विदेश: तालिबानी बमबारी के बीच देश के लिए एकजुट होकर सड़कों पर उतरे आम अफगानी, हैरात और काबुल में नजर आया अद्भुत नजारा
हेरात के कुछ इलाकों में तालिबानी बमबारी (बाएं) के बीच सड़कों पर अफगानिस्तान का झंडा लेकर जिहादियों के विरुद्ध एकजुटता प्रदर्शित करते हुए आम अफगानी। (प्रकोष्ठ में) इस्माइल खान
अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने भी सड़क पर उतरकर तालिबानियों का सार्वजनिक तौर पर विरोध किया। बाद में सालेह ने ट्वीट में लिखा, 'यह एक ऐतिहासिक घड़ी है। यह जवाब है काबुल की जनता का।'
अफगानिस्तान में तालिबानी बर्बरता चरम पर है। मजहबी जिहादियों ने अफगानिस्तान के रक्षा मंत्री और एक सांसद के घर पर भीषण हमले बोले हैं। इन हमलों के दौरान अफगानी लोगों ने गजब की एकजुटता दिखाई और सड़कों पर उतर कर तालिबान के विरुद्ध अपना रोष प्रकट करते हुए 'अल्लाहू अकबर' के नारे गुंजाए। पहले भी खबर दी जा चुकी है कि छोटे शहरों और गांवों में बड़ी तादाद में आमजन ने हत्यारे तालिबानी दस्तों के खिलाफ हथियार उठाए थे।
इस बीच काबुल में जबरदस्त फिदायीन हमला भी बोला गया था। अफगानिस्तान की राजधानी में तालिबान जिहादियों ने भारी हिंसा बरपाई है। फिदायीन जिहादियों ने रक्षामंत्री बिस्मिल्ला खान और उन सांसद मोहसिन आजिमी के घर पर हमला बोलकर भारी नुकसान पहुंचाया है जो तालिबान जिहादियों के विरुद्ध खूब मुखर रहे हैं। तालिबानी हत्यारे आजिमी के घर में दाखिल होकर अचानक गोलियां बरसाने लगे थे। अफगानिस्तान के मीडिया की मानें तो उन हमलों में सांसद के परिजनों सहित करीब 10 लोगों की जान गई है।
लेकिन तारीफ करनी होगी अफगानी अवाम की जिसने ऐसे भीषण हमलों के बावजूद काबुल की बहुत बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरकर मजहबी जिहादियों के खिलाफ एकजुटता दिखाई। जनता की भीड़ देर तक 'अल्लाहू अकबर' के नारे लगाती रही। उधर अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने भी सड़क पर उतरकर तालिबानियों का सार्वजनिक तौर पर विरोध किया। बाद में सालेह ने ट्वीट किया। उसमें उन्होंने लिखा, 'यह एक ऐतिहासिक घड़ी है। यह जवाब है काबुल की जनता का। अल्लाहू अकबर। तालिबान जिहादियों और उनके सहयोगियों समर्थन करने वालों को मौत नसीब हो। यह जोश और राष्ट्रवाद का वह पल है जिसे कभी भूलाया नहीं जा सकता।' सालेह ने यह भी कहा कि 'अल्लाह तालिबानी जिहादियों के हाथ का खिलौना नहीं है। हेरात ने अपनी दहाड़ सुना दी है। आज की रात हेरात के लोग या तो सड़कों पर हैं या फिर अपने घरों की छतों पर। वे सब वहीं से अफगानी सेना के प्रति अपना समर्थन व्यक्त कर रहे हैं।'
राजधानी काबुल से पहले, तालिबान के विरुद्ध यही नजारा हेरात शहर में भी देखने में आया था। लोगों ने वहां एकजुट होकर अफगानिस्तान के प्रति वफादारी दिखाते हुए जोरदार नारे गुंजाए। सड़कों पर जनता की भीड़ देर शाम तक जमी रही थी। सड़कों पर ही नहीं, बड़ी संख्या में आम लोग अपने अपने घरों की छतों पर मौजूद थे और घरों की छत से ही तालिबान के विरुद्ध जबरदस्त नारेबाजी कर रहे थे।
अफगानिस्तान के रक्षामंत्री ने भी एक संदेश जारी करके सूचना दी कि उनकी रिहाइश पर जिहादी हमला कर उसे निशाना बनाया गया। उन्होंने लिखा कि वे और उनके परिवार वाले एकदम सुरक्षित हैं, लेकिन कई सुरक्षा गार्ड घायल हुए हैं। बिस्मिल्ला खान का कहना है कि इन हमलों से वह नहीं डरेंगे और तालिबान को मुंहतोड़ जवाब देते रहेंगे। खान पिछले दसियों साल से तालिबान उन्मादियों के निशाने पर रहे हैं।
राजधानी काबुल से पहले, तालिबान के विरुद्ध यही नजारा हेरात शहर में भी देखने में आया था। लोगों ने वहां एकजुट होकर अफगानिस्तान के प्रति वफादारी दिखाते हुए जोरदार नारे गुंजाए। सड़कों पर जनता की भीड़ देर शाम तक जमी रही थी। सड़कों पर ही नहीं, बड़ी संख्या में आम लोग अपने अपने घरों की छतों पर मौजूद थे और घरों की छत से ही तालिबान के विरुद्ध जबरदस्त नारेबाजी कर रहे थे। बताते हैं हेरात में तालिबान के विरुद्ध लोगों को एकजुट होकर नारे लगाने की प्रेरणा वयोवृद्ध अफगानी नेता इस्माइल खान ने दी थी।
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