तुर्की के विदेश मंत्री मेवतुल कावुसोग्लू ने संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतेरेस को 1 जून को आधिकारिक पत्र लिख कर अपने देश के नाम में परिवर्तन करने की मांग की थी
आखिरकार तुर्की के राष्ट्रपति की एक लंबे समय से रही इच्छा की पूर्ति हो गई, तुर्की अब नए नाम ‘तुर्किए’ से जाना जाएगा। संयुक्त राष्ट्र ने भी तुर्की के नाम बदलने के अनुरोध को स्वीकार लिया है। इसके लिए तुर्की के विदेश मंत्री मेवतुल कावुसोग्लू ने संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतेरेस को 1 जून को आधिकारिक पत्र लिख कर अपने देश के नाम में परिवर्तन करने की मांग की थी। संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक के अनुसार, कावुसोग्लू के अनुरोध को मान्य कर लिया गया है।
इसके बाद अब संयुक्त राष्ट्र में तुर्की को तुर्किए के नाम से जाना जाएगा। दुजारिक ने आगे बताया कि पत्र मिलने के नाम बदलने के अनुरोध को फौरन मान लिया गया और अब जरूरी कागजातों में सुधार करने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। 31 मई को तुर्की के विदेश मंत्री कावुसोग्लू ने संयुक्त राष्ट्र के साथ ही दूसरे अंतरराष्ट्रीय संगठनों को पत्र लिखकर यह जानकारी दी थी। पत्र में कहा गया था कि ‘हमारे संचार निदेशालय के साथ मिलकर हम इसके लिए एक अच्छी बुनियाद बनाने में सफल रहे हैं।’
इतिहास की बात करें तो 1935 में फारस ने अपना नाम बदल कर ईरान कर लिया था। फारसी भाषा में ईरान का मतलब होता है ‘पर्शियन’। पश्चिमी देश इसे फारस के नाम से पुकारते थे। लेकिन बाद में आम धारणा बनी थी कि देश का नाम स्थानीय भाषा के हिसाब से ही जानना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तैयप एरदोगन तो बहुत पहले से ही अपनी चर्चाओं में यह उल्लेख करते आ रहे थे कि उनके देश के लोग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हर भाषा में तुर्की के लिए ‘तुर्किए’ नाम का ही इस्तेमाल करें। एरदोगन का कहना है कि तुर्किए को आज हर देश मानता है। इतना ही नहीं, तुर्किए तुर्की के नागरिकों की संस्कृति, सभ्यता तथा मूल्यों का सबसे सही प्रतिनिधित्व करता है। इसके साथ ही, एरदोगन ने तमाम कंपनियों से कहा हुआ है कि वे अपने यहां से निर्यात होने वाली सभी चीजों पर ‘मेड इन तुर्किये’ ही लिखा करें।
कई देश हैं जिन्होंने अपने पहले के नामों में बदलाव किए हैं। जैसे, कुछ वक्त पहले नीदरलैंड ने दुनिया में अपनी छवि को और निखारने के लिए अपने साथ जुड़ा हॉलैंड नाम हटा दिया था। और तो और मैसेडोनिया ने भी अपना नाम उत्तरी मैसेडोनिया कर दिया था। इतिहास की बात करें तो 1935 में फारस ने अपना नाम बदल कर ईरान कर लिया था। फारसी भाषा में ईरान का मतलब होता है ‘पर्शियन’। पश्चिमी देश इसे फारस के नाम से पुकारते थे। लेकिन बाद में आम धारणा बनी थी कि देश का नाम स्थानीय भाषा के हिसाब से ही जानना चाहिए।
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