स्तुति सरदाना
कोविड काल ने हमारे काम करने के तरीके को बदल दिया है। कार्यस्थल पर काम करने के तरीके तेजी से बदले हैं। पहले घर पर रहना अवकाश माना जाता था, अब घर से काम को न्यू नॉर्मल माना जा रहा है। अब आमने-सामने मुलाकात के मुकाबले आॅनलाइन बैठकों-मुलाकातों ने नए आयाम सृजित किए हैं। इन नए न्यू नॉर्मल से कुछ उद्योग क्षेत्रों को नुकसान हुआ है तो कुछ उद्योग क्षेत्रों में भारी मांग उत्पन्न हुई है
कोविड-19 महामारी ने कार्य संस्कृति में भारी बदलाव कर दिए हैं। यह महज अनिश्चितता के कारण उत्पन्न व्यावसायिक दबाव नहीं है। बुनियादी स्तर पर इसने हमारे काम करने के तरीके को बदल दिया है। कार्यस्थल की अवधारणा ही स्वयं इतनी तेजी से उन्नत हुई है कि इसके कारण तमाम पारंपरिक फर्मों को भी जीवित रहने के लिए इन बदलती प्रवृतियों को अपनाना पड़ा है। इन परिवर्तनों की तेजी एक समस्या है। किसी संगठन के भीतर संगठनात्मक संस्कृति को व्यक्तियों द्वारा प्रदर्शित व्यवहार के सामूहिक मानदंडों द्वारा परिभाषित किया जाता है। सामान्य तौर पर, कार्यस्थल की संस्कृति बहुत तेजी से नहीं बदलती, बल्कि यह बहुत धीमी गति से अनुकूलित होती है, कई छोटे प्रोत्साहनों के संग्रह और सामयिक एहसास के प्रभाव में एक लंबी अवधि में यह बदलती है। लेकिन कोविड युग को हमेशा इसके एक अद्भुत अपवाद के रूप में याद किया जाएगा।
‘घर से काम’ एक ‘न्यू नॉर्मल’ है
कोविड-19 महामारी का कार्यस्थल संस्कृति पर जबरदस्त और तीव्र प्रभाव पड़ा है। वैश्विक लॉकडाउन और यात्रा प्रतिबंधों ने कार्य की प्रकृति और कॉर्पोरेट संवाद की अवधारणाओं को समाप्त कर दिया है। लोगों ने पाया है कि उन्हें किसी कार्यालय में होने की जरूरत नहीं है तथा वे ज्यादातर काम दूर से करवा सकते हैं। उन्हें कार्यस्थल तक आने-जाने की जरूरत नहीं है। बहुतों ने बहुत थोड़े से दुष्प्रभावों के साथ दूर-दूर तक जाकर किए जाने वाले अपने व्यवसायों को बड़ी तेजी से घर-आधारित कर लिया। इससे संगठनों को महामारी के बाद दूरस्थ कार्य रणनीति और कार्यस्थल के नए स्वरूप समेत कार्य और कार्यस्थल के विभिन्न मुद्दों से संबंधित पक्षों पर विचार करने का अधिक समय मिला है।
महामारी की एक सबसे अच्छी बात यह है कि इसने दूरस्थ कार्य प्रथाओं को तेजी से और व्यापक रूप से अपनाने के लिए बाध्य किया है, अन्यथा ऐसा होने में अनेक वर्ष या दशक लग जाते। इसीलिए अब कंपनियां महामारी के बाद के माहौल में दूरस्थ कार्य प्रथाओं को तेजी से लागू करने के लिए अच्छी तरह से तैयार हैं।
कामकाज का लचीला माहौल
महामारी के बाद, बड़े पैमाने पर कार्यबल ने अपना काम दूरस्थ स्थानों पर स्थानांतरित किया और कर्मचारियों ने आवागमन और अपने कार्यालय स्थान को छोड़ कर घरों से ही काम करना शुरू कर दिया। इससे कॉर्पोरेट संस्कृति को धक्का पहुंचा और कंपनियों ने अपने व्यवसाय की वास्तविकता का पक्ष खो दिया। इसकी शुरुआत सामाजिक मेलजोल के लिए कंपनियों की ओर से मुफ्त काफी, विश्रामघर, जिम आदि के लिए मिलने वाले भत्तों से हुई। कॉर्पोरेट जगत ने यह सब कुछ खो दिया।
