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‘जीवन की विद्या है महाभारत’

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने ‘कनेक्टिंग विथ दी महाभारत’ पुस्तक का विमोचन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि इतिहास को केवल मनोरंजन या जानकारी के लिए नहीं सुनना है, बल्कि इतिहास से शिक्षा लेकर वर्तमान को ठीक करके आगे चलना है, ताकि भविष्य ठीक हो जाए।

by WEB DESK
Sep 28, 2022, 03:28 pm IST
in भारत, विश्लेषण, मत अभिमत, संघ, पुस्तकें, दिल्ली
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यह जीवन जीने का तत्व है और उस तत्व को अपने यहां पर धर्म कहा गया है। धर्म कहता है जीवन का उद्देश्य उपभोग करना नहीं है, बल्कि जीवन का उद्देश्य दूसरों का जीवन बनाना है। उन्होंने कहा कि जहां महाभारत पढ़ते हैं, वहां कलह होती है, यह बिल्कुल गलत बात है।

गत सितंबर को नई दिल्ली में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने ‘कनेक्टिंग विथ दी महाभारत’ पुस्तक का विमोचन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि इतिहास को केवल मनोरंजन या जानकारी के लिए नहीं सुनना है, बल्कि इतिहास से शिक्षा लेकर वर्तमान को ठीक करके आगे चलना है, ताकि भविष्य ठीक हो जाए। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने हमारे सारे इतिहास को खारिज करने का काम किया कि यह तो हुआ ही नहीं है।

ऐसे लोगों ने कहा कि ये रामायण-महाभारत कविताएं हैं। क्या कोई कविता 8,000 वर्ष और 5,000 वर्ष तक चली है! कोई रचना केवल कविता होने से नहीं चलती है। इतने लंबे समय तक चलने के लिए तथ्य चाहिए। श्री भागवत ने कहा कि महाभारत जीवन की विद्या है। समाज जीवन कैसे चलता है, किसके क्या-क्या कर्तव्य हैं, इसमें सारा विवरण है।

मानवता ऐसे चले कि सृष्टि का विकास हो, कल्याण हो, उसकी हानि न हो। यह जीवन जीने का तत्व है और उस तत्व को अपने यहां पर धर्म कहा गया है। धर्म कहता है जीवन का उद्देश्य उपभोग करना नहीं है, बल्कि जीवन का उद्देश्य दूसरों का जीवन बनाना है। उन्होंने कहा कि जहां महाभारत पढ़ते हैं, वहां कलह होती है, यह बिल्कुल गलत बात है।

उन्होंने कहा कि जीवन के इस संघर्ष में चलते-चलते अपने मन में भी खटास आ जाती है, गुस्सा आ जाता है, शत्रुता आ जाती है। ऐसा हो सकता है क्योंकि हम मनुष्य हैं। इन सबसे बाहर निकलने के लिए श्रीमद्भगवद्गीता पढ़नी चाहिए। उन्होंने कहा कि मनुष्य अपने साथ सारे विश्व को अच्छा बनाए।

मानवता ऐसे चले कि सृष्टि का विकास हो, कल्याण हो, उसकी हानि न हो। यह जीवन जीने का तत्व है और उस तत्व को अपने यहां पर धर्म कहा गया है। धर्म कहता है जीवन का उद्देश्य उपभोग करना नहीं है, बल्कि जीवन का उद्देश्य दूसरों का जीवन बनाना है। उन्होंने कहा कि जहां महाभारत पढ़ते हैं, वहां कलह होती है, यह बिल्कुल गलत बात है।

पुरुषार्थ भीम और दुर्याेधन दोनों में था, लेकिन हम भीम के पुरुषार्थ और उनकी दिशा से जुड़ते हैं और यह जुड़ना अत्यंत आवश्यक है। इस अवसर पर ‘कनेक्टिंग विथ दी महाभारत’ पुस्तक की लेखिका नीरा मिश्रा एवं लेखक राजेश लाल सहित अनेक गणमान्यजन उपस्थित थे।

Topics: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघश्रीमद्भगवद्गीतासृष्टि का विकास होरामायण-महाभारतमोहनराव भागवत ने ‘कनेक्टिंग विथ दी महाभारत’महाभारत
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