संजय तिवारी की फेसबुक वॉल से
जालंधर की निकिता सैनी एक अस्पताल में कर्मचारी हैं। स्वतंत्र सोच-विचार की रही होंगी, इसलिए पति की गुलामी बर्दाश्त नहीं हुई और तलाक ले लिया। इसके बाद भी नौकरी और जीवन चलता रहा। लेकिन भरी जवानी में अकेला जीवन कहां चल पाता है? उसी दौरान उनके स्कूल के एक सहपाठी सैयद आफरीन शाह से उनकी बातचीत होती रही। आफरीन जम्मू के पठानकोट का था और लगातार फेसबुक-व्हाट्सएप के जरिये उनसे जुड़ा हुआ था। निकिता कहती हैं कि आफरीन को उनके बारे में सब पता था कि वे तलाक ले चुकी हैं और अकेली रहती हैं।
इसी साल जनवरी में आफरीन मां को लेकर जालंधर इलाज के लिए आया। उसकी मां को कैंसर है। उसने निकिता से मदद मांगी। निकिता ने बढ़-चढ़कर मदद की और उन्हें अच्छे अस्पताल में दिखाया भी। इसी दौरान आफरीन की मां ने निकिता के सामने प्रस्ताव रखा कि वह उनके बेटे से शादी कर लें। वे लोग स्वतंत्र सोच के व्यक्ति हैं और इस्लाम स्वीकार करने का कोई दबाव नहीं डालेंगे। आफरीन ने भी निकिता से कहा, अकेले जीवन कैसे चलेगा? साथ-साथ चलते हैं। आफरीन ने कहा कि वह ‘जियो और जीने दो’ नामक एक संस्था चलाता है, जिसका उद्देश्य ही यही है कि तलाकशुदा या विधवा औरतों का उद्धार कर सके।
खैर, निकिता भी तैयार हो गई। दोनों का सहारनपुर कलियर शरीफ में निकाह कराया गया। अब पहली बार निकिता को धक्का लगा, क्योंकि निकाह के दौरान उसका नाम बदलकर नफीसा आरफीन शाह कर दिया गया। निकाहनामा में उसका नाम निकिता की बजाय नफीसा लिखा गया। उसने सवाल किया तो कहा गया कि ये तो सिर्फ एक औपचारिकता है। इससे कोई मतलब नहीं है। इस उदार (लिबरल) औपचारिकता के बाद दोनों हरिद्वार गये और मंदिर में हिन्दू रीति- रिवाज से भी विवाह किया।
विवाह के बाद निकिता जब पठानकोट पहंची तो एक-दो दिन सब सामान्य रहा। लेकिन तीसरी रात परिवार के लोग निकिता को लेकर बैठ गये। इस बैठक में आफरीन का बाप, बड़ा भाई, मां सभी शामिल थे। निकिता को समझाया गया कि वह आफरीन के बाप मकबूल शाह से निकाह कर ले। शादी के सप्ताह भर के भीतर निकिता पर यह दूसरा वज्रपात था। रातभर सब यही समझाते रहे कि वह उनके बाप से निकाह कर ले। निकिता रात में तैयार नहीं हुई तो अगले दिन सुबह उसकी सास ने फिर से समझाया कि देखो, मुझे कैंसर है और मैं अपने पति से जिस्मानी रिश्ता नहीं बना सकती। अगर तुम मेरे पति से निकाह कर लो तो उनकी जरूरत पूरी हो जाएगी और घर की बात घर में ही रह जाएगी। निकिता अपने शौहर के बाप के साथ हमबिस्तर होने के लिए तैयार न हुई और लौटकर जालंधर आ गई।
जालंधर पहुंचकर शौहर से बात की तो उसने भी कहा, इसमें क्या बुराई है। घर की बात घर में ही रह जाएगी। फिर भी निकिता तैयार न हुई। उसे समझ में आ गया कि उसका शौहर उससे घर में ही वेश्यावृत्ति करवाना चाहता है। इसके लिए उसे बीस हजार रुपये माहवार देने की पेशकश भी हुई, लेकिन वह तैयार न हुई और पुलिस में शिकायत कर दी। पर जम्मू का पुलिस महकमा निकिता की कोई मदद नहीं कर रहा, क्योंकि वहां भी सच्चे मोमिन बैठे हैं। निकिता को समझ नहीं आ रहा कि क्या करे? उसे डर है कि उसके शौहर का बंदूक का कारोबार है और अगर उसने इन लोगों की बात नहीं मानी तो उसकी हत्या कर दी जाएगी। स्वतंत्र सोच का इतना बुरा नतीजा निकलेगा, इसका अंदाज निकिता को शायद नहीं रहा होगा।
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