उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक डॉक्टर सहित 2 लोगों को गिरफ्तार कर एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो रक्तदान के नाम पर पहले शिविर लगाकर खून एकत्र करता था और फिर उसे गिरोह के जरिए 6000 रुपए यूिनट के हिसाब से बेच देता। खबरों के अनुसार यह गिरोह जयपुर सहित विभिन्न राज्यों मेंं खून का खूनी खेल खेलता था।
गुप्त सूचना के आधार पर यूपी की एसटीएफ ने नाकाबंदी के दौरान एक डाॅक्टर की कार की तलाशी ली तो उसमें 100 यूनिट खून रखा था। जब पुलिस ने कड़ाई से पूछताछ की तो मामला खून की तस्करी का निकला। आराेपी डाॅक्टर के माेबाइल से डिटेल निकलवाई गई ताे पता चला कि उसका जयपुर व मेवात में आना-जाना रहता था। डाॅक्टर के पास से 21 ब्लड बैंकाें के कागजात मिले हैं, जिनसे वह खून लाता था। जांच में पता चला कि ये दस्तावेज फर्जी हैं। इनकी आड़ में वह खून की तस्करी कर रहा था। आराेपी डाॅक्टर अभय प्रताप सिंह, जो सैफई मेडिकल कालेज में असिस्टेंट प्रोफेसर है। दूसरे आरोपी अभिषेक पाठक काे एटीएफ ने डाॅक्टर के फ्लैट से पकड़ा। इनसे 100 यूनिट पैक रेड ब्लड सेल्स मिलीं। पूछताछ में बताया कि डोनेट किया हुआ ब्लड 1200 रुपए में खरीदकर 4000 से 6000 हजार रुपए में बेचते थे। मांग ज्यादा हो तो एक यूनिट से 2 यूनिट खून तैयार कर ऊंचे दामों में बेच देते थे। इस मामले में यूपी एसटीएफ के डीएसपी अमित नागर का कहना है कि आरोपी नशा करने वाले लाेगाें से भी ब्लड डाेनेट करवा कर बिना जांच किए गिराेह काे बेच देता था। राजस्थान, पंजाब व हरियाणा में ऐसे गिराेह अब निशाने पर हैं।
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