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पुलिस प्रशासन ने मुजफ्फरनगर की ही तर्ज पर बिजनौर के निदार्ेष युवाओं पर मुकदमों का बोझ लाद दिया है। इससे लोगों में जबरदस्त आक्रोश है। स्थानीय लोग इसे सत्ता पक्ष के दबाव में की गई कार्रवाई बता रहे हैं
अनिता त्यागी
तीन साल पहले 2013 में मुजफ्फरनगर में मचे बवाल के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दंगे भड़क उठे थे। दुर्भाग्य से 2016 में एक बार फिर पश्चिमी उत्तर प्रदेश का जिला बिजनौर छात्राओं से छेड़छाड़ के बाद एक बार फिर धधक उठा। इसकी प्रतिक्रिया में तीन लोगों की मौत हो गई और एक दर्जन लोग घायल हो गए। पर इससे निबटने की सरकारी कार्यप्रणाली वही है, राजनीति करने वाले नेता वही हैं। बदला है तो केवल स्थान और समय। पुलिस-प्रशासन ने मुजफ्फरनगर की ही तर्ज पर बिजनौर के निदार्ेष युवाओं पर मुकदमों का बोझ लाद दिया है। इससे लोगों में जबरदस्त आक्रोश है। वे इसे सत्ता पक्ष के दबाव में की गई कार्रवाई बता रहे हैं।
16 सितंबर को विवाद की शुरुआत बिजनौर कोतवाली क्षेत्र के पेद्दा गांव से हुई। बिजनौर-नजीबाबाद रोड पर स्थित पेद्दा गांव से नयागांव की छात्राएं स्कूल जाने के लिए बस पकड़ती हैं। उस दिन भी सुबह साढ़े सात बजे छात्राएं स्कूल जा रही थीं। लोगों का कहना है कि पेद्दा गांव के बस स्टैंड पर मुस्लिम समुदाय के कुछ युवकों ने उनके साथ छेड़छाड़ की। इससे पहले भी वहां छात्राओं के साथ प्रतिदिन छेड़छाड़ होती थी। 16 सितंबर को छेड़छाड़ का छात्राओं के पेद्दा निवासी कुछ परिचितों ने विरोध किया तो मुस्लिम समुदाय के लोगों ने छेड़छाड़ का विरोध करने वालों की जमकर पिटाई कर दी। इसकी सूचना मिलते ही लोगों में आक्रोश फैल गया और नया गांव व पेद्दा के सैकड़ों लोग वहां आ पहुंचे। इससे दोनों पक्षों में संघर्ष शुरू हो गया। दोनों ओर से जमकर पथराव और गोलीबारी हुई, जिसमें मुस्लिम समुदाय के पेद्दा निवासी अहसान पुत्र हसन, अनीसुद्दीन पुत्र हसन और सरफराज पुत्र जुल्फिकार की मौत हो गई। अहसान की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि अनीसुद्दीन और सरफराज ने अस्पताल ले जाते हुए दम तोड़ दिया। शाहनवाज, सलीम, सलाउद्दीन, मुनीजा, अनवर, रिजवान, फुरकान, शादाब, फईम, जरीना, असलम और गुलफाम घायल हो गए। पांच घायलों को उपचार के लिए मेरठ के अस्पताल में भर्ती कराया गया।
भीड़ ने जमकर मचाया उत्पात
इस घटना के बाद मुस्लिम समुदाय के लोगों ने जमकर उत्पात मचाया। भीड़ ने एक मोटरसाइकिल और झोंपड़ी को जला दिया। कई मकानों में तोड़फोड़ की और अहसान के शव को नजीबाबाद- पौड़ी महामार्ग पर रखकर जाम लगा दिया। जजी चौराहे पर गुस्साई भीड़ ने जाम लगा दिया और डीएम जगतराज त्रिपाठी की गाड़ी को घेर लिया। तत्काल इस कांड की लखनऊ तक गूंज हो गई। दोपहर बाद एडीजी कानून-व्यवस्था दलजीत सिंह चौधरी और गृह सचिव मणि प्रसाद मिश्र मौके पर पहुंचे। इससे पहले आईजी, बरेली क्षेत्र वी. के़ मीणा, मंडलायुक्त और मुरादाबाद वेंकटेश्वरलू, मुरादाबाद रेंज के डीआईजी ओंकार सिंह ने भी हालात का जायजा लिया।
