सुनील राय
राकेश टिकैत ने कहा है कि जब तक तीनों कानून वापस नहीं होते, तब तक किसान आंदोलन वापस नहीं होगा. लखनऊ को भी दिल्ली बना देंगे. लखनऊ के चारों तरफ के रास्तों का भी वही हाल होगा जो दिल्ली में हुआ था. दरअसल, गत 26 जनवरी को तिरंगे का अपमान कराने वाले राकेश टिकैत बेगुनाह लोगों को उकसा कर उनसे हिंसा कराना चाहते हैं ताकि पुलिस की कार्रवाई में बेगुनाह लोगों का खून बहे और टिकैत की राजनीति किसी भी तरह चमक जाए.
किसानों की आड़ में आन्दोलन चलाने वाले राकेश टिकैत काफी समय से किसान आन्दोलन को हिंसक बनाने का प्रयास कर रहे हैं. पिछले गणतंत्र दिवस को हुई घटना भी उसी षड्यंत्र का हिस्सा थी. राकेश टिकैत को पूरा विश्वास था कि लाल किले की प्राचीर पर चढ़कर तिरंगे का अपमान करने के बाद वहां पर गोली चलेगी और खून – खराबा होगा. गणतंत्र दिवस पर हुई घटना के बाद पुलिस ने संयम से काम लिया. मगर उपद्रव करने वालों को समझ में आ गया कि उन लोगों ने बड़ी घटना को अंजाम दिया था. सो, उन लोगों ने टिकैत का साथ छोड़ दिया. खुद को अकेला पड़ता देख टिकैत ने आंसू बहा कर रोना शुरू कर दिया और जाट बिरादरी के लोगों का आह्वान किया.
तिरंगे के अपमान के बाद राकेश टिकैत के मन की बात जुबान पर आ गई थी. उन्होंने कहा भी था कि “ तिरंगे की सुरक्षा के लिए पुलिस ने गोली क्यों नहीं चलाई ?” राकेश टिकैत का यह कहना कि पुलिस ने गोली क्यों नहीं चलाई? इस बात की तरफ साफ़ इशारा करता है कि वे गोली चलने का इन्तजार कर रहे थे. अपने आंदोलन को शांतिपूर्ण बताने वाले राकेश टिकैत, गोली चलाने का सवाल क्यों पूछ रहे थे? राकेश टिकैत ने यह भी कहा था कि “यह सब कुछ पुलिस और प्रशासन की वजह से हुआ. अगर वह चाहते तो तिरंगे का अपमान रोक सकते थे ? इसका मतलब साफ़ है कि राकेश टिकैत खून-खराबा कराना चाहते थे. उन्हें पूरा विश्वास था कि पुलिस जैसे ही गोली चलायेगी. पूरा मामला पलट जाएगा.
इसी रक्त रंजित विश्वास की डोर वो अभी भी थामे हुए हैं. उन्हें मालूम हैं कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, कानून तोड़ने वालों से किस सख्ती के साथ निपटते हैं. अब राकेश टिकैत का मंसूबा अधिकतर लोग समझ चुके हैं. गत 26 जनवरी की घटना के बाद अधिकतर लोग उनका साथ छोड़कर जा हुके हैं. राकेश टिकैत का आंदोलन बेअसर हो चुका है. राकेश टिकैत अब कुछ लोगों को बरगला कर हिंसात्मक आंदोलन की तैयारी करते हुए दिख रहे हैं. उनके ताजा बयान से साफ़ है. जिस तरह से उन्होंने कहा है कि लखनऊ को भी दिल्ली बनाया जाएगा.
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