पाकिस्तान-चीन सीमा पर युद्ध लड़ने के लिए तैनात होंगे 'इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप', जानिए कैसें करेंगे दुश्मन को परेशान
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पाकिस्तान-चीन सीमा पर युद्ध लड़ने के लिए तैनात होंगे ‘इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप’, जानिए कैसें करेंगे दुश्मन को परेशान

थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे ने कहा है कि भारतीय सेना अपनी लड़ाकू संरचनाओं को पुन: कॉन्फ़िगर करके आईबीजी को एक साथ रखने के उन्नत चरणों में है।

by WEB DESK
Sep 18, 2022, 07:06 pm IST
in विश्व
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पाकिस्तान और चीन की सीमा पर युद्ध लड़ने के लिए अब भारतीय सेना ‘इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप’ (आईबीजी) तैनात करेगी। दोनों सीमा पर लड़ाकू संरचनाओं को नए सिरे से गठित करने की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है। भारतीय सेना अब अरुणाचल थिएटर के लिए आईबीजी तैयार कर रही है। लद्दाख सेक्टर में तैनात सभी इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप्स के ऑर्बेट्स में एक एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (एटीजीएम) की एक रेजिमेंट होगी। यह युद्ध समूह पाकिस्तानी सीमा के मैदानी इलाकों में टैंक और भारी तोपखाने पर अधिक ध्यान केंद्रित करेंगे, जबकि चीन सीमा पर पर्वतीय युद्ध के लिहाज से पैदल सेना और हल्के तोपखाने के आसपास अधिक घूमेंगे।

आधुनिकीकरण के तहत थिएटर कमांड और नई आत्म-निहित लड़ाकू इकाइयां बनाने के लिए सेना अब आईबीजी तैनात करने के लिए तैयार है। हालांकि, इसकी तैनाती पहले ही होनी थी, लेकिन कोरोना महामारी और चीन के साथ सैन्य टकराव के कारण देरी हुई है। लगभग 5,000 सैनिकों और पैदल सेना, टैंकों, तोपखाने, वायु रक्षा, सिग्नल, इंजीनियरों और अन्य इकाइयों के साथ आईबीजी का गठन अलग से किया गया है। आईबीजी का परीक्षण पाकिस्तान के साथ पश्चिमी सीमा पर 9 कोर में किया जा चुका है। इसी तरह सेना को हाल ही में अरुणाचल प्रदेश में माउंटेन स्ट्राइक कॉर्प्स द्वारा किए गए आईबीजी शैली के अभ्यास पर एक रिपोर्ट का इंतजार है, जिसने चीन को परेशान कर दिया था।

थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे ने कहा है कि हमने पश्चिमी मोर्चे पर एक होल्डिंग फॉर्मेशन और पूर्वी या उत्तरी सीमाओं में स्ट्राइक फॉर्मेशन की पहचान की है। भारतीय सेना अपनी लड़ाकू संरचनाओं को पुन: कॉन्फ़िगर करके आईबीजी को एक साथ रखने के उन्नत चरणों में है। एक बार ऐसा होने पर हम देखेंगे कि इसे कैसे आगे ले जा सकते हैं और सेना की अन्य संरचनाओं पर कैसे लागू कर सकते हैं। इस प्रक्रिया को पाकिस्तान और चीन जैसी दो सबसे सक्रिय सीमाओं के साथ परीक्षण के लिए रखा गया है। जनरल पांडे ने कहा कि एक बार आईबीजी शुरू हो जाने के बाद ये तुलनात्मक रूप से छोटे फॉर्मेशन होंगे लेकिन अपने कार्यों को तेजी से निष्पादित करने में सक्षम होंगे।

उन्होंने बताया कि आईबीजी एक ब्रिगेड (3,000-3,500) से बड़े, लेकिन एक डिवीजन (10,000-12,000) से छोटे होंगे। पहली बार में दो आईबीजी की योजना बनाई गई है, जिनमें से एक पाकिस्तान के साथ पश्चिमी सीमाओं पर काम करने के लिए अनिवार्य 9 कोर के तहत आ रहा है। दूसरे को चीन की उत्तरी सीमाओं के साथ संचालित करने के लिए एकमात्र स्ट्राइक कोर के रूप में 17 कोर (पनागढ़) के तहत संलग्न किया जा रहा है। भविष्य के युद्ध लड़ने और जीतने में कुशल बल संरचनाओं को विकसित करने के लिए आंतरिक विचार-विमर्श किया जा रहा है। आईबीजी और थिएटर कमांड के निर्माण के साथ-साथ 13 लाख सैनिकों वाली सेना को चीन और पाकिस्तान की ओर से पेश दोहरी चुनौती का मुकाबला करने के लिए पुनर्गठित किया गया है।

जनरल पांडे का कहना है कि युद्ध के बदलते स्वरूप, हमारी सक्रिय सीमाओं के लिए मौजूदा और भविष्य के खतरों को देखते हुए सेना की संगठनात्मक संरचनाओं में बदलाव की आवश्यकता है। पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ जारी गतिरोध ने दो साल पहले 3,488 किलोमीटर की वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की ओर सेना को फोकस करना पड़ा है। सेना के पुनर्गठन में लद्दाख सहित चीन के साथ उत्तरी क्षेत्र की ओर 1 कोर की परिचालन भूमिका में बदलाव शामिल है, जो पहले पाकिस्तान पर केंद्रित था। यह कोर अभी भी पाकिस्तान के खिलाफ अल्प-सूचना पर तैनात करने के लिए परिचालन लचीलापन बनाए रखेगी। एक कोर पर्याप्त संख्या में अभ्यस्त सैनिकों के साथ चीन और पाकिस्तान दोनों के लिए उपलब्ध होगी। यह लेह स्थित 14वीं कोर के अतिरिक्त होगी।

(सौजन्य से सिंडिकेट फीड)

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