इस्लामाबाद में सऊदी अरब के विदेश मंत्री प्रिंस फैजल बिन बरहान अल सौद के साथ पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी
तुर्की के कदमों पर चलते हुए पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने कश्मीर और फिलिस्तीन दोनों को एक ही पलड़े में रखा। एफएटीएफ की ग्रे सूची में कुलबुलाते, कंगाली के कगार पर खड़े पाकिस्तान को चीन के अलावा सऊदी अरब भी कई बार दे चुका है कर्ज
गत 27 जुलाई को सऊदी अरब के विदेश मंत्री प्रिंस फैजल बिन बरहान अल सौद पाकिस्तान के दौरे पर थे। वहां राजधानी इस्लामाबाद में उन्होंने पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी से द्वपक्षीय बात की। इस मौके पर जब क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए काम करने पर चर्चा हुई तो कुरैशी ने अपना पसंदीदा राग कश्मीर छेड़ दिया। तुर्की के कदमों पर चलते हुए पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने कश्मीर और फिलिस्तीन दोनों को एक ही पलड़े में रखा। दोनों के बीच आर्थिक संबंधों तथा नए क्षेत्रों में सहयोग को और बढ़ाने पर एक समझौता भी हुआ। एफएटीएफ की ग्रे सूची में कुलबुलाते कंगाली के कगार पर खड़े पाकिस्तान को पैसे की भारी दरकार है। चीन के अलावा सऊदी अरब भी कई बार उसके आड़े वक्त में कटोरे में कर्ज डाल चुका है। लिहाजा आर्थिक सहयोग के करार में क्या होगा, इसका अंदाजा लगाना कोई मुश्किल बात नहीं है। 'इस्लामी उम्मा' का कार्ड खेलना पाकिस्तान इतने सालों में सीख ही गया है।
जब बात आई क्षेत्रीय शांति और स्थिरता की तो कुरैशी फैजल के मुंह से यह उगलवाने में कामयाब रहे कि 'सुरक्षा तथा स्थिरता आर्थिक समृद्धि के लिए दोनों देश मिलकर काम करने को तैयार हैं। फैजल ने कहा, 'हम इलाकाई मुद्दों पर काम करने के लिए सहमत हुए हैं, चाहे वह कश्मीर हो, फिलिस्तीन या यमन। हम अपने दोनों हिस्सों में स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए साथ काम करेंगे।'
बहरहाल जब बात आई क्षेत्रीय शांति और स्थिरता की तो कुरैशी फैजल के मुंह से यह उगलवाने में कामयाब रहे कि सुरक्षा तथा स्थिरता आर्थिक समृद्धि के लिए दोनों देश मिलकर काम करने को तैयार हैं। फैजल ने कहा, 'हम इलाकाई मुद्दों पर काम करने के लिए सहमत हुए हैं, चाहे वह कश्मीर हो, फिलिस्तीन या यमन। हम अपने दोनों हिस्सों में स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए साथ काम करेंगे।'
प्रिंस फैजल ने पाकिस्तान में 'परंपरागत क्षेत्रों में निवेश' करने की बात की। सऊदी-पाकिस्तान सर्वोच्च समन्वय परिषद दोनों देशों के बीच उच्चस्तरीय संबंधों के लिए मुख्य माध्यम है। गत मई में पाकिस्तान के प्रधानमंंत्री इमरान खान सऊदी अरब गए थे। तब भी दोनों देशों ने कारोबारी समुदायों के बीच आर्थिक संबंधों को और मजबूत करने की बात की थी।
कुरैशी ने सऊदी अरब के विदेश मंत्री के सामने अपने देश में पैसा लगाने की गुहार करते हुए 60 अरब अमेरिकी डॉलर की लागत वाले चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे की तारीफों के पुल बांधे। उन्होंने कहा कि इस एसईजेड में पैसा लगाने के लिए काफी अवसर हैं। कुरैशी की मानें तो पाकिस्तान संस्कृति, सूचना, मीडिया, मनोरंजन और खेल के क्षेत्र में सऊदी अरब के साथ रिश्तों को और बढ़ा सकता है। असलियत तो कुरैशी भी जानते हैं कि उपरोक्त किसी भी क्षेत्र में पाकिस्तान को दुनिया में कोई नहीं पूछता। बहरहाल, कुरैशी एफएटीएफ में पाकिस्तान का समर्थन करने और जम्मू-कश्मीर पर इस्लामिक सहयोग संपर्क समूह के गठन में सऊदी अरब द्वारा निभाई भूमिका के लिए प्रिंस फैजल के सामने उसका धन्यवाद करना नहीं भूले।
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