नजरिया बदलिये, खुशियां तो मिल ही जाएंगी
July 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

नजरिया बदलिये, खुशियां तो मिल ही जाएंगी

by
Sep 15, 2017, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 15 Sep 2017 14:43:34

समाचार लिखते समय यह तो मालूम होता है कि शुरुआत कहां से करनी है, लेकिन पत्र लिखते समय शुरुआत करना सबसे कठिन काम होता है। आज मैं चार दिन पुरानी घटना के बारे में लिख रही हूं। रिपोर्टिंग के लिए शहर से बाहर गई थी। लौटते समय पावर हाउस रेलवे स्टेशन पर ट्रेन का इंतजार कर रही थी। ट्रेन आने में देर थी, इसलिए पास ही बाजार में घूमने चली गई। घूमते-घूमते प्यास लगी तो पानी की बोतल खरीदने के लिए एक दुकान के पास रुकी। उसी समय मेरी नजर नट परिवार की एक तीन वर्षीया बेटी पर पड़ी। उसकी मां और भाई-बहन सहित परिवार के अन्य सदस्य भी पास ही बैठे हुए थे। मैंने देखा के बच्ची के सामने एक पॉलीथीन थी, जिसमें भात था। वह पॉलीथीन में से भात का एक-एक दाना निकाल कर खा रही थी। उसके चेहरे पर रंग पुता हुआ था।
खाते समय बच्ची मुझे देख रही थी और मैं उसे। उस मासूम से निगाहें टकराते ही मन व्याकुल हो उठा। सोचने लगी, कैसी अजीब परिस्थिति है? एक ओर प्यास बुझाने के लिए मैं पानी खरीद रही हूं और दूसरी ओर एक परिवार जैसे-तैसे थोड़े से सूखे भात से पेट भर रहा था। मां पॉलीथीन में से थोड़ा-थोेड़ा भात झिल्ली के छोटे टुकड़ों पर बच्चों को परोस रही थी। एक तो सूखा भात और इतनी कम मात्रा देखकर मेरी आंखों में आंसू आ गए। सोचने लगी कि इतने थोड़े भोजन से इनका पेट कैसे भरेगा? इतने में बड़ा बच्चा मां से थोड़ा और भात मांगता है तो वह उसे अपने हिस्से का भात उसे दे देती है। खुद भूखी रहकर मां को बच्चों का पेट भरता देखकर मैं मन ही मन मुस्करा रही थी। सोच रही थी कि मां तो मां ही होती है।  
मैं दस मिनट तक उस परिवार को देखती रही। चाह कर भी मैं उनसे निगाहें नहीं हटा पाई। सोच रही थी कि ऐसे लोगों की बेहतरी के लिए क्या किया जा सकता है? सबकुछ सरकार पर तो थोपा नहीं जा सकता। देश का नागरिक होने के नाते हमारा भी कुछ कर्तव्य है। एक ओर एनजीओ के जरिये जरूरतमंदों की सहायता के नाम पर लोग करोड़ों रुपये चंदा इकट्ठा करते हैं और दूसरी ओर इन जैसे लोगों की बेबसी का मजाक भी बना देते हैं। इसलिए मैं दोनों के बीच का रास्ता तलाश करने की कोशिश कर रही हूं। उम्मीद है, जल्दी ही रास्ता मिल जाएगा।  
ऐसी ही एक और घटना है। एक दिन दफ्तर से लौटते समय गोलगप्पे खाने की इच्छा हुई। ठेले वाले के पास पहुंची तो देखा कि चार बच्चे गोलगप्पे खा रहे हैं। इनमें तीन थोड़े बड़े थे, जबकि एक बच्ची करीब दो साल की रही होगी। उन्हें देखते ही बचपन याद आ गया। उन्हें देखकर हंसते हुए मैं भी गोलगप्पे खाने लगी। इसी बीच एक बच्चे ने उत्सुकता में गोलगप्पे वाले से धीरे से पूछा- 'कितना बचा है?' उसने कहा- '10 रुपये में इतना ही मिलता है।' कहकर वह हंसने लगा। जवाब सुनकर बच्चा मायूस हो गया। उसने तीनों साथियों को इशारा किया कि अब और नहीं मिलेगा तो उनके चेहरे भी उतर गए। शायद उनकी इच्छा और गोलगप्पे खाने की थी। मुझसे रहा नहीं गया। मैंने ठेले वाले से धीरे से कहा- 'चारों के लिए प्लेट लगा दो। पैसा मैं दूंगी, उन्हें कुछ मत बताना।' उसने तुरंत बच्चों के सामने प्लेट रख दी। यह देखकर बच्चों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। खाते हुए वे आपस में बात कर रहे थे- 'वाह! आज तो मजा आ गया।' यह सब देखकर मेरा मन आनंदित हो उठा, क्योंकि उस पल मैं अपने बचपन को याद कर रही थी।
यकीन मानिए 20 रुपये की गोलगप्पा पार्टी ने बच्चों की मायूसी को खुशी में बदल दिया। खाते-खाते मैं उनसे बात करने लगी। बच्चों ने बताया कि वे 10 रुपये लेकर आए थे। पहले तो गोलगप्पे वाले ने कहा कि अब नहीं मिलेगा, पर अगले ही पल सामने प्लेट में गोलगप्पे देखकर मन एकदम से खुश हो गया। उन्हें तो इस बात की भनक भी नहीं लगी कि 10 रुपये में इतने गोलगप्पे कैसे खाने को मिल गए। इस पूरे वाकये के बाद मैंने बच्चों की एक फोटो ली और उन्हें टाटा बोलकर आगे बढ़ गई। मेरी खुशी अब दोगुनी हो गई थी। स्कूटी चलाते हुए मन ही मन मुस्कुरा रही थी। एक बार फिर एहसास हुआ कि कभी-कभी खुशियां यूं ही राह चलते मिल जाया करती हैं। जरूरत तो बस देखने का नजरिया बदलने की होती है।     ल्ल

