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मध्य प्रदेश की धार्मिक-सांस्कृतिक नगरी उज्जैन गत 7 मार्च को एक ऐतिहासिक पल की साक्षी बनी, जब वहां 101 दिव्यांग जोड़ों का विवाह एक साथ संपन्न हुआ। जिला प्रशासन ने सामाजिक संगठनों के सहयोग से यह समारोह आयोजित किया था, जिसमें 74 हिन्दू जोड़े, 26 मुस्लिम जोड़े तथा एक सिख जोड़ा शामिल था। विश्वभर में अब तक इतने दिव्यांग जोड़ों का विवाह एक साथ नहीं हुआ, इस मायने में उज्जैन ने विश्व रिकॉर्ड बनाते हुए एक मिसाल कायम की है जिसे गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ने प्रमाणित किया। इस स्मरणीय पल के साक्षी बने केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गेहलोत। उन्होंने इसके लिए जिला कलेक्टर संकेत भोंडवे की सराहना की। गौरतलब है कि जिला प्रशासन लम्बे समय से दिव्यांगों के सामूहिक विवाह समारोह की तैयारी कर रहा था। ब्लॉक एवं जिला स्तर पर परिचय सम्मेलन आयोजित कर दिव्यांगांे को प्रेरित किया गया।
सामाजिक न्याय विभाग और महिला तथा बाल विकास विभाग द्वारा लगातार काउंसलिंग की गई जिसका परिणाम यह रहा कि प्रदेश के विभिन्न जिले ही नहीं बल्कि राजस्थान, गुजरात, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र से भी दिव्यांग विवाह करने उज्जैन पहुंचे। इन सभी की शाही तरीके से बारात निकाली गई। दिव्यांगों को मध्य प्रदेश शासन द्वारा चलाई जा रही योजना के अंतर्गत प्रति दिव्यांग 50,000 रु. की सहायता राशि, मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के अंतर्गत मिलने वाले लाभ के अतिरिक्त समाजसेवियों द्वारा गृहस्थी का सामान भेंट दिया गया। -महेश शर्मा
'परिवार के लिए निकालें समय'
पिछले दिनों दिल्ली के राजगढ़, गीता बाल भारती माध्यमिक विद्यालय द्वारा मातृ-सम्मेलन का भव्य आयोजन किया गया । कार्यक्रम का उद्ेश्य माताओं में छिपी प्रतिभा को उभार कर उनके व्यक्तित्व का विकास करना था। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से परिवार प्रबोधन, दिल्ली प्रांत के प्रमुख श्री भगवान दास मिढ़ा उपस्थित थे। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि आज परिवार एकाकी हो गये हैं। हमें परिवार के लिए समय देना होगा। सामूहिक भजन, पूजन, भोजन, परिवारिक वार्तालाप के लिए कम से कम सप्ताह में एक घंटे का समय अवश्य देना चाहिए। इससे हमारे अंदर और परिवार में बहुत बदलाव आएगा। कार्यक्रम का समापन श्रीमती विदुषी शर्मा के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। -प्रतिनिधि
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