पीडि़तों के खातों में भिजवाया पैसा
मुजफ्फरनगर दंगों की तर्ज पर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने यहां भी पीडि़तों को तत्काल मुआवजी देने की घोषणा की। इसमें मृतकों को 20-20 लाख रुपए और घायलों को पांच-पांच लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी गई है। यह पैसा डीएम जगतराज ने पीडि़तों के बैंक खातों में भिजवाया। इससे पहले बिजनौर शहर की सपा विधायक रुचि वीरा और प्रदेश के राज्य मंत्री मूलचंद चौहान के बीच पीडि़तों की सहायता को लेकर गर्मागर्मी तक हो गई थी।
नाला विवाद बना वजह, विरोधी हुए नामजद
पेद्दा गांव में हुए बवाल के पीछे तात्कालिक वजह छात्राओं से छेड़छाड़ तो है ही, इसके पीछे कछपुरा और नया गांव के पानी की निकासी के लिए बना नाला भी है। दरअसल राजमार्ग पर स्थित पेद्दा गांव की बेशकीमती ग्राम समाज की जमीन पर मुस्लिम समाज के लोगों को पट्टे मिले हुए हैं। इस जमीन के पीछे एक तालाब स्थित है, जिसमें कछपुरा और नया गांव का पानी आता है। लंबी अदालती लड़ाई के बाद दोनों गांवों में पानी को लाने के लिए एक नाले का निर्माण कराया गया। इस नाले का पेद्दा गांव के मुस्लिम विरोध कर रहे थे, जबकि कछपुरा के ग्राम प्रधान धर्मपाल ने इस नाले का निर्माण कराया। इस बवाल के पीछे मुस्लिम समुदाय की मंशा धर्मपाल को सबक सिखाने की थी। लोगों का आरोप है कि मुस्लिम समुदाय ने सोची-समझी रणनीति के तहत छेड़छाड़ का विरोध करने वालों की पिटाई की। इसके बाद लोगों पर गोलीबारी कर दी और जवाबी गोलीबारी में यह बवाल हुआ। इतना ही नहीं, मुस्लिम समुदाय के लोगों ने नाले की पैरवी करने वाले प्रधान धर्मपाल और उसके बेटे अधिवक्ता प्रफुल्ल को भी नामजद कराया।
जाट महासभा बेटियों के बचाव में उतरी
इस हमले के सुनियोजित होने के मुस्लिम समुदाय के लोगों के आरोपों को जाट महासभा ने पूरी तरह से नकार दिया है। महासभा के प्रदेश अध्यक्ष शूरवीर सिंह ने कहा कि हिंदू समुदाय की लड़कियों के साथ छेड़छाड़ की गई है। पेद्दा गांव में हर रोज छेड़छाड़ होती है। इस घटना के मूल में छेड़छाड़ ही है जबकि सरकारी मशीनरी और अन्य लोग मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति और राजनीति चमकाने के लिए घटना को दूसरा रूप दे रहे हैं। छेड़छाड़ के विरोधियों को मुस्लिम समुदाय ने जमकर पीटा। जब इसका विरोध किया गया तो मुसलमानों ने पथराव किया। इस पर हिंदू समुदाय के लोगों ने भी प्रतिक्रिया की। यह घटना बहुत दुखद है, लेकिन फर्जी तरीके से 29 लोगों को नामजद कर दिया गया। एक एनसीसी के छात्र को भी फर्जी नामजद कर दिया। इससे लोगों में आक्रोश है। इसके साथ ही दुकानों पर भी मुसलमानोंं ने तोड़फोड़ की, लेकिन उस पर पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।
पुलिस ने की फर्जी नामजदगी
पीडि़त पक्ष की ओर से फुरमान ने 29 लोगों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कराया है। उसने कहा कि उसका भतीजा उसकी लड़की को स्कूल छोड़ने जा रहा था। रास्ते में संसार सिंह के बेटे नितिन ने छेड़छाड़ की। इसकी शिकायत पर संसार सिंह ने गालीगलौज कर दी। थोड़ी देर में ही संसार, नितिन, राजू, पप्पन, नरेश, टीकम, तेजपाल, कोमन, पंकज, अनुज, सतीश, प्रेम, बिल्लू, रिंकू, सोनू, कक्कू, ओमपाल, राजपाल, अनिल, मनोज, टिशू, आकाश (निवासी पेद्दा), दिलावर सिंह, बिट्टन (निवासी कछपुरा), बिल्लू, कंवरसेन (निवासी नया गांव) आदि लोगों ने उनके घरों पर पथराव व फायरिंग कर दी। पुलिस ने इसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया। जबकि आरोपी पक्ष ने इसे फर्जी नामजदगी बताया और पुलिस पर उत्पीड़न करने का आरोप लगाया।
लंबे समय से सुलग रहा था लावा
बिजनौर में हुआ बवाल लंबे समय से छेड़छाड़ के विरोध में सुलग रहा लावा था, जो 16 सितंबर को फट पड़ा। दरअसल पेद्दा गांव में तिराहे पर पेद्दा, नयागांव और कछपुरा गांव की छात्राएं स्कूल जाने के लिए बस पकड़ती हैं। पेद्दा गांव मिश्रित आबादी तो नयागांव व कछपुरा जाट बाहुल्य गांव हैं। छेड़छाड़ की शिकायत लंबे समय से हो रही थी। इससे हिंदू और मुस्लिम समुदाय के युवकों के बीच तनाव व्याप्त था। 16 सितंबर को इस तनाव ने बवाल का रूप ले लिया जबकि पुलिस इस विवाद के पीछे नाले और चुनावी रंजिश का हाथ बता रही है। इस घटना के पीछे पुलिस की लापरवाही भी जिम्मेदार है। घटना होने पर लोगों ने कंट्रोल रूम से लेकर एसपी तक के फोन लगाए, लेकिन किसी ने भी फोन नहीं उठाया।
गंगा बैराज पर रोके जा रहे नेता
बवाल के बाद पुलिस-प्रशासन ने किसी भी बाहरी आदमी के पेद्दा गांव में जाने पर रोक लगा दी है। 7 नवंबर तक जनपद में धारा 144 लागू कर दी गई है। राजनीतिक दलों के नेताओं को भी बिजनौर में घुसने से पहले गंगा बैराज पर ही रोका जा रहा है। केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ़ संजीव बालियान, कांग्रेस नेता राशिद अल्वी, अनुराधा चौधरी, जमीयत उलेमा हिंद के महासचिव महमूद मदनी, तौकीर रजा आदि को पुलिस ने बैराज पर ही रोक लिया और पेद्दा गांव नहीं जाने दिया। पुलिस प्रशासन ने हालात को काबू में रखने के लिए 16 सितंबर से लेकर 20 सितंबर तक इंटरनेट पर भी रोक लगाए रखी। डीएम जगतराज व एसपी उमेश श्रीवास्तव ने पेद्दा, नया गांव और कछपुरा में शांति समिति की बैठक ली।
पुलिस-प्रशासन पर गरजे सांसद
बिजनौर के भाजपा सांसद भारतेंद्र सिंह ने पुलिस-प्रशासन पर निदार्ेष लोगों का उत्पीड़न करने का आरोप लगाया। उन्होंने डीएम व एसपी से इस प्रकरण से निदार्ेष लोगों के नाम निकालने की मांग की और ऐसा नहीं होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है।
किसी को परेशान नहीं करेगी पुलिस
डीएम जगतराज त्रिपाठी और एसपी उमेश श्रीवास्तव ने कहा कि पेद्दा की घटना में नामजद लोगों के अलावा पुलिस किसी को परेशान नहीं करेगी। सभी ग्रामीणों की सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए जा रहे हैं। डीएम ने बताया कि शासन के आदेश पर तीनों मृतकों के परिजनों के खाते में 20-20 लाख रुपये और बारह घायलों के खाते में 5-5 लाख रुपये जमा कर दिए गए हैं। मुख्यमंत्री के आदेश पर पीडि़तों को सरकार की अन्य योजनाओं जैसे लोहिया आवास, पेंशन योजना आदि का लाभ दिलाया जाएगा।
इस बवाल के दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा और रासुका लगाई जाएगी। गांव में पुलिस-बल तैनात कर दिया गया है। हालात बिगाड़ने वालों से सख्ती से निबटा जाएगा।
—दलजीत सिंह चौधरी, एडीजी कानून-व्यवस्था
यह घटना आरोपी पक्ष द्वारा एक लड़की से छेड़छाड़ और फिर मारपीट के बाद हुई। इसके पीछे चुनाव में लाभ उठाने की मंशा है। यह सब भाजपा का किया-धरा है। पीडि़त पक्ष गरीब और निदार्ेष है।
—रुचि वीरा, सपा विधायक बिजनौर शहर
'खून का बदला खून' के नारे
नूरपुर के भाजपा विधायक लोकेंद्र चौहान ने आरोप लगाया कि पेद्दा की घटना दुखद है। लेकिन घटना के बाद शहर में आधा दर्जन प्रतिष्ठानों पर तोड़फोड़ करने और 'खून का बदला खून' के नारे लगाने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। विधायक ने पुलिस-प्रशासन से कहा कि जनपद में पुलिस द्वारा पक्षपातपूर्ण कार्रवाई की जा रही है, जबकि दुराचार के मामले में नामजद मौलाना की अभी तक गिरफ्तारी नहीं की गई। अगर पुलिस ऐसे ही पक्षपातपूर्ण कार्रवाई कर तुष्टीकरण की नीति अपनाएगी तो जनपद बारूद के ढेर पर होगा। विधायक ने कहा कि जनपद में कई स्थानों पर बिना अनुमति के मस्जिदों का निर्माण कर नमाज अदा की जा रही है। और पुलिस-प्रशासन जानकर भी अनजान बना हुआ है।
बाइकर्स गैंग ने जमकर मचाया उत्पात
नया गांव के लोगों का कहना है कि भले ही पुलिस मुस्लिम समुदाय के लोगों को पीडि़त बता रही हो, लेकिन बवाल के बाद शहर में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने जमकर गुंडागर्दी की। शहर के आधा दर्जन प्रतिष्ठानों पर तोड़फोड़ की गई। बाइकर्स गैंग के गुगार्ें ने शहर में भयंकर उत्पत मचाया। इसमें से एक डॉ़ बागेश की लैब पर तोड़फोड़ करने वाले सीसीटीवी फुटेज में आ गए।
एक थप्पड़ बना विवाद की वजह
जानकारों का कहना है कि बवाल के पीछे छेड़छाड़ तो मुख्य मुद्दा चला ही आ रहा था पर एक थप्पड़ बवाल की वजह बन गया। लोगों का कहना है कि पेद्दा गांव के अड्डे पर नयागांव निवासी कंवरसेन की सीमेंट की दुकान है। छेड़छाड़ के विरोध पर हुई मारपीट के बाद विवाद शांत हो गया था। इसी बीच मुस्लिम समुदाय के एक युवक की लड़की से लदी साइकिल कंवरसेन से टकरा गई। कंवरसेन ने युवक को थप्पड़ मार दिया तो मुसलमानों ने उसकी पिटाई कर दी। इसके बाद ही बवाल हुआ।
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