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

पुलवामा हमले के लिए Amazon से खरीदे गए थे विस्फोटक

गोरखनाथ मंदिर और पुलवामा हमले में Amazon से ऑनलाइन मंगाया गया विस्फोटक, आतंकियों ने यूज किया VPN और विदेशी भुगतान

25 साल पहले किया था सरकार के साथ फ्रॉड , अमेरिका में हुई अरेस्ट; अब CBI लायेगी भारत

Representational Image

महिलाओं पर Taliban के अत्याचार अब बर्दाश्त से बाहर, ICC ने जारी किए वारंट, शीर्ष कमांडर अखुंदजदा पर भी शिकंजा

एबीवीपी का 77वां स्थापना दिवस: पूर्वोत्तर भारत में ABVP

प्रतीकात्मक तस्वीर

रामनगर में दोबारा सर्वे में 17 अवैध मदरसे मिले, धामी सरकार के आदेश पर सभी सील

प्रतीकात्मक तस्वीर

मुस्लिम युवक ने हनुमान चालीसा पढ़कर हिंदू लड़की को फंसाया, फिर बनाने लगा इस्लाम कबूलने का दबाव

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

पुलवामा हमले के लिए Amazon से खरीदे गए थे विस्फोटक

गोरखनाथ मंदिर और पुलवामा हमले में Amazon से ऑनलाइन मंगाया गया विस्फोटक, आतंकियों ने यूज किया VPN और विदेशी भुगतान

25 साल पहले किया था सरकार के साथ फ्रॉड , अमेरिका में हुई अरेस्ट; अब CBI लायेगी भारत

Representational Image

महिलाओं पर Taliban के अत्याचार अब बर्दाश्त से बाहर, ICC ने जारी किए वारंट, शीर्ष कमांडर अखुंदजदा पर भी शिकंजा

एबीवीपी का 77वां स्थापना दिवस: पूर्वोत्तर भारत में ABVP

प्रतीकात्मक तस्वीर

रामनगर में दोबारा सर्वे में 17 अवैध मदरसे मिले, धामी सरकार के आदेश पर सभी सील

प्रतीकात्मक तस्वीर

मुस्लिम युवक ने हनुमान चालीसा पढ़कर हिंदू लड़की को फंसाया, फिर बनाने लगा इस्लाम कबूलने का दबाव

प्रतीकात्मक तस्वीर

उत्तराखंड में भारी बारिश का आसार, 124 सड़कें बंद, येलो अलर्ट जारी

हिंदू ट्रस्ट में काम, चर्च में प्रार्थना, TTD अधिकारी निलंबित

प्रतीकात्मक तस्वीर

12 साल बाद आ रही है हिमालय सनातन की नंदा देवी राजजात यात्रा

पंजाब: अंतरराष्ट्रीय ड्रग तस्कर गिरोह का पर्दाफाश, पाकिस्तानी कनेक्शन, 280 करोड़ की हेरोइन बरामद

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies