हल्दीबाड़ी से अंतरराष्ट्रीय सीमा की दूरी 4.5 किमी है।
दोनों देशों के बीच व्यापार संबंधों को मजबूत करने के लिए हल्दीबाड़ी-चिलाहाटी रेल मार्ग मार्ग पर माल ढुलाई सेवाएं बहाल हो गई हैं। 17 दिसंबर, 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस रेल मार्ग का उद्घाटन किया गया।
भारत और बांग्लादेश के बीच लगभग 56 साल के बाद हल्दीबाड़ी-चिलाहाटी रेल मार्ग पर मालगाडि़यों का नियमित संचालन फिर से शुरू हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख हसीना ने आभासी बैठक के दौरान 17 िदसंबर, 2020 को हल्दीबाड़ी-चिलाहाटी रेल लिंक को दोबारा शुरू कियाथा। इसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच व्यापार संबंधों को मजबूत करना था। इस रेल लिंक के शुरू होने से पूर्वोत्तर भारत को अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रवेश करने का अवसर मिलने की भी उम्मीद है।
हालांकि, पिछले साल उद्घाटन के बाद कोरोना महामारी के कारण इस मार्ग पर आधिकारिक तौर पर कोई रेल नहीं चली। पत्थरों से लदी 58 डिब्बों वाली मालगाड़ी रविवार सुबह 10:30 बजे अलीपुरद्वार से डिमडिमा स्टेशन के लिए रवाना हुई, जो बांग्लादेशमें हल्दीबाड़ी के रास्ते चिल्हाटी जाती है। हल्दीबाड़ी रेलवे स्टेशन से अंतरराष्ट्रीय सीमा की दूरी 4.5 किलोमीटर और चिलाहाटी से 'शून्य बिंदु' तक 7.5 किमी है। हल्दीबाड़ी स्टेशन पार करने के बाद यह खालपारा-डंगापारा स्थित इमिग्रेशन चेक पोस्ट पर पहुंची।
इस अवसर पर मौजूद उत्तर बंगाल चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष किशोर मरोदिया ने कहा कि रेल लिंक पर वाणिज्यिक सेवा शुरू होने से उत्तर बंगाल के जिलों और पूरे राज्य में आर्थिक विकास में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, "क्षेत्र के व्यवसायी बहुत खुश हैं।"
चक्रधरपुर मंडल के टाटानगर से बांग्लादेश के बेनापोल के लिए चौथी ऑक्सीजन एक्सप्रेस ट्रेन रवाना हुई। यह ट्रेन टाटानगर से 10 कंटेनरों में 200 टन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन लेकर रवाना हुई। लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन (एलएमओ) की सामान मात्रा वाली पहली, दूसरी और तीसरी ऑक्सीजन एक्सप्रेस ट्रेनें पहले ही बांग्लादेश के बेनापोल पहुंच चुकी हैं। ये ट्रेनें टाटानगर से क्रमश: 24 जुलाई, 27 जुलाई और 29 जुलाई को कोविड प्रभावित रोगियों की मदद के लिए रवाना हुई थीं।
1965 में बंद हो गया था रेल मार्ग
आजादी के बाद भारत और बांग्लादेश (तब पूर्वी पाकिस्तान) के बीच केवल सात रेल मार्ग चालू थे। दोनों देशों का लक्ष्य अब उन पुराने रेल संपर्कों को पुनर्जीवित करना है। अब तक पश्चिम बंगाल को बांग्लादेश से जोड़ने वाले पांच लिंक चालू हो गए हैं, जिनमें पेट्रापोल (भारत)-बेनापोल (बांग्लादेश), गेदे (भारत)-दर्शन (बांग्लादेश), सिंहाबाद (भारत)- रोहनपुर (बांग्लादेश), राधिकापुर (भारत)-बिरोल (बांग्लादेश) और हल्दीबाड़ी-चिलाहाटी।
हल्दीबाड़ी-चिलाहाटी रेल लिंक 1965 तक चालू था। यह विभाजन के दौरान कोलकाता से सिलीगुड़ी तक ब्रॉड-गेज मुख्य सड़क का हिस्सा था। विभाजन के बाद भी असम और उत्तरी बंगाल की यात्रा करने वाली ट्रेनें पूर्व में पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) जाती रहीं। हालांकि, 1965 के (भारत-पाकिस्तान) युद्ध ने भारत और बांग्लादेश के बीच सभी रेलवे लिंक को प्रभावी ढंग से काट दिया।
मई 2015 में अंतर सरकारी रेलवे की बैठक में संयुक्त घोषणा के बाद रेलवे बोर्ड ने हल्दीबाड़ी स्टेशन से बांग्लादेश सीमा तक एक नई ब्रॉड गेज लाइन के निर्माण को मंजूरी दी थी। हल्दीबाड़ी स्टेशन से बांग्लादेश सीमा तक रेल मार्ग का निर्माण 2016 में शुरू हुआ और 2017 में समाप्त हुआ। भारतीय रेलवे ने 82 करोड़ रुपये की लागत से पटरियों को बहाल किया। हल्दीबाड़ी-चिलाहाटी रेल मार्ग से भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापार, सामाजिक और आर्थिक संबंधों में सुधार की उम्मीद है, और नेपाल और भूटान जैसे अन्य दक्षिण एशियाई देशों को भी लाभ होगा।
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