पंजाब में चर्च द्वारा किए जा रहे अवैध कन्वर्जन के विरुद्ध विश्व हिंदू परिषद ने मोर्चा खोल दिया है। विहिप ने कहा है कि पंजाब की पावन धरती के लिए कन्वर्जन एक अभिशाप है। इसका मुंहतोड़ जवाब अवश्य जाएगा। वह इस नापाक षड्यंत्र को पूरी तरह समाप्त कर पंजाब को कन्वर्जन मुक्त प्रदेश बनाने का संकल्प लेती है। साथ ही, कहा कि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की अध्यक्ष बीबी जागीर कौर और अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी सिंह जो आवाज उठाई है, विहिप उसका स्वागत करती है।
विहिप के केंद्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ. सुरेन्द्र जैन ने कहा कि कन्वर्जन विरुद्ध अभियान में विहिप हर तरह का सहयोग करेगी। पंजाब का इतिहास धर्म की रक्षा के लिए संघर्ष और बलिदान का इतिहास है। पूज्य गुरुओं ने धर्म की रक्षा के लिए न केवल प्रेरणा दी है, अपितु अद्भुत संघर्ष भी किए। गुरु पुत्रों के बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता। धर्मवीर वालक हकीकत राय का बलिदान आज भी पूरे देश को प्रेरणा देता है। लेकिन कन्वर्जन में लिप्त मिशनरियां न केवल इन बलिदानों, अपितु गुरुओं के उपदेशों को भी अपमानित करने का दुस्साहस कर रही हैं।
उन्होंने कहा कि कन्वर्जन के लिए ईसाई मिशनरियां छल-कपट और लालच का सहारा लेती हैं। यदि चंगाई सभा से वास्तव में लोग ठीक होते तो पादरी बीमार होने पर अस्पताल में क्यों भर्ती होते हैं? कई पादरी कोरोना के कारण काल के ग्रास भी बने। मदर टेरेसा को तो कई महीनों तक इलाज करवा कर भी ये नहीं बचा सके। जब इनके अपनों का इलाज कोई चंगाई सभा नहीं कर सकी तो ये पंजाब की भोली-भाली जनता को क्यों बेवकूफ बनाते हैं? विहिप नेता ने मिशनरियों को चुनौती दी कि पंजाब के अस्पतालों में गंभीर रोगों से ग्रस्त हजारों मरीज भर्ती हैं। मिशनरी उन सब को ठीक करके दिखाए।
सिखों और हिंदुओं के धर्म ग्रंथों में मानवता के कल्याण के लिए अनमोल संदेश हैं, जिन्हें पूरी दुनिया स्वीकार करती है। कोई भी समझदार व्यक्ति सोच समझकर इन पावन ग्रंथों का प्रकाश छोड़कर कैसे जा सकता है? बाइबल को हमारे पवित्र ग्रंथों से बड़ा बता कर क्या वे सिखों और हिंदुओं के धर्म ग्रंथों की बेअदबी का महापाप नहीं करते? एक ‘पतित’ परिवार द्वारा कुछ वर्ष पूर्व एक पवित्र ग्रंथ की बेअदबी का समाचार ज्यादा पुराना नहीं हुआ है। आज पूरी दुनिया में चर्च बदनाम हो चुका है।
विहिप ने कहा कि पिछले दिनों फ्रांस के एक आयोग ने रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें बताया गया था कि पादरियों द्वारा 3,30,000 से अधिक बच्चों का यौन शोषण किया गया। ननों के यौन शोषण के आरोपों से वेटिकन सिटी भी अछूता नहीं रहा। भारत में तो कई नन इसी कारण आत्महत्या भी कर चुकी है। जालंधर का बिशप फ्रैंको ननों के यौन शोषण का आरोपी है और केरल की अदालत में उस पर मुकदमा चल रहा है। दुनिया भर के चर्च अपने पादरियों के लिए माफी मांग रहे हैं, लेकिन जब बिशप फ्रैंको को जब जमानत मिली तो पंजाब के ईसाई समाज ने बड़ी बेशर्मी से उसका स्वागत किया था। पंजाब का सिख और हिंदू समाज चर्च की इस बेशर्मी और चरित्र हीनता को बर्दाश्त नहीं कर सकता।
विहिप ने विश्वास जताया कि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और अकाल तख्त की पहल के बाद पंजाब में कन्वर्जन पर पूर्ण विराम लगेगा। विहिप ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के 150 जत्थे निकालने के निर्णय का स्वागत करते हुए अपने कार्यकर्ताओं को भी इन जत्थों में शामिल करने का आग्रह किया। विहिप और गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी मिलकर पंजाब को कन्वर्जन से मुक्त करा सकती है। साथ ही, विहिप ने पंजाब सरकार से अपील किया कि वह पंजाबी समाज की भावनाओं तथा गुरुओं की परंपराओं का सम्मान करते हुए कन्वर्जन के विरुद्ध कानून बनाए। विहिप ने मिशनरियों को चेतावनी दी है कि वे कन्वर्जन की गतिविधियों को अविलंब बंद करें अन्यथा उन्हें पंजाब से बोरिया बिस्तर लपेटने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। साथ ही, बिशप फ्रैंको तथा अन्य पादरियों के अपने पापों के लिए माफी मांगने को कहा।
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