दशकों से कार्यालयों में केंद्रित कामकाज का आधिकारिक नारा 9 से 5 रहा है। कोविड-19 युग में यह कठोर संरचना बदल गई, क्योंकि कंपनियों ने अनावश्यक बैठकों और कार्यालय समय की अवधारणाओं का त्याग कर दिया। इसे एक कर्मचारी के नजरिये से देखें तो वे अब कार्यदशाओं के बारे में लचीले विकल्प अपना सकते हैं और अपना कार्य-जीवन संतुलन पटरी पर ला सकते हैं। जो व्यवसाय कॉपोर्रेट संस्कृति के इस नए मॉडल को अपनाने में सक्षम होंगे, उन्हें निश्चित रूप से उद्योग में प्रतिस्पर्धात्मक लाभ प्राप्त होंगे, क्योंकि वे टीम वर्क की भावना के साथ संगठन में चुस्ती-फुर्ती बनाए रखने में सक्षम होंगे।
कंपनियां और कर्मचारी अब अधिक तकनीक-प्रेमी
महामारी की घड़ी में डिजिटल उपकरणों को तेजी से अपनाना जरूरत के रूप में उभरा है। निश्चित रूप से, ज्यादातर पेशेवर कार्य टेक्नोलॉजी की सहायता से दूरस्थ रूप से किए जा सकते हैं। आधुनिक सहयोगी टेक्नोलॉजी जैसे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, स्क्रीन-शेयरिंग, डिजिटल साझा फाइल भंडारण, दस्तावेजों का एक साथ बहु-संलेखन, डिजिटल व्हाइटबोर्ड, स्मार्टफोन चैट समूह आदि उपयोगकर्ता की सहूलियत के लिए आसानी से उपलब्ध हैं। संगठनों ने अब हठधर्मिता और आमने-सामने बात करने की सहूलियत को त्याग दिया है। उनका ध्यान अब टेक्नोलॉजी की दिशा में मुड़ गया और आभासी गतिविधियां इन दिनों की नई प्रवृत्ति बन गई हैं।
सांस्कृतिक परिवर्तन
महामारी के कारण हुई सबसे महत्वपूर्ण बातों में से एक यह है कि इसने सांस्कृतिक परिवर्तन के लिए उत्प्रेरक का काम किया है। मिसाल के तौर पर, कंपनियों के भरोसे में वृद्धि हुई है, पदानुक्रम पहले की तुलना में सपाट हुए हैं और निर्णय लेने की प्रक्रिया अधिक तेज और चुस्त हुई है। महामारी काल से महामारी-पश्चात काल के कार्यस्थल संक्रमणकाल में वे कंपनियां ज्यादा सफल होंगी जो इन सांस्कृतिक लाभों को बचाए रखने का रास्ता तलाश लेंगी और पिछली संस्कृति में लौटने से बचेंगी।
भर्ती का तरीका बदला
विगत में, कई कंपनियां केवल भर्ती के शुरुआती चरणों में वीडियो कॉन्फ्रेंस का तरीका अपनाती थीं ताकि आमतौर पर उम्मीदवारों की बड़ी संख्या में से छांट करके केवल बेहतर उम्मीदवारों को व्यक्तिगत साक्षात्कार के लिए बुलाया जा सके। परंतु जब से महामारी और सामाजिक एकांतता की शुरुआत हुई, व्यवसायों को प्रारंभिक साक्षात्कार से लेकर अंतिम पेशकश करने तक की पूरी प्रक्रिया का प्रबंधन वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से करना पड़ा है। इसका लाभ यह है कि टीमों में भौगोलिक रूप से ज्यादा व्यापक क्षेत्र के कर्मचारियों को शामिल किया जा सकता है। रिश्ते बनाने और व्यक्तियों का मूल्यांकन करने के अलावा नए दूरस्थ कार्यस्थल के अनुकूल होने के उनके कौशल के विकास के काम में वीडियो कारगर है। संक्षेप में, स्काइप, जूम और यहां तक कि वाट्सऐप साक्षात्कार को भी अपनाना कर इन्हें हमारी दिनचर्या का हिस्सा बनाना होगा।
