दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी का यही चरमोत्कर्ष है? पंजाब में सरकार बनने के बाद केजरीवाल और उनकी पार्टी का चाल-चरित्र उजागर हो गया है? केजरीवाल पाकिस्तान या चीन से लगती सीमाओं वाले राज्यों पर ही ज्यादा ध्यान क्यों दे रहे हैं? ये कुछ सवाल हैं, जो लोगों के दिमाग को मथ रहे हैं।
पंजाब में आआपा की सरकार बनी तो खालिस्तानी आतंकी संगठन सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) ने कहा कि ‘‘हमारे नाम पर सरकार बनी, अब खालिस्तान के लिए काम करो।’’ दूसरी ओर, जिस कथित किसान आंदोलन का आआपा ने समर्थन किया और आंदोलनकारियों के प्रति केजरीवाल ने हमदर्दी दिखाई, पंजाब की भगवंत मान सरकार ने पहली लाठी उन्हीं पर भांजी। कश्मीर में हिंदुओं के नरसंहार पर बनी फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ को मनगढ़ंत बताते हुए उन्होंने जब अपने सहयोगियों के साथ विधानसभा में आसुरी अट्टाहास लगाया तो उनकी मंशा उजागर हो गई। वे मुस्लिम परस्त तो हैं, लेकिन हिंदुओं के हितैषी कतई नहीं। सुना है, विवेक अग्निहोत्री दिल्ली दंगों पर भी फिल्म बनाने वाले हैं। जाहिर है, फिल्म बनेगी तो दंगों की सच्चाई, इसके पीछे की भूमिका और बाद की सच्चाई भी सबके सामने आएगी।
पहला छल जनता से : पंजाब में विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान केजरीवाल ने 300 यूनिट मुफ्त बिजली देने का वादा किया था। सरकार बनने के बाद महीना बीतने को आया, वादा हकीकत नहीं बन सका। राज्य का खजाना खाली है, कर्मचारियों के वेतन के लिए सरकार के पास पैसे नहीं हैं। मुख्यमंत्री बनते ही भगवंत मान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सालाना 50 हजार करोड़ का पैकेज मांगने पहुंच गए। लेकिन राज्य में बिजली की चोरी को देखते हुए केंद्र ने पंजाब सरकार को 85 हजार प्री-पेड मीटर लगाने की नसीहत के साथ चेतावनी भी दी कि प्री-पेड मीटर नहीं लगे तो बिजली सुधार के लिए दी जाने वाली राशिरोक दी जाएगी। हालांकि केजरीवाल ने पहले दिन ही 35 हजार करोड़ रुपये की बचत करने का दावा किया था। सच्चाई यह है कि राज्य बिजली बोर्ड के पास अतिरिक्त बिजली खरीदने तक को पैसे नहीं हैं।
दूसरा छल किसानों से: केजरीवाल और उनकी पार्टी ने कृषि सुधार कानूनों के विरुद्ध कथित किसान आंदोलन को हवा दी, ताकि विधानसभा चुनाव में इसका फायदा उठा सकें। चुनाव प्रचार में उन्होंने इसे भुनाया भी। लेकिन एक पखवाड़ा भी नहीं बीता, किसानों पर आआपा की सरकार ने लाठियां भांजी। बेचारे किसान कपास की खराब हुई फसल का मुआवजा मांग रहे थे, जिन्हें पुलिस ने दौड़ा-दौड़ा कर पीटा। मीडिया खबरों में कहा गया कि लाठीचार्ज का आदेश ‘ऊपर’ से आया था। सूत्रों की मानें तो किसी भी गड़बड़ी की सूरत में प्रशासन को किसानों से सख्ती से निपटने के निर्देश दिए गए हैं। जो केजरीवाल दिल्ली की सीमा पर एक साल तक धरने पर बैठे किसानों के हमदर्द बने हुए थे, अब उनका हाल भी नहीं पूछ रहे। राज्य में 2 से 7 घंटे की कटौती हो रही है। इस कारण किसान सिंचाई नहीं कर पा रहे।
