कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव से पहले जिन अकील अहमद को सिर आंखों पर बैठाया उन्हें अब छह साल के लिए पार्टी से निष्काषित कर दिया। ये वही अकील अहमद हैं जिन्होंने कहा था कि हरीश रावत ने उनसे वादा किया है कि वह सिलाकुई में मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना करेंगे।
सिलाकुई सहसपुर विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा है और यहां से अकील अहमद ने निर्दलीय चुनाव लड़ने के लिए पर्चा दाखिल किया था। कांग्रेस नेता हरीश रावत और राज्य प्रभारी ने उनसे वार्ता कर उनका नामंकन वापस करवा दिया और उन्हें कांग्रेस में शामिल करते हुए प्रदेश का उपाध्यक्ष बना दिया। अकील अहमद ने बयान दिया था कि कांग्रेस ने उनसे सिलाकुई में मुस्लिम यूनिवर्सिटी खोलने का वादा किया है।
अकील का यह बयान कांग्रेस के लिए सिरदर्द बन गया। राज्य में विधानसभा चुनाव हारने का एक बड़ा कारण भी बना। चुनाव परिणाम बीत जाने के बाद भी अकील का यह कहना कि कांग्रेस की सरकार नहीं आयी तो क्या हुआ वह खुद यहां निजी मुस्लिम यूनिवर्सिटी खोलेंगे और इसे कोई रोक नहीं सकता। अकील के इस बयान पर प्रदेश कांग्रेस ने अनुशासनहीनता मानते हुए छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर अपना पिंड छुड़ा लिया। कांग्रेस के महासचिव (संगठन) मथुरादत्त जोशी ने निष्कासन का पत्र दिया। अकील के निष्कासन को कांग्रेस के भीतर अंदरूनी खींचतान से भी जोड़ कर देखा जा रहा है। हरीश रावत उन्हें कांग्रेस में मुस्लिम वोट की लालच में लाये थे ताकि उन्हें और उनके शिष्य आर्येन्द्र शर्मा को सिलाकुई क्षेत्र के मुस्लिम वोट मिलें, जबकि ऐसा हो नहीं सका। आर्येन्द्र यहां चुनाव बुरी तरह से इसलिए हार गए कि क्योंकि सामने हिन्दू वोट एकतरफा बीजेपी को पड़ा।
टिप्पणियाँ