राज्य की भाजपा सरकार उत्तराखंड में विवाह या गुप्त एजेंडे के जरिये कन्वर्जन पर बने कानून को सख्त करने जा रही है। राज्य सरकार ने लव जिहाद जैसे मामलों पर पुलिस मुख्यालय से रिपोर्ट मांगी है।
दिनेश मानसेरा
राज्य की भाजपा सरकार उत्तराखंड में विवाह या गुप्त एजेंडे के जरिये कन्वर्जन पर बने कानून को सख्त करने जा रही है। राज्य सरकार ने लव जिहाद जैसे मामलों पर पुलिस मुख्यालय से रिपोर्ट मांगी है। जानकारी के मुताबिक हाल के कुछ वर्षों में लव जिहाद के मामले उत्तराखंड में बढ़े हैं और राज्य में बढ़ती गैर हिन्दू आबादी से राज्य की भाजपा सरकार चिंतित है। ऐसे में सरकार चाहती है कि यूपी की तर्ज पर लव जिहाद पर सख्त कानून बनाया जाए।
उत्तराखंड में कन्वर्जन को रोकने के लिए 2018 में उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता विधयेक विधानसभा में पारित होकर राज्यपाल से मंजूर हो चुका है, किंतु इसका कानून के रूप में अनुपालन नहीं किया जा रहा। जबकि इसमें बल पूर्वक कन्वर्जन के मामले सामने आने पर जेल भेजने का प्रावधान है। अनुसूचितजाति और अनुसूचित जनजाति के कन्वर्जन मामले में न्यूनतम दो साल की जेल और जुर्माना दोनों का प्रावधान है। धोखे से कन्वर्जन मामलों के सामने आने पर मां—बाप भाई बहन पर भी मुकदमा दर्ज कराए जाने की व्यवस्था इस विधेयक में है। इस विधेयक में यह भी स्पष्ट किया गया है कि कन्वर्जन के उद्देश्य से विवाह किया गया है तो वह विवाह भी अमान्य होगा। कन्वर्जन के मामलों को जिला मजिस्ट्रेट या कार्यपालक मजिस्ट्रेट के समक्ष एक माह पहले शपथ पत्र देना होगा और मजिस्ट्रेट पहले इसकी तफ्तीश करेगा। 2018 में इस विधयेक के बन जाने के बाद पुलिस—प्रशासन ने इसे व्यावहारिक रूप नहीं दिया और इसे लागू करने से बचते रहे।
कुछ दिन पहले उत्तराखंड रक्षा समिति के संस्थापक दर्शन भारती ने इस बारे में सरकार का ध्यान आकृष्ट किया, जिसके बाद सरकार हरकत में आई है। इस विधेयक का ड्राफ्ट बनाने में सक्रिय रहे अधिवक्ता वैभव कांडपाल कहते हैं कि यह विधेयक यदि सरकार शासन से प्रभावी करवाए तो उत्तराखंड में कन्वर्जन को रोका जा सकता है। यह सीमांत प्रदेश देव भूमि के लिए जरूरी भी है।
भाजपा के अजेंद्र अजय कहते हैं कि देव भूमि का स्वरूप बना रहे। इसलिए ऐसे कदम उठाने की जरूरत है। लव जिहाद एवं चर्च द्वारा किए जा रहे कन्वर्जन को तत्काल बंद किया जाना चाहिए।
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