डॉ. ईश्वर बैरागी
राजस्थान के टोंक जिले के मालपुरा से हिंदू पलायन कर रहे हैं। इस क्षेत्र में मुसलमानों की आबादी बढ़ने के बाद अब तक 600-700 हिंदू अपने घर बेचकर जा चुके हैं। इन घरों को मुसलमानों ने खरीदा है। हिंदू परिवारों ने ‘संपत्ति जिहाद’ रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से गुहार लगाई है
एक ओर केंद्र सरकार पड़ोसी देशों से धार्मिक आधार पर प्रताड़ित होकर आने वाले सिख और हिन्दू समाज के लोगों को देश में शरण दे रही है। वहीं, राजस्थान में कांग्रेस सरकार की तुष्टीकरण नीति के चलते बहुसंख्यक हिन्दू समाज ‘संपत्ति जिहाद’ का शिकार हो रहा है। जयपुर का पुराना क्षेत्र, मेवात और सीमावर्ती पश्चिमी राजस्थान में तेजी से हिन्दू पलायन हो रहा है। मुस्लिम बस्तियों से लगे क्षेत्रों में तेजी से जनसांख्यिकी परिवर्तन हो रहा है। ऐसे कई मुहल्ले और गांव हैं, जो अब हिन्दू विहीन हो चुके हैं। इन क्षेत्रों में मंदिरों में पूजा तो दूर, ताले तक नहीं खुल पा रहे हैं।
मालपुरा में असुरक्षा और पलायन के आरोप भ्रामक और निराधार हैं। मालपुरा के लोगों के बीच आपसी भाईचारा और प्रेम है। मालपुरा के लोग मजबूत और सशक्त हैं। भ्रामक प्रचार करने वालों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई होगी। मालपुरा में लोगों ने अपनी मर्जी से राजी खुशी संपत्ति बेची है। भारतीय संविधान में नागरिकों को संपत्ति खरीदने और बेचने का अधिकार है। जिले के वासियों से भी अपील है कि धार्मिक सौहार्द बिगाड़ने वालों और दो समुदायों के बीच कटुता पैदा करने वालों से सावधान रहें।
—ओम प्रकाश, पुलिस अधीक्षक, टोंक
टोंक जिले के मालपुरा उपखण्ड में ‘संपत्ति जिहाद’ का मामला सामने आया है। मालपुरा में मुस्लिमों से प्रताड़ित हिन्दू समुदाय से जुड़े सैंकड़ों परिवारों ने लगातार दो दिन तक चिलचिलाती धूप में धरना प्रदर्शन कर मालपुरा एसडीएम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नाम पांच सूत्री ज्ञापन सौंपकर न्याय की गुहार लगाई है। प्रदर्शन के दौरान प्रशासन का दोहरा रवैया सामने आया है। प्रशासन ने दोषियों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करने के बजाय धरना-प्रदर्शन कर रहे लोगों के विरुद्ध ही कानूनी कार्रवाई करने की चेतावनी देकर धरना-प्रदर्शन रोकने की कोशिश की। हालांकि लोग प्रशासन की चेतावनी के बाद भी धरने पर डटे रहे।
दरअसल, 1950 से लेकर अब तक मालपुरा कस्बा अतिसंवेदनशील रहा है। यहां साम्प्रदायिक तनाव आज भी बना हुआ है। इससे मुस्लिम समाज की बस्तियों के नजदीक रहने वाले हिंदू परिवारों को पलायन करना पड़ रहा है। अब तक लगभग 600 से 800 परिवार पलायन कर चुके हैं। ज्ञापन में कहा गया है कि मालपुरा कस्बे का पुराना क्षेत्र पलायन की चपेट में है। मुस्लिम समाज के लोग हिंदू परिवारों के मकान खरीद रहे हैं। हालात यह है कि इन बस्तियों में मुस्लिम आबादी तेजी से बढ़ रही है। दूसरी ओर हिन्दू समाज उजड़ता जा रहा है। मुस्लिम समाज के लोग महंगे दामों पर भूमि खरीद कर ‘सम्पति जिहाद’ बढ़ा रहे हैं जिससे अन्य लोगों को बस्ती छोड़कर पलायन होने को विवश होना पड़ रहा है। मालपुरा में ही गुर्जर, स्वर्णकार, माली और जैन समाज के कई मंदिर और धार्मिक स्थल हैं, लेकिन इन पर ताले जड़े हुए हैं। इन मंदिरों से मूर्तियां तक दूसरे मंदिरों में भेजी जा रही हैं। गांधी पार्क से लेकर मंदिरों तक अवैध तरीके से मांस की दुकानें संचालित हो रही हंै। साम्प्रदायिक संवेदनशीलता का अंदाजा इस बात से लगाया जा रहा है कि पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी यात्राओं के मार्ग परिवर्तित करवा चुके हैं। अभी हाल ही में जैन समाज के महावीर चौक क्षेत्र में हेमराज शर्मा के मकान को एक मुस्लिम परिवार ने ज्यादा राशि देकर बिना रजिस्ट्री करवाए खरीदा और वहां रहना शुरू कर दिया।
