पाञ्चजन्य ब्यूरो
नई शिक्षा नीति की पहली वर्षगांठ के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि यह सिर्फ कोई प्रपत्र नहीं बल्कि एक महायज्ञ है, जो नए देश की नींव रखेगा और एक सदी तैयार करेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि अब इसे जमीन पर उतारने के लिए जो भी करना होगा, वह जल्द किया जाएगा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि नई शिक्षा नीति युवाओं की आशा-आकांक्षाओं और भविष्य को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति युवाओं को विश्वास दिलाती है कि देश अब पूरी तरह से उनके साथ है, उनके हौसलों के साथ है। प्रधानमंत्री मोदी ने नई शिक्षा नीति की पहली वर्षगांठ के अवसर पर 29 जुलाई को शिक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित कार्यक्रम को वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया। उन्होंने कहा कि बीते एक वर्ष में शिक्षकों, प्रधानाचार्यों, नीतिकारों ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को धरातल पर उतारने में कड़ी मेहनत की है।
मोदी ने कहा कि भविष्य में हम कितना आगे जाएंगे, कितनी ऊंचाई प्राप्त करेंगे, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि हम अपने युवाओं को वर्तमान में कैसी शिक्षा और कैसी दिशा दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति राष्ट्र निर्माण के महायज्ञ में बड़ा योगदान देगी। उन्होंने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति युवाओं को विश्वास दिलाती है कि देश अब पूरी तरह से उनके साथ है, उनके हौसलों के साथ है।
पिंजरों से मुक्त होंगे युवाओं के सपने
प्रधानमंत्री ने कहा कि 21वीं सदी का युवा अपनी व्यवस्थाएं और दुनिया अपने हिसाब से बनाना चाहता है। उसे मंच चाहिए और साथ ही पुराने बंधनों व पिंजरों से मुक्ति चाहिए। मल्टीपल एंट्री और एग्जिट की जो व्यवस्था आज शुरू हुई है, इसने विद्यार्थियों को एक ही कक्षा और एक ही पाठ्यक्रम में जकड़े रहने की मजबूरी से मुक्त कर दिया है। उन्होंने कहा कि देश का युवा अब कभी भी अपनी स्ट्रीम में बदलाव कर सकता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सिर्फ कोई प्रपत्र नहीं बल्कि एक महायज्ञ है, जो नए देश की नींव रखेगा और एक सदी तैयार करेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि अब इसे जमीन पर उतारने के लिए जो भी करना होगा, वह जल्द किया जाएगा। प्रधानमंत्री ने इसे लागू करने में हर संभव सहायता का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा, मैं आपके साथ हूं। शिक्षा नीति में देश के लक्ष्यों का ध्यान रखना जरूरी है, ताकि भविष्य के लिए नई पीढ़ी को तैयार किया जा सके। यह नीति नए भारत की नींव रखेगी।
नये पाठ्यक्रम बनाएंगे भविष्योन्मुखी
मोदी ने अकादमिक बैंक आॅफ क्रेडिट और विद्या प्रवेश सहित शुरू किए गए नए शैक्षणिक कार्यक्रमों का उल्लेख करते हुए कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) का कार्यक्रम युवाओं को भविष्योन्मुखी बनाएगा और एआई संचालित अर्थव्यवस्था के रास्ते खोलेगा। उन्होंने कहा कि दशकों से यह माहौल था जिसमें समझा जाता था कि अच्छी पढ़ाई के लिए विदेश जाना जरूरी है। अब स्थिति इससे उलट होगी और अच्छी पढ़ाई व श्रेष्ठ संस्थानों में दाखिले के लिए विदेशों से विद्यार्थी भारत आएंगे। उन्होंने कहा कि भावी संभावनाओं को साकार करने के लिए देश के युवाओं को दुनिया से एक कदम आगे होना पड़ेगा और आगे का सोचना होगा। स्वास्थ्य, रक्षा, ढांचागत सुविधाओं, तकनीक में आगे ले जाने के लिए देश को हर दिशा में समर्थ और आत्मनिर्भर होना होगा। आत्मनिर्भर भारत का यह रास्ता स्किल डेवलपमेंट और तकनीक से होकर जाता है।
स्थानीय भाषाओं में इंजीनियरिंग की पढ़ाई
प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें खुशी है कि 8 राज्यों के 14 इंजीनियरिंग कॉलेज 5 भारतीय भाषाओं- हिंदी-तमिल, तेलुगू, मराठी और बांग्ला में इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू करने जा रहे हैं। इंजीनिरिंग के कोर्स का 11 भारतीय भाषाओं में अनुवाद का एक टूल भी विकसित किया जा चुका है। इसका सबसे ज्यादा लाभ देश के गरीब और मिडिल क्लास के स्टूडेंट्स को होगा। दलितों और आदिवासियों को होगा। मातृभाषा में पढ़ाई से गरीबों के बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ेगा। इसके अलावा प्रारंभिक शिक्षा में भी मातृभाषा को प्रमोट करने का काम शुरू हो गया है। उन्होंने कहा कि भारतीय साइन लैंग्वेज को पहली बार एक भाषा विषय का दर्जा प्रदान किया गया है। अब छात्र इसे एक भाषा के तौर पर भी पढ़ पाएंगे। इससे भारतीय साइन लैंग्वेज को बहुत बढ़ावा मिलेगा, हमारे दिव्यांग साथियों को बहुत मदद मिलेगी।
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