अब भारत में मेडिकल छात्र ‘हिप्पोक्रेटिक शपथ’ की जगह ‘चरक शपथ’ लेंगे। सालों पुरानी शपथ लेने की परंपरा में यह बड़ा बदलाव है। नए सत्र में पास आउट होने वाले छात्र अब नई शपथ लेंगे।
बीते सोमवार को शीर्ष चिकित्सीय शिक्षा नियामक ‘राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग’ ने देश के सभी मेडिकल कॉलेजों के साथ वर्चुल बैठक की। इस बैठक में आयोग ने सुझाव दिया है कि डॉक्टरों के ग्रेजुएशन सेरेमनी के दौरान ली जाने वाली ‘हिप्पोक्रेटिक शपथ’ की जगह ‘चरक शपथ’ लेने की पंरपरा शुरू की जाए। चरक शपथ’ का नाम आयुर्वेद के जनक माने जाने वाले महर्षि चरक के नाम पर रखा गया है।
क्या है हिप्पोक्रेटिक शपथ का इतिहास
हिप्पोक्रेटिक शपथ का इतिहास ढाई हजार साल पुराना है। 460 से 377 ईसा पूर्व के समय यूनान में हिप्पोक्रेट्स नाम के एक बहुत बड़े चिकित्सक हुए। उन्होंने डॉक्टरों के लिए कुछ मार्गदर्शक सिद्धांत बताए। बाद में इन सिद्धांतों को डॉक्टरों के पेशे के लिए बाध्यकारी बना दिया गया। मेडिकल छात्रों को हिप्पोक्रेट्स के सिद्धांतों की शपथ दिलाई जाने लगी। इसे हिप्पोक्रेटिक शपथ का नाम दिया गया।
समय के साथ इस शपथ में कई बार संशोधन हुए। दुनिया के कुछ हिस्सों में मेडिकल कॉलेज इसके मूल रूप में लिखे सिद्धांतों (ग्रीक भाषा) का उपयोग करते हैं। वहीं कई जगहों पर जिनेवा घोषणा या मैमोनाइड्स की शपथ लेते हैं। दोनों ही हिप्पोक्रेट्स के बताए सिद्धांत पर आधारित हैं। तकरीबन दुनिया के सभी मेडिकल कॉलेज में इसी तरह की शपथ दिलाई जाती है।
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