तीसरा छल शिक्षकों से: चुनाव में केजरीवाल ने सरकार बनने के एक माह के भीतर 25 हजार सरकारी नौकरी और 35 हजार संविदा शिक्षकों को नियमित करने का जुमला छोड़ा था। 27 नवंबर, 2021 को पार्टी के नेताओं के साथ वे चंडीगढ़ में धरने पर बैठे संविदा शिक्षकों से मिलने भी गए थे। उन्होंने कहा था, ‘‘हम आपको नियमित करेंगे। दिल्ली में हमने यह कारनामा कर दिखाया है।’’ सरकार बनी तो राज्य के शिक्षा मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर को इन शिक्षकों की मांग नागवार गुजरी। 13 जिलों में फरमान भेजा गया कि 4 अप्रैल को शिक्षा मंत्री के बरनाला आवास पर धरने के लिए जिन शिक्षकों ने छुट्टी ली, उनकी छुट्टी रद्द की जाए। नियुक्ति अधिकारी इनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई करें। नियुक्ति अधिकारी को ऐसा निर्देश देने का मतलब होता है, संविदा शिक्षक की सेवा समाप्त। एक महीना बीतने को आया, भगवंत मान सरकार ने न नौकरी दी, न किसी को नियमित किया।
एसएफजे बोला- पैसे लिए हैं, खालिस्तान के लिए काम करो
पंजाब में आआपा की जीत पर भगवंत मान को प्रतिबंधित खालिस्तानी आतंकी संगठन एसएफजे ने एक पत्र लिखा था। इसमें उसने कहा है कि खालिस्तान के पैसे से ही पंजाब में आआपा की जीत संभव हुई है। इसलिए नई सरकार उसके हिसाब से चले। यह पत्र 10 मार्च को जारी किया गया था। इसी दिन विधानसभा चुनाव के परिणाम आए थे। पत्र में कहा गया है कि आआपा ने बिना प्रचार और बिना कैडर से 70 प्रतिशत सीटें जीतीं। पार्टी को वहां भी वोट मिले, जहां उसने प्रचार नहीं किया। उसे खालिस्तानी समर्थकों से भारी समर्थन और पैसे मिले। साथ ही, एसएफजे ने आरोप लगाया कि आआपा ने उसके फर्जी पत्र के जरिये खालिस्तान समर्थक सिखों के वोट हासिल किए। आआपा को समर्थन वाला फर्जी पत्र वायरल होने के बाद मतदान से दो दिन पहले 18 फरवरी को एसएफजे के सरगना गुपतवंत पन्नू ने राघव चड्ढा को फोन किया था। बकौल पन्नू, राघव चड्ढा ने उससे कहा था कि ‘‘अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान खालिस्तान जनमत संग्रह का समर्थन करते हैं।’’
दिल्ली दंगे और आआपा
नागरिकता संशोधन कानून के विरोध की आड़ में दिल्ली में साम्प्रदायिक हिंसा भड़की। आरोप है कि नेहरू विहार से आआपा के निगम पार्षद ताहिर हुसैन और उसके समर्थकों ने दंगे के दौरान अंकित को अगवा किया, फिर हत्या कर उनके शव को चांद बाग के नाले में फेंक दिया। दंगों के बाद जांच में पुलिस को ताहिर के घर की छत पर र्इंटों के ढेर, धारदार हथियार और एसिड से भरे ड्रम मिले थे। पूछताछ में उसने कबूला कि फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसा भड़काने में उसकी भूमिका थी। 8 जनवरी को वह शाहीन बाग स्थित पीएफआई के कार्यालय में उमर खालिद से मिला था। ताहिर को दंगे के लिए कांच की बोतलें, पेट्रोल, तेजाब, पत्थर समेत तमाम चीजें जमा करने का काम सौंपा गया था। ताहिर ने यह भी कबूला था कि दंगा भड़काने में उसके एक सहयोगी खालिद सैफी और पीएफआई ने भी मदद की थी। यही नहीं, दंगे में विधायक अमानतुल्ला खान की भी भूमिका को लेकर भी पार्टी सवालों के घेरे में है।
