असल में पिछले कुछ महीनों में असम के मदरसों में ऐसे मामले देखने को मिले जिनमे कुछ जिहादी शिक्षकों के रूप में मदरसों में शरण लेते हुए पकड़े गए है। जिसको देखते हुए असम सरकार ने निजी मदरसों की निगरानी करने का फैसला किया है। इसके तहत राज्य सरकार करीब 2500 निजी मदरसों की कार्यप्रणाली पर नजर रखेगी। इस फैसले से अब जिहादी मदरसों की आड़ में नहीं छुप सकेंगे।
इस मामले को लेकर असम के डीजीपी भाष्कर ज्योति महंत और राज्य के सेकंडरी स्कूल डायरेक्टर ममता होजई की पांच निजी मदरसा शिक्षा बोर्ड के प्रतिनिधियों के साथ बैठक हुई। जिसमे तय किया गया है कि राज्य के बाहर से किसी भी व्यक्ति को मदरसे में शिक्षक रखने से पहले मदरसों को उसका पुलिस सत्यापन कराना होगा. बैठक में इसके अलावा यह भी तय किया गया कि दो मदरसों के बीच की दूरी तीन किलोमीटर से ज्यादा न हो साथ ही हर मदरसे में कम से कम 100 छात्र होने ही चाहिए। इसके अतिरिक्त इन सभी प्राइवेट मदरसों को एक दिसंबर तक संबंधित बोर्ड की वेबसाइट पर सभी डिटेल्स अपलोड करने होंगे।
वहीं निजी मदरसा बोर्ड्स ने इस सबको लेकर कहा है कि कहा कि उन्हें सरकार की सभी शर्तें मंजूर हैं। लेकिन, वह चाहते हैं सरकार मदरसों में चल रही पढ़ाई में को लेकर कोई हस्तक्षेप न हो। वहीं, असम पुलिस के एक प्रवक्ता ने कहा कि यह बात पूरी तरह से स्पष्ट कर दिया गया है कि मजहबी शिक्षक के नाम पर मदरसों में किसी जिहादी को जगह न दी जाए।
बता दें कि पुलिस ने 2016 से अब तक राज्य में 84 जिहादियों को पकड़ा है। इनमें से 10 का संबंध मदरसों से था। गोलपारा जिले के एक मदरसे से जुड़े दो बांग्लादेशी नागरिक अभी भी फरार हैं। वहीं गिरफ्तार किए गए एक्यूआईएस/एबीटी मॉड्यूल के जरिए ‘जिहादी’ गतिविधियों के केंद्र के रूप में इस्तेमाल किए जाने के बाद राज्य सरकार ने सितंबर में तीन जिलों में तीन मदरसों को ध्वस्त कर दिया था।
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