तीन तलाक कानून का इतना डर है कि मुस्लिम पुरुष दहशत में हैं। महिलाओं में अब सुरक्षा की भावना है। मोदी सरकार, मुस्लिम महिलाओं को प्रताड़ित होने से रोकने के लिए तीन तलाक कानून लायी थी। 2019 में आए इस कानून के बाद से इस तरह के मामलों में 80 फीसदी की कमी आयी है।
दिनेश मानसेरा
तीन तलाक कानून का इतना डर है कि मुस्लिम पुरुष दहशत में हैं। महिलाओं में अब सुरक्षा की भावना है। मोदी सरकार, मुस्लिम महिलाओं को प्रताड़ित होने से रोकने के लिए तीन तलाक कानून लायी थी। 2019 में आए इस कानून के बाद से इस तरह के मामलों में 80 फीसदी की कमी आयी है।
यूपी में हर साल करीब 63 हज़ार मामले तीन तलाक के आते हैं। जिसमें मुस्लिम महिलाओं को प्रताड़ित किया जाता रहा था। शरीयत की आड़ लेकर मुस्लिम पुरुष अपनी स्त्रियों के साथ उत्पीड़न, मानसिक यातनाएं और आर्थिक शोषण किया करते थे। मोदी सरकार ने 7 जुलाई, 2019 को तीन तलाक कानून को मान्यता देकर हर साल लाखों की संख्या में मुस्लिम महिलाओं को उनका वाजिब हक दिलाने का काम किया।
2 अगस्त, 2019 को तीन तलाक उत्पीड़न का पहला मामला मथुरा में दर्ज हुआ। जिसके बाद से मुस्लिम पुरुषों में तीन तलाक कानून का डर बैठ गया है। अब मुस्लिम पुरुष अपनी पत्नी को तीन तलाक बोलने से पहले दस बार सोचता है। ताजा जानकारी के मुताबिक मामलों में 80 फीसदी की कमी आ चुकी है।
पिछले एक साल में 1450 मामले तीन तलाक के सामने आए, जिसमें 265 लोगों की गिरफ्तारी हुई और 50 को चार्जशीट भी दी गयी। अभी भी सबसे ज्यादा तीन तलाक के मामले 376 केस मेरठ जिले से ही आये हैं। सहारनपुर से 17, शामली से 10 और मुजफ्फरनगर से 16 मामले आये है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार विदेशों में मोबाइल से एसएमएस, व्हाट्सएप के जरिये तीन बार तलाक बोलकर मुस्लिम महिलाओं का उत्पीड़न करने के मामले सबसे ज्यादा संज्ञान में आ रहे हैं।
दो दिन पहले मुरादाबाद के भोजपुर में एक मुस्लिम महिला के साथ उसके नंदोई ने दुष्कर्म किया। फिर उसके पति ने उसे तलाक दे दिया। छजलैट थाना में ये मामला दर्ज हुआ है। महिला को उसके पति ने घर से निकाल दिया।
मुरादाबाद जिले के कुंदरकी थाना में भी एक मामला ऐसा दर्ज हुआ है कि सऊदी अरब में बैठे युवक ने अपनी पत्नी को फोन पर तलाक दे दिया। प्रताड़ित महिला ने पुलिस में मामला दर्ज करवाया है, जिस पर पुलिस कार्रवाई करने जा रही है। पश्चिम उत्तर प्रदेश के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में तीन तलाक को लेकर मुस्लिम महिलाओं में जागरूकता भी है। उन्हें अधिवक्ताओं द्वारा भी उनके हक़ के लिए जागरूक किया जाता रहा है। तीन तलाक कानून का खौफ भी कम नहीं है।मुस्लिम पुरुष तीन बार तलाक़ तलाक़ तलाक़ कहने से पहले दस बार अब सोचता है कि वह कहीं कानून के जाल में फंस तो नहीं जाएगा।
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