पिछला साल नियोक्ताओं के लिए मुश्किल भरा था। महामारी और इसके दुष्प्रभावों ने कुछ प्रतिभा अधिग्रहण टीमों को तबाह कर दिया, तो दूसरों पर नई मांगों का ढेर लग गया। ये स्थितियां ऐतिहासिक परिवर्तनकारी साबित हुर्इं क्योंकि कार्यबल का आभासी चयन करना और उन्हें सेवा में शामिल करना बहुत से संगठनों के लिए सामान्य मानक बन चुका है। अब ज्यादा कंपनियां आभासी भर्ती तकनीकें अपनाएंगी, दूरस्थ प्रतिभाओं को आकर्षित करने के प्रयास करेंगी, आंतरिक प्रतिभा पूल बनाने पर विचार करेंगी और विविधता, समता तथा समावेशन पर ध्यान देंगी।
उभरते कार्यबल के लिए भर्ती रुझान
कोविड-19 का प्रकोप देश-दुनिया में जारी है और अभूतपूर्व चुनौतियों का सामना करते व्यवसाय उत्पादकता बनाए रखने के तरीके तलाश कर रहे हैं। कर्मचारी प्रक्रियाओं का प्रबंधन, कर्मचारियों की संख्या बढ़ाना-घटाना, और कार्यभार को बनाए रखना कई व्यवसायों में दूरस्थ प्रक्रिया बन गई है, क्योंकि वे अपने कर्मचारियों, ग्राहकों और जनता की रक्षा करना चाहते हैं।
महामारी ने कार्यबल के एक बड़े क्षेत्र को इतना परिवर्तित कर दिया है जिसकी उम्मीद नहीं थी। सामाजिक दूरी बनाए रखने के निर्धारित उपायों ने सक्षम संगठनों के लिए दूरस्थ कार्य को नया मानदंड बना दिया है। कर्मचारीगण अपने घरों में कार्यस्थल बना रहे हैं और अक्सर अपने बच्चों और व्यक्तिगत दायित्वों का प्रबंधन भी कर रहे हैं। दूसरी ओर, व्यवसायों को इस एकाएक भारी बदलाव के अनुरूप ढलने और जीवित रहने के लिए कठोर निर्णय लेने पड़ रहे हैं। भर्ती के तौर-तरीकों में रातोंरात बदलाव आ गया है।
कुछ उद्योग इस महामारी में नष्ट हो रहे हैं, जबकि कुछ अन्य मांग को पूरा करने के लिए नए कर्मचारी रखने के काम में तेजी ला रहे हैं। स्वास्थ्य सेवा प्रदाता वह सबसे बड़ा क्षेत्र हो सकते हैं जो कर्मचारियों की संख्या बढ़ाना चाहते हैं ताकि वे अभी दिख रही और संभावित सबसे बुरी स्थितियों के लिए तैयार हो सकें।
साथ ही और जैसे-जैसे लोग आॅनलाइन शॉपिंग की ओर रुख कर रहे हैं, सामान पहुंचाने वालों, वेयरहाउसिंग और वितरण के क्षेत्र में भी बड़े पैमाने पर कर्मचारियों की भर्ती हो रही है। महामारी के दौरान भी कारोबार करते रहे किराने का सामान, फॉर्मेसी और आॅनलाइन खाद्य सामग्री प्रदाता जैसे आवश्यक खुदरा विक्रेता मांग को पूरा करने के लिए बड़े पैमाने पर लोगों को काम पर रख रहे हैं।
