आगामी 23 मार्च यानी परसों भारत के अमर क्रांतिकारी भगतसिंह की 91वीं पुण्यतिथि है। उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान में लाहौर की जेल में भगतसिंह को उनके दो अन्य साथियों सुखदेव और राजगुरु के साथ 23 मार्च 1931 को अंग्रेज सरकार ने फांसी दे दी थी। पिछले कुछ वर्षों से वहां का भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन उस जगह भगतसिंह के याद में कार्यक्रम करता आ रहा है जहां लाहौर सेंट्रल जेल हुआ करती थी। लेकिन इस बार स्थानीय कट्टरपंथी जमातों ने इस कार्यक्रम के आयोजकों को धमकी दी है कि यह कार्यक्रम न करें।
पाकिस्तान के मजहबी उन्मादियों की धमकियों के बाद लाहौर के शादमन चौक पर यह कार्यक्रम करने जा रहे फाउंडेशन ने सुरक्षा की गुहार लगाते हुए लाहौर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। अदालत में याचिका दायर की गई है।
याचिका में पाकिस्तान के भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन के अध्यक्ष इम्तियाज राशिद कुरैशी ने लिखा है कि उनका संगठन हर साल लाहौर के शादमान चौक पर भगत सिंह की पुण्यतिथि मनाता आ रहा है। लेकिन इस साल उन्हें धमकियां दी जा रही हैं। अत: 23 मार्च को होने जा रहे कार्यक्रम में कोई अरुचिकर घटना न घटे इसके लिए सुरक्षा का इंतजाम किया जाए। ऐसी ही पत्र गृह विभाग, जिला सरकार और पुलिस को भी भेजे गए हैं और पूरी सुरक्षा की मांग की गई है।
उक्त फाउंडेशन ने अदालत से विनती की है वह लाहौर पुलिस को आदेश दे कि कार्यक्रम को पूरी सुरक्षा दी जाए। राशिद कुरैशी ने बताया है कि इस कार्यक्रम को कट्टर मजहबी तत्वों से खतरा है, इसलिए पुलिस उन्हें पूरी सुरक्षा मुहैया कराए।
कुरैशी ने कहा है कि उनके संगठन ने लाहौर के शादमान चौक का नाम भगत सिंह पर रखने का एक अभियान चलाया हुआ है, लेकिन ऐसा अभी तक किया नहीं गया है, क्योंकि सरकारी अधिकारियों को डर है कि मजहबी उन्मादी गुट कहीं उनके लिए खतरा न बन जाएं। बताया गया है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुख्यात आतंकी सरगना हाफिज सईद के संगठन जमात-उद-दावा ने भी सरकार को चेताया हुआ है कि शादमन चौक का नाम भगत सिंह के नाम पर रखने की जुर्रत न की जाए।
खबरों के अनुसार संभवत: आज लाहौर उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति आबिद अजीज शेख भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन की याचिका पर सुनवाई करेंगे।
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