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गत 30 दिसंबर को कोलकाता के ओसवाल भवन सभागार में श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय की ओर से आयोजित एक विशेष समारोह में स्व. जुगल किशोर जैथलिया पर केन्द्रित पाञ्चजन्य साप्ताहिक के अंक ‘कर्मपथ के पथिक’का पाञ्चजन्य के संपादक श्री हितेश शंकर एवं प्रख्यात आयकर सलाहकार श्री सज्जन तुलस्यान ने लोकार्पण किया।
इस अवसर अपने उद्गार व्यक्त करते हुए श्री हितेश शंकर ने कहा कि जैथलिया जी का समग्र जीवन संकल्प और बड़े काम की कहानी है। रा. स्व. संघ से प्राप्त अनुशासन एवं राष्ट्र एवं समाज के लिए कुछ करने का संकल्प उनकी सबसे बड़ी प्रेरणा थी। उनके जीवन पर केन्द्रित यह अंक इस बात का प्रमाण है कि कोलकाता या देश के किसी अंचल में कोई बड़ा काम हो तो दिल्ली सजगता से उसका सम्मान करती है। उन्होंने कहा कि व्याख्यान का विषय ‘अपना काम देश के नाम’ जुगल जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व से जुड़कर अपनी सार्थकता पाता है। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से उपस्थित श्री सज्जन कुमार तुलस्यान ने कहा कि जुगलजी दूरदर्शी व्यक्ति थे। उनकी राष्ट्रनिष्ठा अनुकरणीय है। पाञ्चजन्य के माध्यम से उनके कार्य की सुगंध सारे देश में व्याप्त होगी और उनके कार्यों के बारे में लोग और अधिक जानेंगे।
समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित श्री प्रकाश बेताला ने छोटीखाटू (राजस्थान) में हिन्दी पुस्तकालय की स्थापना तथा वहां की साहित्यिक गतिविधियों के माध्यम से जुगलजी की व्यापक दृष्टि का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि वे मेरे जैसे अनेक कार्यकर्त्ताओं के प्रेरणास्रोत थे। उन्होंने अपने जीवन में कार्यकर्ताओं को गढ़ने का काम किया। अपने स्वागत भाषण में कुमारसभा के अध्यक्ष डॉ. प्रेमशंकर त्रिपाठी ने कहा कि जुगलजी पृष्ठभूमि में रहकर योग्यतानुसार कार्यकर्ताओं को दायित्व सौंपते थे। उन्होंने कार्यकर्त्ता निर्माण का महत्त्वपूर्ण काम किया।
इस अवसर पर समाज के विविध क्षेत्रों के विशिष्ट व्यक्तियों ने जुगलजी का भावभीन स्मरण किया। श्री सरदारमल कांकरिया ने उन्हें निष्ठावान, समर्पित समाजसेवी के रूप में याद किया तो श्री सुशील ओझा ने कहा कि जुगलजी की चारित्रिक दृढ़ता रेखांकित करने योग्य है, वे आज भी कार्यकर्त्ताओं में जीवित हैं। प्रभात खबर के संपादक श्री तारकेश्वर मिश्र ने जुगलजी का स्मरण करते हुए दो पंक्तियां कहीं-‘कुछ लोग हैं जो वक्त के सांचे में ढल गए / कुछ लोग हैं जो वक्त का सांचा बदल गए।’ वरिष्ठ साहित्यकार श्रीनिवास शर्मा ने कहा कि उन्होंने अपने व्यक्तित्व का समाजीकरण ही नहीं, राष्ट्रीयकरण किया। श्री रुगलाल सुराना ने कहा कि जैथलिया जी सामाजिजक संस्थाओं से सेतु थे। आज भी कार्यकर्ता उनको बड़े सम्मान के साथ याद करते हैं। धन्यवाद ज्ञापन पुस्तकालय के मंत्री श्री महावीर बजाज एवं कार्यक्रम का संचालन श्रीमती स्नेहलता ने किया। ल्ल प्रतिनिधि
चितरंजन में भी हुआ लोकार्पण
राष्ट्रीय पाठक मंच द्वारा पश्चिम बंगाल के चितरंजन में प्रसिद्ध समाजसेवी स्व. जुगल किशोर जैथलिया जी पर केंद्रित पाञ्चजन्य के विशेष अंक का लोकार्पण एवं पाञ्चजन्य, आॅर्गनाइजर तथा स्वस्तिका साप्ताहिक के सामूहिक पाठक सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस अवसर पर पाञ्चजन्य के संपादक श्री हितेश शंकर, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख श्री नरेंद्र ठाकुर, पूर्वी क्षेत्र के क्षेत्र प्रचारक श्री प्रदीप जोशी, प्रांत कार्यवाह श्री जिष्णु बसु एवं पश्चिम बंगाल प्रांत के प्रचार प्रमुख श्री बिप्लब दा प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। इस अवसर पर सैकड़ों की संख्या में पाठकों की उपस्थित रही। ल्ल
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