आज सुबह 5 बजे से मंदिर में कपाट बंद करने की प्रक्रिया शुरू की गई। भगवान का दूध, जल, दही, शहद से अभिषेक किया गया। उसके बाद पूजा-अर्चना की गई। भगवान का श्रृंगार किया गया उसके बाद मंदिर में भोग लगाया गया। स्वयंभू शिवलिंग को फूल, मेवे और भस्म से समाधि दी गई। उसके बाद तृतीय केदार तुंगनाथ का कपाट विधि-विधान से शीतकाल के लिए बंद किया गया।
चल विग्रह डोली रवाना
कपाट बंद होते ही तुंगनाथ की चल विग्रह डोली ने मंदिर की तीन परिक्रमा की। इसके बाद डोली भूतनाथ मंदिर से होकर चोपता की ओर रवाना हुई। उत्सव डोली आज अपने पहले पड़ाव चोपता में रात्रि विश्राम में रहेगी। कल 31 अक्टूबर को चोपता से प्रस्थान कर रात्रि विश्राम के लिए भनकुन पहुंचेगी। 1 नवंबर को यहां से रवाना होकर शीतकालीन गद्दी स्थल मक्कूमठ पहुंचेगी, जहां पर 6 माह तक शीतकाल में भगवान की पूजा-अर्चना होगी।
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