नैनीताल हाई कोर्ट ने सिखों की शादी पंजीकरण के लिए नियम बनाने को कहा है। एक याचिका की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कहा है सिखों के विवाह, आनंद कारज परम्परा से श्री गुरु ग्रन्थ साहिब के सम्मुख किये जाते हैं, लेकिन इनके पंजीकरण को लेकर कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए इनके पंजीकरण किये जाने के लिए सरकार नियम तय करे।
हाई कोर्ट ने उत्तराखंड के मुख्यसचिव को ये निर्देश दिया है कि सिखों के विवाह सिख की परम्परा आनंद कारज समारोह में किये जाते हैं। सन 1909 में इम्पीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल से आनंद कारज विवाह अधिनियम बना हुआ है। 2012 में संसद में आनंद विवाह अधिनियम में संशोधन किया गया था। इस संशोधन में सिख विवाहों के पंजीकरण के लिए नियम बनाने के लिए राज्य सरकारों को दायित्व दिया गया है। उत्तराखंड राज्य ने इस मामले में अभी तक कोई नियम नहीं बनाया, जबकि अन्य राज्य ऐसा कर चुके हैं।
याचिका पर कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्र व न्यायमूर्ति रमेश चन्द्र खुल्बे की बेंच में याचिकाकर्ता ने संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 का उल्लेख करते हुए कहा है कि हर नागरिक को अपने समुदाय और उसकी पहचान बनाये रखने का अधिकार है। किंतु बाल विवाह, द्विविवाह, बहु विवाह, तलाक, विधवा व बच्चों के संरक्षण के अधिकार के बढ़ते मामलों को देखते हुए राज्य सरकार को पंजीकरण के नियम बनाये जाने चाहिए। इस मामले में सरकार की निष्क्रियता पर भी नाराजगी जाहिर की गई। हाई कोर्ट के अपने आदेश में सरकार से ये अपेक्षा जताई है कि वो इस मामले को शीघ्र अपनी कैबिनेट में लाकर मंजूरी देते हुए, इस पर नोटिफिकेशन जारी करेगी।
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