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नैंसी के ताइवान दौरे से युद्ध जैसे आक्रामक तेवर दिखाने लगा ड्रैगन

1949 से ही चीन ताइवान को अपना अंग मानता रहा है। इसीलिए अमेरिकी संसद अध्यक्ष और वहां की दूसरी सबसे बड़ी नेता नैंसी पेलोसी के ताइवान दौरे से चीन बौखलाया हुआ है

Alok Goswami by Alok Goswami
Aug 3, 2022, 01:30 pm IST
in विश्व
नैंसी के ताइवान पहुंचने पर उनका यूं स्वागत किया ताइवान के लोगों ने

नैंसी के ताइवान पहुंचने पर उनका यूं स्वागत किया ताइवान के लोगों ने

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अमेरिका में वरिष्ठता क्रम में दूसरी सबसे बड़ी नेता और सदन की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी ताइवान के दौरे पर क्या पहुंची, चीन ने अपने जंगी बेड़े समुद्र में उतार दिए और उसके लड़ाकू विमान ताइवान के आसमान में मंडराने लगे।

आज सुबह नैंसी ने ताइवानी राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन के अलावा अन्य मंत्रियों और सांसदों से बात की। इस बातचीत से पहले अमेरिकी सदन अध्यक्ष ने ताइवान की संसद को संबोधित किया। पेलोसी ने ताइवानी संसद से कहा कि हम ताइवान की सराहना करते हैं विश्व के सबसे आजाद समाजों में से एक होने के लिए। हम यहां आपकी बात सुनने आए हैं। कोरोना से लड़ाई में ताइवान ने एक उदाहरण पेश किया है। उन्होंने कहा कि हमें ताइवान-अमेरिका की दोस्ती पर गर्व है।

नैंसी पेलोसी ने कहा कि जलवायु संकट से निपटने के लिए हमें साथ मिलकर काम करना होगा। मेरा यह दौरा मानवाधिकार के संदर्भ में है। अन्यायपूर्ण व्यापार तरीकों तथा सुरक्षा के मुद्दे को लेकर यह यात्रा है। बिना नाम लिए पेलोसी ने चीन पर भी निशाना साधा। चीन के आक्रामक तेवरों और बयानों के संदर्भ में उन्होंने कहा कि हम हंगामे से नहीं रुकने वाले।

उल्लेखनीय है कि चीन हमेशा से ताइवान को अपना अंग मानता रहा है। राष्ट्रपति शी जिनपिंग कई मौकों पर कह चुके हैं कि आज नहीं तो कल, ताइवान चीन में सम्मिलित हो जाएगा। इसमें संदेह नहीं है कि अमेरिकी सदन की अध्यक्ष पेलोसी के ताइवान दौरे से चीन बुरी तरह से बौखलाया हुआ है। उसने ताइवान को छह तरफ से घेरते हुए युद्धाभ्यास करना शुरू कर दिया है। इस सबके बीच, नैंसी ने ताइवान में मीडिया से बात की और साफ कहा कि उनके ताइवान आने के पीछे तीन खास मुद्दे हैं—सुरक्षा, शांति तथा सरकार।

ताइवानी राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन के साथ नैंसी पेलोसी (बाएं)

नैंसी ने बिना लाग—लपेट कहा कि कि हम ताइवान के लोगों के साथ हैं। यह सीधे—सीधे चीन को संकेत जैसा ही था कि ताइवान को अकेला न समझा जाए, विश्व की बड़ी ताकत अमेरिका उसके साथ है। नैंसी ने यह भी कहा कि हम ताइवान में लोकतंत्र के समर्थक हैं। अमेरिका ताइवान में शांति चाहता है। ताइवान दुनिया के सबसे आजाद समाजों में से एक है। हमें मिलकर आगे बढ़ने का रास्ता निकालना होगा।

चौबीस अमेरिकी लड़ाकू जेट की सुरक्षा में ताइवान की धरती पर नैंसी के कदम रखते ही चीन ने आक्रामकता बढ़ा दी। चीन की सेना ने चेतावनी दे दी कि हम हर उकसावे का मुकाबला करने के लिए तैयार हैं, हम अपनी क्षेत्रिय अखंडता की रक्षा करना जानते हैं। ये हमारी चेतावनी है। चीन को चिढ़ है कि अमेरिका का कोई भी नेता उसकी इजाजत के बिना ताइवान कैसे आ सकता है। उल्लेखनीय है कि चीन ताइवान को अपना अंग मानता है इसलिए नहीं चाहता कि कोई भी देश ताइवान को एक ‘स्वतंत्र देश’ मानते हुए उसके साथ नजदीकी बढ़ाए।

चीन और ताइवान के बीच विवाद नया नहीं है। 1949 से ही चीन की कम्युनिस्ट पार्टी दोनों को अपने में एक ही देश मानते हैं। चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है। जबकि ताइवान कहता है कि वह एक स्वतंत्र देश है। दोनों के बीच ये विवाद द्वितीय विश्व युद्ध के बाद शुरू हुआ था। 1940 में माओ त्से तुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्टों ने कुओमितांग पार्टी को परास्त कर दिया था। नतीजा यह निकला के कुओमितांग के सदस्य ताइवान आ बसे। उसी साल चीन का नया नाम पड़ा था ‘पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना’ तथा उन्होंने ताइवान का नाम रखा था ‘रिपब्लिक ऑफ चाइना’। तभी से चीन की कम्युनिस्ट पार्टी का यही कहना रहा है कि एक न एक दिन ताइवान मुख्य भूमि चीन में शामिल हो जाएगा।

Alok Goswami
Journalist at Bahrat Prakashan | Website

A Delhi based journalist with over 25 years of experience, have traveled length & breadth  of the country and been on foreign assignments too. Areas of interest include Foreign Relations, Defense, Socio-Economic issues, Diaspora, Indian Social scenarios, besides reading and watching documentaries on travel, history, geopolitics, wildlife etc.

  • Alok Goswami
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Topics: taiwandisputeamericawartensionnancypelosiagressionChina
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