संजीव कुमार
दरभंगा स्टेशन पर 17 जून को पार्सल ब्लास्ट मामले में तीन गिरफ्तारियां हुई हैं। दो लोगों को उत्तर प्रदेश के शामली से तो तीसरे को सिकंदराबाद से गिरफ्तार किया गया
दरभंगा स्टेशन पर 17 जून को पार्सल ब्लास्ट मामले में तीन गिरफ्तारियां 25 जून को हुईं। दो गिरफ्तारी उत्तर प्रदेश के शामली से हुईं। शामली के कैराना से हाजी सलीम कासिम और कफील की गिरफ्तारी हुई। कफील, कासिम का पुत्र है। सिकंदराबाद से जो पार्सल दरभंगा भेजा गया था, उस पर दिया गया मोबाइल नंबर शामली के कैराना कस्बे के कफील का था। वहीं सिकंदराबाद से तेलंगाना एटीएस ने एक गिरफ्तारी की है। यह आईएसआई का हैंडलर बताया जाता है। सिकंदराबाद के जीआरपी के इंस्पेक्टर का तबादला कर दिया गया है। इस मामले में जीआरपी के सिकंदराबाद डीएसपी एन.चंद्रभानु से पूछताछ की जा रही है। अब इस मामले की जांच एनआईए की टीम करेगी।
इस पार्सल ब्लास्ट की जांच में नित्य चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। विस्फोट में उच्च तीव्रता के केमिकल बम का इस्तेमाल किया गया था। कपड़े की गांठ में होने और पार्सल स्टेशन पर उतर जाने के कारण ब्लास्ट से कोई बहुत बड़ा नुकसान नहीं हुआ। एफएसएल रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ।
एफएसएल की जो रिपोर्ट बिहार एटीएस को सौंपी गई है, उसमें कई बातें बताई गई हैं। यह भी जानकारी दी गई है कि इसमें हाईडेन सिटी केमिकल बम था। इस बम को कपड़े के बंडल में रखा गया था। कपड़े की गांठ में होने के कारण इस केमिकल से बड़ा धमाका नहीं हुआ। कपड़े की इस गांठ का पार्सल तेलंगाना के सिकंदराबाद स्टेशन से बुक किया गया था। पार्सल को दरभंगा का मोहम्मद सुफियान रिसीव करने वाला था। हैरतअंगेज बात यह है कि इस मोहम्मद सुफियान का कुछ अता-पता नहीं है। इस ब्लास्ट को लेकर राज्य और केन्द्र सरकार सक्रिय है। बिहार के अलावा तेलंगाना और उत्तर प्रदेश के पुलिस दल भी इस मामले की विशेष निगरानी कर रहे हैं।
संयुक्त रिपोर्ट के आधार पर होगी कार्रवाई
इस मामले को लेकर बिहार, उत्तर प्रदेश और तेलंगाना पुलिस जांच में जुटी हुई है। तीनों राज्यों की एटीएस एक साथ इस मामले की जांच कर रही है। 24 जून को उत्तर प्रदेश एटीएस की टीम भी पटना पहुंच गई जो बिहार एटीएस अधिकारियों के साथ मिलकर जांच में जुटी है। गुरुवार को पटना में एक उच्च स्तरीय बैठक हुई। इसमें बिहार रेल पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एटीएस के अधिकारी, एफएसएल के वरिष्ठ अधिकारी और उत्तर प्रदेश से आई एटीएस की टीम भी शामिल थी। इनके साथ वर्चुअल तरीके से तेलंगाना एटीएस की टीम भी जुड़ी। बैठक के बाद तीनों राज्यों की एटीएस ने एक संयुक्त रिपोर्ट तैयार की। ऐसा माना जा रहा है कि आगे की कार्रवाई एनआईए करेगी।
देश के कई राज्यों में हुए हैं ऐसे विस्फोट
दरभंगा रेलवे स्टेशन पर हुए ब्लास्ट में जिन रसायनों का प्रयोग किया गया था, वह बड़े पैमाने पर क्षति पहुंचाते हैं। इस तरह के केमिकल का उपयोग आइइडी बम बनाने में किया जाता है। बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाने के लिए आतंकी आइइडी बम में ऐसे केमिकल का उपयोग करते हैं। इन बमों के ब्लास्ट होने पर आग की लपटें बड़े पैमाने पर फैलती हैं। ऐसे बम का इस्तेमाल प्रेशर सेनसिटिव बार्स सिस्टम या ट्रिप वायर सहित इंफ्रारेड मैग्नेटिक ट्रिगर्स अथवा रिमोट कंट्रोल से किया जाता है। भारत में आतंकियों ने कई स्थानों पर इस सिस्टम का उपयोग किया है। 2011 में जम्मू कश्मीर, 2013 में हैदराबाद, 2016 में पठानकोट धमाका जैसे कई उदाहरण हैं।
सावधानी से भेजा गया था केमिकल
दरभंगा रेलवे स्टेशन पर 17 जून को हुए धमाके ने एक बड़ी आतंकी साजिश को नाकाम कर दिया था। वास्तव में रेलवे स्टेशन पर पार्सल आया था। मोहम्मद सुफियान को दिए जाने वाले पार्सल को अलग कर जैसे ही कुली ने फर्स पर पटका, तेज धमाके के साथ गठ्ठर ने आग पकड़ ली। आतंकियों ने काफी सावधानी से इसे भेजा था। बोतल में दबाव नहीं पड़े इसलिए केमिकल को कपड़े की गांठ के बीच में छिपाया गया था। अगर इस केमिकल के साथ कोई और विस्फोटक पदार्थ होता तो कोई बड़ी घटना भी हो सकती थी।
मामले की गंभीरता को देखते हुए मिथिला के आईजी अजिताभ कुमार ब्लास्ट की जांच करने स्वयं पहुंचे थे। आईजी का भी मानना था कि दरभंगा पहले भी आतंकवादियों का गढ़ रह चुका है। दरभंगा माॅड्यूल आतंक की दुनिया में एक जाना-पहचाना नाम है। स्टेशन पर हुआ विस्फोट भले ही छोटा था। लेकिन इसके पीछे कई गंभीर राज छिपे हुए थे।
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