हैं।
विशिष्ट अतिथि डॉ.महेश चंद्र शर्मा (अध्यक्ष, अन्वेषण एवं विकास, फाउंडेशन फॉर इंटीगरल हयूमेनिज्म) ने कहा कि एक पत्रकार को कितना निष्ठावान होना चाहिए, यह हमे मलकानी जी से सीखना चाहिए।
मुख्य वक्ता के रूप में श्री अशोक कुमार टंडन (सदस्य, प्रसार भारती बोर्ड) उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि पत्रकारों को अपनी पत्रकारिता के प्रति जवाबदेही और वस्तुनिष्ठता से कार्य करने की जरूरत है। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 19 (ए) एवं 19(बी) की सारगर्भित व्याख्या लोकतांत्रिक अधिकरों एवं मीडिया जवाबदेही के संदर्भ में की, साथ ही उन्होंने कहा कि आम लोगों को भी देश के लोकतांत्रिक स्वरूप को लेकर ज्यादा गंभीर,सतर्क एवं जवाबदेह होना जरूरी है।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में श्री आलोक मेहता ने कहा कि पत्रकारिता का मुख्य गुण है कि आप निषपक्ष भाव से तथ्यों पर गौर करते हुए पत्रकारिता करें, लेकिन किसी भी प्रकार का व्यक्तिगत पूर्वाग्रह, दुराव एवं द्वेष न रखें। वहीं दूसरे वक्ता विरेंद्र कपूर ने मलकानी जी के साथ अपने लंबे अनुभव के बारे में संस्मरण सुनाए जिसमें सरकार एवं पत्रकारिता के बीच चल रही संघर्ष की चर्चा की। वरिष्ठ पत्रकार श्री आर. बालाशंकर ने इमरजेंसी के दौरान पत्रकारिता की चुनौतियों पर प्रकाश डाला और कहा कि आज के समय में भारतीय पत्रकारिता ज्यादा व्यापक हो चुकी है। सोशल मीडिया से लेकर अखबार पत्रकारिता के मायने आज पूरी तरह बदल चुके हैं।
इस अवसर पर अनेक गणमान्यजन उपस्थित थे।
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