|
ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में 19 से 22 दिसंबर को चार दिवसीय हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा मेला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर गजपति महाराज दिव्य सिंहदेव ने कहा कि भारत को विश्व गुरु बनाना है तो पाठ्यक्रम में आध्यात्मिक शिक्षा को शामिल करना होगा। भारतीय संविधान को सम्मान देते हुए सभी धर्मावलंबियों से चर्चा कर भौतिक विद्या के साथ शिक्षा व्यवस्था में आध्यात्मिक विद्या को शामिल किया जाना चाहिए। इससे हम बच्चों को चरित्रवान बना सकते हैं। हम दो संस्कृति के बीच फंस गए हैं। कहां जाएं? रास्ता नहीं मिल रहा है। भारत का स्वरूप ऋषि मुनियों का रहा है, जो वर्तमान समय में खोता जा रहा है। भारत में भौतिक संस्कृति काफी तेजी से अपना पैर फैला रही है, जिससे देश की आध्यात्मिक संस्कृति विलुप्त हो रही है। मौजूदा परिवेश ही आध्यात्मिक शिक्षा के लिए अनुकूल नहीं है। इस अवसर पर आईएमसीटी की ट्रस्टी राजलक्ष्मी और आईएमसीटी के कार्यकारी अध्यक्ष मुरली मनोहर शर्मा ने भी अपने विचार रखे। सामूहिक कन्या पूजन भी किया गया, जिसमें 500 बच्चों ने 500 कन्याओं का वैदिक रीति से पूजन किया। इसके अलावा, 500 छात्र-छात्राओं ने गुरु वंदना में हिस्सा लिया। (विसंकें, ओडिशा)
टिप्पणियाँ