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पिछले दिनों हिन्दू अध्यात्म एवं सेवा मेला-2016 का आयोजन उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में किया गया। मेले में अधिकतर धार्मिक, सामाजिक संगठनों के सेवा कायोंर् को प्रदर्शनी के रूप में दर्शाया गया। मेले में 113 संस्थाओं की गौरवमयी उपस्थिति रही। मेले का शुभारम्भ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल ने किया। उन्होंने कि इस अवसर पर कहा कि हिन्दू समाज हजारों वषोंर् से इस आध्यात्मिक भाव को लेकर जीता आया है कि सृष्टि में सब कुछ ईश्वर का ही है और उसे विनम्र भाव से ईश्वर के चरणों में ही समर्पित कर देना चाहिये। हमारी सेवा के पीछे यही आध्यात्मिक दर्शन है। जब हम किसी की सेवा करते हैं तो साक्षात् परमात्मा की ही सेवा करते हैं और किसी दूसरे की नही। क्योंकि हम सभी में एक ही परमात्मा है। हमारे देश में मदन मोहन मालवीय जी जैसे अनेक उदाहरण हैं। मालवीय जी ने गरीब परिवार में जन्म लिया, लेकिन अपने परिश्रम से एक अच्छे बैरिस्टर बने। सन् 1911 में उनकी प्रतिमाह आय 11000 रुपये थी,लेकिन हिन्दू समाज को अच्छी शिक्षा,अच्छे संस्कार मिलने चाहिये, इसीलिये वकालत छोड़कर अपना लक्ष्य पूरा करने निकल पड़े। भिक्षावृत्ति से जो मिलता था, उसी का भोजन करते थे। इसका परिणाम यह हुआ कि उन्होंने नयी पीढ़ी को संस्कारित करने के लिये ज्ञान मंदिर खड़ा किया। लेकिन दुर्भाग्य से आज हमारे समाज में यह भाव कम होता जा रहा है। इसीलिये समाज में सेवा भाव की कमी और स्वार्थ का भाव ब्
ाढ़ रहा है। ल्ल प्रतिनिधि
समाज जागरण का
काम करेंगे कार्यकर्ता
विश्व हिन्दू परिषद् और बजरंग दल ने नकदी विहीन व्यवहार का स्वागत करते हुए अपने कार्यकर्ताओं को इसका प्रशिक्षण देने के लिए आवश्यक कदम उठाने का निर्णय लिया है। विश्व हिन्दू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ सुरेन्द्र जैन ने नई दिल्ली में एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि स्वयं प्रशिक्षण लेने के बाद बजरंग दल के कार्यकर्ता देश के नागरिकों को इस विषय में जागरूक करेंगे और आवश्यक प्रशिक्षण भी प्रदान करेंगे। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह प्रयास काले धन के विरुद्ध लड़ाई में महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। यह लड़ाई केवल सरकार की नहीं, अपितु संपूर्ण देश की है जिसमें देश की जनता ने अब भाग लेने की ठान ली है। श्री जैन ने कहा कि 1000 व 500 रुपए के नोटों को बंद करने के सुपरिणाम सामने आने लगे हैं। आतंकवाद, नक्सलवाद, तस्करी और कालाधन पर लगाम लगी है। सामान्य जनता को कठिनाइयां अवश्य हुई हैं, जिनका समाधान भी हो रहा है। ल्ल प्रतिनिधि
व्याख्यानमाला संपन्न
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की दीनदयाल उपाध्याय पीठ ने एकात्म मानववाद दर्शन के प्रणेता के जन्मशताब्दी समारोहों के अंतर्गत एक व्याख्यानमाला का आयोजन किया। दीनदयाल उपाध्याय, गोरखपुर विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी ने व्याख्यान में कहा कि दीनदयाल उपाध्याय का चिंतन समावेशी है। उपाध्याय जी अत्यंत मेधावी विद्यार्थी और चिंतक होने के साथ ही साधु प्रवृत्ति के थे जिन्हें लेशमात्र भी लोभ, मोह, दंभ न था और न ही पद-प्रतिष्ठा की चाहत। वे राष्ट्र के हित को सवार्ेच्च समझते थे। उनके चिंतन में समावेशी, सर्वांगीण विकास की अवधारणा है। उसमें हिंसा या फिर तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर टकराव के लिए बिल्कुल स्थान नहीं है। कार्यक्रम की अध्यक्षता हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो़ अरुण दिवाकर नाथ वाजपेयी ने की। ल्ल प्रतिनिधि
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