नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री और सीपीएन (एम) पुष्प कमल दहल प्रचंड ने चीन समर्थक नेता केपी शर्मा ओली पर निशाना साथ है। उन्होंने कहा कि संसद में नक्शे जारी कर देने से भारत के साथ लिपाधुरिया जमीन विवाद खत्म नहीं हो गया। दरअसल प्रचंड दार्चुला में चुनावी जनसभा को संबोधित कर रहे थे।
पुष्प कमल दहल प्रचंड ने कहा कि जब सीमा पर जमीन को लेकर कोई विवाद है तो उसके लिए भारत के साथ राजनयिक स्तर पर बातचीत करके ही सुलझाया जा सकता है। प्रचंड ने कहा वे हमेशा भारत के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों के पक्षधर रहे हैं, भारत के साथ सामाजिक और आर्थिक रिश्ते सदियों पुराने हैं। उन्होंने कहा कि हम मतभेदों के चलते ही ओली की पार्टी से अलग होकर अपना चुनाव लड़ रहे हैं, इस बार हमारी सरकार आएगी और भारत के साथ अपने रिश्तों को मजबूती देगी, अपनी समस्याओं का समाधान भी करेगी।
उल्लेखनीय है दार्चुला में ही सीपीएन (मार्क्स लेनिनवादी) नेता खड़ग प्रसाद शर्मा ओली ने कहा था कि नेपाली संसद में हमारी सरकार ने भारत के कब्जे वाले भूखंड के साथ नेपाल का नया नक्शा जारी किया था और इस पर हमारा हक है।
भारत के लीपू पास तक सड़क बना देने पर नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री ओली ने चीन की शह पर इस विवाद को जन्म दिया था। जिसमें कालापानी गूंजी से लेकर लीपू पास तक लिपा धुरिया घाटी को नेपाल का बताया था। इस क्षेत्र में भारत के आजादी से पहले अंग्रेज हुकूमत का कब्जा रहा है। 1816 की संग्रोली संधि के मुताबिक ये क्षेत्र भारत का ही है और यहीं से ही कैलाश मानसरोवर यात्रा संचालित होती रही है।
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