परिवार का पेट पालने के लिए अफगानिस्तान के पूर्व वित्त मंत्री इन दिनों अमेरिका में कैब चला रहे हैं। अमेरिका के सुप्रसिद्ध अखबार वाशिंग्टन पोस्ट में यह खबर पढ़कर लोग हैरान हैं और पूर्व वित्त मंत्री की परिवार पालने के लिए इस तरह का काम करने की तारीफ कर रहे हैं।
पिछले साल अगस्त माह में अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर तालिबानी चढ़ आए थे और वहां अपना कब्जा कर लिया था। बंदूूक के दम पर तालिबान ने अपनी सरकार बना ली। लेकिन उनके वहां चढ़ आने से पूर्व पहले की चुनी हुई सरकार में राष्ट्रपति ही नहीं, अधिकांश मंत्री, अधिकारी और पुलिस व सेना के लोग भी जान बचाने का देश से निकल गए थे।
अफगानिस्तान के पूर्व वित्त मंत्री खालिद भी उस दौरान परिवार सहित पलायन करके अमेरिका आ गए और आज पेट भरने की जद्दोजहद में लगे हैं। इन दिनों वे वाशिंग्टन और आसपास के इलाके में कैब चलाते हैं। खालिद पायेंदा आज न सिर्फ जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में सहायक प्रोफेसर के तौर पर पढ़ा रहे हैं बल्कि वाशिंगटन में उबर कैब भी चला रह हैं। सहायक प्रोफेसर के नाते उन्हें हर एक सेमेस्टर के 2,000 डॉलर मिलते हैं।
खालिद यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट तथ विश्व बैंक के लिए काम कर चुके हैं। वे 2006 में उप वित्त मंत्री बने थे, लेकिन 2019 में कुछ वक्त के लिए अमेरिका में जा बसे थे। 2020 में वह गनी सरकार के लिए एक परियोजना पर काम करने की वजह से काबुल लौटे। इस बीच उनके सामने वित्त मंत्री पद संभालने का प्रस्ताव पेश किया गया। हालांकि परिवार इस प्रस्ताव के विरुद्ध था। आज खालिद को अपने उस फैसले पर अफसोस होता है।
अभी हाल में वाशिंगटन पोस्ट ने पूर्ववर्ती अशरफ गनी सरकार में वित्त मंत्री रहे खालिद का साक्षात्कार लिया था। इसमें उन्होंने बताया कि ज्यादा पैसा कमाने के लिए वे कैब ड्राइवर की नौकरी भी कर रहे हैं। इस पैसे की मदद से वे अपनी पत्नी और चार बच्चों का परिवार पाल रहे हैं।
वित्त मंत्री के तौर पर काबुल में अपने आखिरी दिनों को याद करते हुए खालिद ने बताया कि एक बार अशरफ गनी ने लेबनान की एक कंपनी को पैसा देने में उनके विभाग से हुई गलती के लिए सबके सामने एक बैठक में उन्हें डांटा तो उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। गनी के गुस्से को देख खालिद को लगा कि कहीं उन्हें झूठे आरोप में गिरफ्तार न कर लिया जाए। काबुल में मची उथलपुथल के बीच वे किसी तरह अमेरिका पहुंचे थे। उनके अनुसार, तालिबान के काबुल पर कब्जे से एक हफ्ते पहले वे परिवार को लेकर अमेरिका आ गए थे।
काबुल के पतन पर खालिद का कहना है, "हमने जो कुछ भी खड़ा किया था वह ताश के पत्तों की इमारत थी जो अचानक इस हादसे से ढह गई। वह इमारत भ्रष्टाचार की नींव पर बनी थी। सरकार में हम में से कुछ थे जिन्होंने चोरी का रास्ता अपनाया था। हमने अपने ही लोगों को धोखा दिया।"
खालिद यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट तथ विश्व बैंक के लिए काम कर चुके हैं। वे 2006 में उप वित्त मंत्री बने थे, लेकिन 2019 में कुछ वक्त के लिए अमेरिका में जा बसे थे। 2020 में वह गनी सरकार के लिए एक परियोजना पर काम करने की वजह से काबुल लौटे। इस बीच उनके सामने वित्त मंत्री पद संभालने का प्रस्ताव पेश किया गया। हालांकि परिवार इस प्रस्ताव के विरुद्ध था। आज खालिद को अपने उस फैसले पर अफसोस होता है।
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