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हाथ में तिरंगा और जुबान पर भारत माता की जय के उद्घोष के साथ दिल्ली के राजपथ पर 'स्क्वैड्रन' कार्यक्रम का आयोजन देशभक्ति की मिसाल बन गया। साथ ही ऐसे राष्ट्रविरोधी तत्वों को चेतावनी भी दे गया जो देश विरोधी कार्य को अभिव्यक्ति की आजादी का नाम देते हैं। कारण अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर जिस प्रकार आए दिन शहीदों की शहादत पर सवाल खडे़ किए जा रहे हैं, उससे देश का युवा वर्ग उत्तेजित है। लिहाजा ऐसी नापाक हरकतों के विरुद्ध आवाज बुलंद हो रही है। ऐसा ही प्रयास 5 मार्च को दिल्ली के राजपथ पर दिखाई दिया। अवसर था गुमनाम शहीदों को नमन करने के लिए आयोजित एक दौड़, जिसे छात्रों ने नाम दिया 'स्क्वैडरन'।
करीब 200 छात्र-छात्राएं अपने अभिभावकों के साथ शहीदों को नमन करने के लिए राजपथ पर एकत्र हुए। भारत माता की जय बोलते इन युवाओं के उत्साह को देखकर इंडिया गेट पर सैर करने आए अन्य लोग भी देशभक्ति के इस कार्यक्रम में शामिल और देखते ही देखते 500 से अधिक लोग शहीदों के नाम इस दौड़ में जुट गए। शहीदों को नमन करने वाले ये छात्र दिल्ली विश्वविद्यालय के शहीद सुखदेव कॉलेज ऑफ बिजनेस स्टडीज के थे। 'भारत माता की जय' और वंदेमातरम् के नारों के बीच कॉलेज की प्राचार्या डॉ. पूनम वर्मा ने तिरंगा लहराकर दौड़ का शुभारंभ किया। दौड़ इंडिया गेट से शुरू होकर विजय चौक, मौलाना आजाद रोड होते हुए वापस इंडिया गेट पर ही संपन्न हुई।
दिल्ली पुलिस में एसीपी राजबीर मलिक भी एक अभिभावक के रूप में दौड़ में शामिल हुए। उनकी बेटी शहीद सुखदेव कॉलेज की छात्रा हैं। राजबीर मलिक ने कहा, ''बच्चों ने जब मुझे इस दौड़ का उद्देश्य बताया तो लगा कि अपने शहीदों को नमन करने के लिए इस प्रयास में हमें उन्हें प्रोत्साहित करना ही चाहिए। यही सोचकर मैं इस दौड़ में शामिल हुआ।'' छात्र शेखर मान ने कहा, ''जब सैनिकों की शहादत को अपमानित करने की कोशिश होती है तो मुझे बहुत कष्ट होता है। ऐसे प्रयासों की भर्त्सना करने और सैनिकों के सम्मान हेतु पूरी दिल्ली को एकजुट करने के लिए हम यहां दौड़े।''
छात्रा सौम्या सैनी कहती हैं,''शहीदों का अपमान हर देशभक्त नागरिक का अपमान है। इसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए। सरकार को चाहिए कि वह देशविरोधी तत्वों से सख्ती से निबटे।'' एक अन्य छात्र सक्षम वर्मा ने कहा, ''आज दिल्ली उनके सम्मान के लिए दौड़ी है जो सरहद पर हमारे लिए खड़े रहते हैं और जरूरत पड़ने पर अपनी जान भी दे देते हैं।'' शहीद सुखदेव कॉलेज के प्राध्यापक डॉ. रमेश कहते हैं, ''इस दौड़ के आयोजन से मैं अपने आपको इसलिए अलग नहीं रख सका, क्योंकि शहीदों को नमन करने की जिम्मेदारी सिर्फ छात्रों की नहीं, बल्कि हर नागरिक
की है।''
प्राचार्या डॉ. पूनम वर्मा ने कहा, ''दौड़ का उद्देश्य छात्र-छात्राओं में यह भाव जाग्रत करना है कि जिन सैनिकों और शहीदों को परमचक्र परक मिलते हैं सिर्फ वे ही हीरो नहीं हैं, बल्कि ऐसे असंख्य गुमनाम हीरो हैं जिनकी शहादत से हम परिचित नहीं हैं, परंतु उनकी शहादत किसी मायने में कम नहीं है। हम चाहते हैं कि देश
उन गुमनाम सैनिकों एवं शहीदों को भी
स्मरण करे।''
जाहिर है, छात्रों की यह एकजुटता और आयोजन अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर पिछले कुछ समय से बार-बार भारत के टुकडे़ के नारे लगाने वाले अराष्ट्रीय तत्वों के साथ-साथ उन्हें संरक्षण प्रदान करने वाले राजनीतिक नेताओं को भी करारा जवाब है। साथ ही शिक्षा संस्थानों में बैठे उन लोगों के लिए भी चेतावनी है जो अराष्ट्रीय तत्वों का परदे के पीछे रहकर समर्थन करते हैं।
-प्रतिनिधि
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