यात्रा, रेस्तरां और आतिथ्य उद्योग वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वालों में शामिल हैं। अंतरराष्ट्रीय होटल और रेस्तरां शृंखलाओं से लेकर एयरलाइंस और परिवार द्वारा संचालित रेस्तरां तक महामारी ने दुनिया भर में इस क्षेत्र को कर्मचारियों की छंटनी के लिए मजबूर किया है। इसके कारण मनोरंजन स्थलों पर भी व्यापक असर पड़ा है। गैर-आवश्यक वस्तुओं-सेवाओं का कारोबार प्रकोप के समय ठप हो गया। इन सारे क्षेत्रों के सामने कर्मचारियों की संख्या कम करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था। अपने कर्मचारियों की संख्या कम करने के क्रम में तमाम क्षेत्रों ने नौकरियों में कटौती कर दी, जिसके कारण इन क्षेत्रों का कार्यबल बाजार में आसानी से उपलब्ध है।
महामारी में उभरे कार्यबल – शीर्ष 5 क्षेत्र
हेल्थकेयर स्टाफ- डॉक्टर, नर्स, लैब टेक्नीशियन, क्लिनिकल फार्मासिस्ट की अब तक की सबसे अधिक मांग रही है, क्योंकि स्वास्थ्य सेवा एकमात्र ऐसा क्षेत्र है जो कोविड के कारण बढ़ा है।
फॉर्मेसी और चिकित्सा उपकरण कार्यबल – चाहे वह दवाओं, चिकित्सा उपकरणों और टीकों का निर्माण हो, या उनका वितरण और बिक्री, फॉर्मेसी से संबंधित जनशक्ति की मांग अधिक रही है। यह महामारी में दूसरा सबसे अधिक लाभान्वित क्षेत्र रहा है।
आईटी पेशेवर – आईटी / सॉफ्टवेयर सेवा क्षेत्र महामारी में काफी बढ़ गया है और अब तक के उच्चतम स्तर पर है। कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप के दौरान व्यवसाय में बने रहने की चुनौतियों से पार पाने के लिए भारतीय संगठनों ने डिजिटलीकरण पर बहुत अधिक भरोसा दिखाया है। चाहे वह ओटीटी के माध्यम से घर बैठे मनोरंजन हो, बैंकिंग का डिजिटलीकरण या डिजिटल कार्यालयों और शिक्षा संस्थानों के लिए आवश्यक आॅनलाइन प्लेटफॉर्म और ऐप, महामारी के दौरान इससे बचे रहने में आम आदमी की मदद करते हुए सूचना तकनीक के दक्ष पेशेवरों ने अपनी कुशल सेवाओं से बाजी मारी है।
ट्यूटर और कोचिंग मेंटर्स- ई-लर्निंग की नई अवधारणा के कारण, छात्रों ने स्कूल और कॉलेज जाना बंद कर दिया है। इसने व्यक्तिगत रूप से ध्यान दे पाने के लिए छोटे समूहों में छात्रों को परामर्श और पढ़ाने की सुविधा देने वाले ई-लर्निंग ट्यूटर्स और कोचों की मांग को बढ़ा दिया है। यह महामारी में पांचवां सबसे अधिक लाभान्वित क्षेत्र रहा है।
कुल मिलाकर, नई डिजिटल संस्कृति ने कंपनियों को कार्यालय-आधारित-वितरण संस्कृति को कहीं-से-भी-वितरण संस्कृति में परिवर्तित करने की सुविधा प्रदान की है। व्यवसायों ने हाल के महीनों का उपयोग यह पता लगाने में किया है कि उत्पादों और सेवाओं का वितरण करने में वे कितने लचीले हो सकते हैं और ज्यादातर ने ऐसे नवाचार विकसित किए हैं जिनका उपयोग महामारी के समाप्त होने के बाद भी होता रहेगा। इस दौरान कंपनियों ने अपने महत्वपूर्ण कार्यबल को बनाए रखने के लिए सर्वोत्तम पुरस्कार रणनीतियां अपनाई हैं। इस पक्ष की भूमिका दूर से काम करने की सुविधा या स्वचालन प्रक्रियाओं से कहीं अधिक है। इसका संबंध इससे है कि व्यवसायों के नेतृत्वकर्ता महामारी के बाद के काल में नए व्यापार मॉडल विकसित करने के लिए किस तरह कार्यबल को नए सिरे से तैयार और उन्नत कर सकते हैं।
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