चौथा छल कश्मीरी हिंदुओं से: कश्मीर में जिहादियों की करतूतों को सामने लाने वाली फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ को केजरीवाल ने झूठा बताया। उन्होंने 24 मार्च को विधानसभा में फिल्म को टैक्स फ्री करने के सवाल पर इसे यू-ट्यूब पर डालने की सलाह दी, जिस पर उनके साथ आआपा के दूसरे नेताओं ने ठहाके लगाए। 27 मार्च को एक साक्षात्कार में केजरीवाल ने दावा किया कि उन्होंने ‘233 कश्मीरी हिंदुओं को नौकरी दी। भाजपा ने क्या किया? कश्मीरी पंडितों का मुद्दा बहुत संवेदनशील है।
‘‘हे भगवान! बहुत शर्म की बात है कि कश्मीरी हिंदू शिक्षकों
को एक चुने हुए प्रतिनिधि के सफेद झूठ को उजागर करने
के लिए इस तरह से सामने आना पड़ा। सर्वोच्च न्यायालय
के फैसले पर झूठ बोलने पर कानून में क्या सजा है?’’
भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने कहा कि केजरीवाल ने
कश्मीरी हिंदुओं के मामले में खुलेआम झूठ बोला।
सच यह है कि केजरीवाल सरकार कश्मीरी पंडितों
के विरुद्ध तीन बार अदालत गई।
हम केंद्र सरकार के साथ मिलकर काम करने को तैयार हैं।’ लेकिन उनके इस साक्षात्कार की पोल कश्मीर माइग्रेंट टीचर्स एसोसिएशन ने खोली। उसने ट्विटर पर प्रेस विज्ञप्ति जारी की, जिसमें कहा गया कि केजरीवाल झूठ बोल रहे हैं। दिल्ली सरकार ने हर कोशिश की, ताकि विस्थापित कश्मीरी शिक्षकों को स्थायी नहीं किया जाए। इस झूठ पर जब केजरीवाल सोशल मीडिया पर ट्रोल होने लगे तो ‘द कश्मीर फाइल्स’ के निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने ट्वीट किया, ‘‘हे भगवान! बहुत शर्म की बात है कि कश्मीरी हिंदू शिक्षकों को एक चुने हुए प्रतिनिधि के सफेद झूठ को उजागर करने के लिए इस तरह से सामने आना पड़ा। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर झूठ बोलने पर कानून में क्या सजा है?’’ भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने कहा कि केजरीवाल ने कश्मीरी हिंदुओं के मामले में खुलेआम झूठ बोला। सच यह है कि केजरीवाल सरकार कश्मीरी पंडितों के विरुद्ध तीन बार अदालत गई।
… इसीलिए चाहिए दिल्ली पुलिस: केजरीवाल केंद्र से दिल्ली पुलिस का नियंत्रण मांगते हैं। पंजाब में उनकी पार्टी की सरकार है, जिसके नियंत्रण में पुलिस है तो हो क्या रहा है? भाजपा नेता तेजिंदर पाल बग्गा ने केजरीवाल के खिलाफ दिल्ली में बयान दिया, लेकिन प्राथमिकी दर्ज हुई पटियाला में। बग्गा का दोष सिर्फ इतना था कि उन्होंने दिल्ली विधानसभा में कश्मीरी पंडितों के खिलाफ केजरीवाल की अंसवेदनशील टिप्पणी के बाद एक ट्वीट किया था। यही नहीं, बग्गा को पकड़ने के लिए पंजाब पुलिस दिल्ली भी आ धमकी। इसी तरह, दिल्ली भाजपा के मीडिया प्रभारी नवीन कुमार जिंदल के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया। पंजाब पुलिस उनके घर भी पहुंची।
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