इन परिवारों के युवक दिन भर बिना कारण बाइक दौड़ाते हैं और हिंदू महिलाओं व लड़कियों पर अश्लील फब्तियां कसते हैं। इस कारण क्षेत्र में महिलाओं, बच्चों और युवाओं में भय का वातावरण व्याप्त है। वहीं, पूरे मामले को लेकर जब मीडिया ने कलेक्टर चिन्मयी गोपाल सहित प्रशासनिक अधिकारियों से पक्ष जानना चाहा तो उन्होंने मामूली बात कह कर आॅन कैमरा कुछ भी बोलने से स्पष्ट मना कर दिया।
स्थानीय निवासी एवं अधिवक्ता के.के. जैन कहते हैं कि 1992 में मालपुरा में जिस प्रकार की घटना हुई, उसके बाद हिंदुओं का पलायन तेजी से बढ़ा है। एक साथ बड़ी संख्या में हिंदू समाज के मकान खाली हो गए, जिन्हें मुस्लिम समाज ने खरीद लिया। आज स्थिति ऐसी है कि कोई एक मुस्लिम मकान खरीदता है तो आसपास के दस हिंदू असुरक्षा के कारण मकान बेचने को विवश हो जाते हैं। ताजा मामला वार्ड 21 व 12 का है। यहां एक हिन्दू से अधिक पैसे देकर मुस्लिम समुदाय के एक व्यक्ति ने मकान खरीद लिया। देखते ही देखते वार्ड 12 व 21 में रहने वाले हिन्दू समाज में असुरक्षा की भावना पैदा हो गई। मुस्लिम समाज के लड़के हिन्दू समाज के मुहल्लों में चक्कर काटते व घूरते रहते थे जिससे लड़कियों और महिलाओं का घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया। उनका कहना है कि वे अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। यदि उन्हें सुरक्षा नहीं दी गई तो उन्हें विवश होकर वहां से पलायन करना पड़ेगा।
ज्ञापन में प्रमुख मांगें
हिंदू परिवारों ने एसडीएम को जो ज्ञापन सौंपा है, उसमें उनकी पांच मांगें शामिल हैं। महावीर चौक पर स्थित हेमराज शर्मा के मकान में रह रहे मुस्लिम समुदाय के लोगों को हटाया जाए। मुस्लिम बस्तियों के नजदीक हिंदू समाज के मकानों, प्लाटों को गैर हिंदू को क्रय करने व विक्रय पत्र तस्दीक करने पर कानूनी पाबंदी लगाई जाए। मुस्लिम बस्तियों के नजदीक के हिंदू मकानों, नोहरे, बाड़े, भूखंडों पर मुस्लिम समुदाय का व्यक्ति आकर किसी भी हिस्से से कब्जा न करे। मुस्लिम बस्तियों और इनसे लगे सभी हिंदू धार्मिक स्थलों व आस्था के केंद्रों की सुरक्षा व्यवस्था की जाए। अवांछित गतिविधियों को रोका जाए तथा अतिक्रमण किए गए पूजा स्थलों, धार्मिक आस्था वाले स्थानों को अतिक्रमण मुक्त करवाया जाए। नजदीकी हिंदू बस्तियों में भय पैदा करने की मंशा से बिना कारण मोटरसाइकिल व पैदल घूमने वाले लोगों पर कानूनी कार्रवाई कर सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था की जाए।
उल्लेखनीय है कि मालपुरा अतिसंवेदनशील कस्बा है। यहां आरएससी बटालियन की आठ कंपनियां तैनात रहती हैं। यह वह़ी मालपुरा कस्बा है, जहां कावंड़ियों पर बेरहमी से हमले किए गए थे। साथ ही, यहां आईएसआईएस के समर्थन में नारेबाजी हो चुकी है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर टोंक जिला प्रशासन इतने संवेदनशील मसले को मामूली बता क्यों इतिश्री करने पर आमादा है? क्यों समय रहते हिंदू समाज की समस्याओं पर गौर नहीं किया जा रहा? क्यों प्रदर्शनकारियों पर कानूनी कार्रवाई का दबाव बनाया जा रहा है? उम्मीद तो यही है कि मुख्यमंत्री जल्द ही इस मसले में गम्भीरता दिखाएंगे और लापरवाह अफसरों के खिलाफ कार्रवाई कर आमजन को राहत देंगे।
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