चाहे समस्या कितनी ही बड़ी हो, यदि सोच—विचार और हिम्मत के साथ काम किया जाए तो कोई न कोई रास्ता निकल ही आता है। कुछ ऐसा ही हुआ है झारखंड के बोकारो में। उल्लेखनीय है कि 26 नवंबर की सुबह नौ बजे मजदूर लक्ष्मण रजवार, अनादि सिंह, रावण रजवार और भारत सिंह यहां की बंद पड़ी पर्वतपुर कोयला खदान में अवैध कोयला खनन गए। इसके कुछ ही घंटे बाद मिट्टी धंसने से खदान का रास्ता बंद हो गया। इन लोगों ने रास्ते को साफ करने का बहुत प्रयास किया, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली।
प्रशासन को जैसे ही इसकी जानकारी मिली संबंधित लोग उन मजदूरों को खदान से निकालने के लिए सक्रिय हो गए। एनडीआरएफ की टीम को बुला लिया गया। 28 नवंबर की देर शाम तक एनडीआरएफ की टीम ने घटनास्थाल का निरीक्षण किया और निर्णय लिया कि 29 नवंबर की सुबह से खदान में खोजी अभियान चलाया जाएगा। इसी बीच देर रात सभी मजदूर खदान के दूसरे हिस्से में सुरंग बनाकर निकल गए। उनके घर पहुंचने पर ग्रामीणों ने ग्राम देवता की पूजा कर उन्हें धन्यवाद दिया।
मजदूरों को तीन दिन तक खदान का पानी पीकर रहना पड़ा, लेकिन इन लोगों ने हिम्मत नहीं हारी और निकलने के लिए लगातार नया रास्ता बनाने में लगे रहे। सुरंग में फंसे भरत सिंह के अनुसार, ''26 नवंबर की दोपहर में अचानक एक बजे मिट्टी गिरने से रास्ता बंद हो गया। इसके बाद चारों की हिम्मत टूट गई। लेकिन कुछ देर बाद चारों ने विचार किया कि अब तो मरना है, तो क्यों नहीं निकलने का प्रयास करते हैं। अपने पास जो भी पानी था उसका उपयोग करते हुए रातभर शांत रहे।
27 नवंबर की सुबह रास्ता साफ करने का प्रयास करने लगे। काफी मेहनत के बाद भी सुरंग का रास्ता साफ नहीं हुआ। इसके बाद चारों ने निर्णय लिया कि दूसरे रास्ते की तलाश की जाए। इसके बाद वैकल्पिक रास्ते को साफ करने के लिए सभी लग गए। 28 नवंबर की सुबह से हिम्मत जुटाकर रास्ते को साफ करने लगे। अंतत: 28 नवंबर की रात से रास्ता मिलने के आसार नजर आने लगे, तो हिम्मत बढ़ी। जान बचाने के लिए भूखे-प्यासे पूरी रात मेहनत करने के बाद लगभग साढ़े तीन बजे रात में सुरंग के रास्ते से बाहर निकले और घर पहुंचे।''
सुरंग से निकले अनादि सिंह ने बताया, ''मौत को नजदीक देखकर जिंदगी की आस कम हो चुकी थी, लेकिन हिम्मत नहीं हारी और सभी से मिलने का सौभाग्य मिला। हादसा होने के बाद हम लोगों ने निर्णय लिया कि अपने पास चार टॉर्च है। इनमें से एक बार एक ही का उपयोग करना है, ताकि अन्य तीन की बैट्री बची रहे, क्योंकि जब तक रोशनी रहेगी तब तक ही काम हो सकेगा।''
इस तरह ये चारों मजदूर अपनी हिम्मत के बल पर सकुशल खदान से तीन बाद बाहर निकल आए। अब इनकी हिम्मत की तारीफ चारों ओर हो रही है।
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