संयुक्त राष्ट्र ने अफगानिस्तान में मानवाधिकारों को लेकर जारी की अपनी ताजा रिपोर्ट में स्पष्ट कहा है कि अफगानिस्तान में पिछले साल अगस्त महीने से शुरू हुए तालिबान के बर्बर राज के छह महीनों में वहां अब तक 400 आम लोगों की हत्याएं हो चुकी हैं।
रिपोर्ट बताती है कि इनमें से 80 प्रतिशत नागरिकों को इस्लामिक स्टेट से संबंद्ध गुटों ने जान से मारा है। संयुक्त राष्ट्र की इस रिपोर्ट से साफ है कि तालिबान के शासन में अफगानिस्तान में उग्र सोच में बढ़ोतरी हुई है। उल्लेखनीय है कि अफगानिस्तान में इस्लामवादी कट्टर के पहरुए तालिबान के बंदूक के दम पर चढ़ बैठने के बाद संयुक्त राष्ट्र ने पहली बार वहां मानवाधिकारों को लेकर रिपोर्ट प्रस्तुत की है।
में अफगानिस्तान में 20 साल से चले सैन्य अभियान के खत्म होने और अमेरिकी सैनिकों के वहां से निकलने के फौरन बाद मट्टर मजहबी तालिबान ने धीरे—धीरे पूरे देश पर कब्जा करना शुरू कर दिया था। अगस्त 2021 में वे काबुल पर चढ़ बैठे थे और अपनी 'इस्लामिक अमीरात' में अपनी सरकार बना ली। लगभग तभी से वहां इस्लामिक गुटों ने लोगों पर हमले करने शुरू कर दिए। रिपोर्ट बताती है कि अफगानिस्तान अब ऐसी जगह बन गया है जहां महिलाओं, पत्रकारों और कई अन्य सामाजिक संस्थानों से जुड़े लोगों का रहना मुश्किल हो गया है। पिछले छह महीनों के इन आंकड़ों को देखने से साफ होता है कि 397 आम लोग तो सिर्फ इस्लामिक स्टेट खुरासान जैसे जिहादी गुट के हमलों के शिकार हुए हैं।
मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाचेलेट ने कहा कि बहुत से अफगान नागरिक मानवाधिकार को लेकर गंभीर स्थिति का सामना कर रहे हैं। मिशेल का कहना था कि इस्लामिक स्टेट खुरासान ने 2014 के आखिर में पहली बार पूर्वी अफगानिस्तान में अपना सिर उठाया था। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से इस गुट की ताकत बढ़ती जा रही है। पिछले महीनों के दौरान इसने अनेक फिदायीन हमले किए हैं।
उल्लेखनीय है कि इस्लामिक स्टेट खुरासान, दुनियाभर में जिहाद फैला रहे गुट इस्लामिक स्टेट की अफगानिस्तान में सक्रिय शाखा है। इस जिहादी गुट से जुड़े होेने के शक में रहे 50 से ज्यादा लोग भी हत्यारों की गोलियों के शिकार बने हैं। कुछ को तो बुरी तरह यातनाएं देकर मारा गया, कुछ का सिर काट डाला गया तो बहुत से तेज गाड़ी से सड़क किनारे फेंक दिए गए जिससे उनकी मौत हो गई। गत छह महीनों में अफगानिस्तान से ऐसे कई वीडियो देखने में आए हैं जिनसे तालिबान की बर्बरता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
यह रिपोर्ट प्रस्तुत करने हुए मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाचेलेट ने कहा कि बहुत से अफगान नागरिक मानवाधिकार को लेकर गंभीर स्थिति का सामना कर रहे हैं। मिशेल का कहना था कि इस्लामिक स्टेट खुरासान ने 2014 के आखिर में पहली बार पूर्वी अफगानिस्तान में अपना सिर उठाया था। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से इस गुट की ताकत बढ़ती जा रही है। पिछले महीनों के दौरान इसने अनेक फिदायीन हमले किए हैं। अगस्त 2021 में काबुल हवाई अड्डे पर इसी ने फिदायीन हमला किया था।
मिशेल का यह भी कहना है कि तालिबान के शासन तले अफगानिस्तान में महिला अधिकारों तथा लोगों की आजादी पर लगाम कसी गई है। मिशेल ने समाज कर्मियों और उनके शासन के विरोधी लोगों के अगवा होने की अनेक घटनाओं का भी जिक्र किया।
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