म्यांमार और बांग्लादेश से रोहिंग्या मुस्लिम लड़कियों को उत्तर प्रदेश में लाकर बेचा जाता है. इसकी सूचना मिलने पर उत्तर प्रदेश की एटीएस इस गिरोह के बारे में पता लगा रही थी. एटीएस ने बांग्लादेशी नागरिक नूर मोहम्मद एवं दो रोहिंग्या- रहमतुल्लाह और शबीउल्लाह – को गाज़ियाबाद स्टेशन से गिरफ्तार किया. मौके से दो नाबालिग रोहिंग्या लड़कियां और एक नाबालिग रोहिंग्या लड़के को मुक्त कराया गया. इन तीनों को बेचने के लिए नई दिल्ली ले जाया जा रहा था.
पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) प्रशांत कुमार के अनुसार, ये एक अंतरराष्ट्रीय गिरोह है जो म्यांमार और बांग्लादेश से महिलाओं, युवतियों और बच्चों को उत्तर प्रदेश एवं अन्य जगहों पर ले जाता है. कई इलाकों में उन्हें बेचा जाता था. नाबालिग रोहिंग्याओं को खरीदने वालों की भी तलाश की जा रही है.
जानकारी के अनुसार इस गिरोह का सरगना नूर मोहम्मद, रोहिंग्या लड़कियों और बच्चों को बांग्लादेश से अवैध रूप से त्रिपुरा में दाखिल कराता था. वहां से इन लोगों को भारत के विभिन्न प्रदेशों में बेचा जाता था. नूर मोहम्मद कुछ लोगों के साथ मिलकर अवैध रोहिंग्या मुसलमानों का भारतीय पहचान पत्र भी बनवाता था. जिन रोहिंग्या युवतियों का पासपोर्ट बन जाता था. उन लोगों को मलेशिया और बैंकाक भेजा जाता था. इन लड़कियों का शोषण भी किया जाता था.
जिन लड़कियों को गाजियाबाद रेलवे स्टेशन से मुक्त कराया गया. उन लड़कियों ने पुलिस को बताया कि शादी कराने का झांसा देकर नई दिल्ली ले जाया जा रहा था. इस तरह के गिरोह किसी खतरनाक षड्यंत्र का हिस्सा भी हो सकते हैं इसलिए एटीएस , रोहिंग्या मुस्लिमों पर लगातार नजर बनाए हुए है.
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