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हिन्दू-मुस्लिम के बीच जो संघर्ष की स्थिति है उसका कारण धार्मिक नहीं है। गंदी राजनीति के कारण यह दोनों भाई आपस में लड़ रहे हैं। सभी एक ही ईश्वर के अंश हैं। सबमें भारतीय संस्कृति का मूल है। नई दिल्ली के विज्ञान भवन में नवमें संत प्रज्ञाचक्षु महर्षि श्री संत गुलाबराव महाराज जी के जीवन शताब्दी महोत्सव के दो दिवसीय समारोह के समापन अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने अपने संबोधन में ये बातें कहीं। आलंदी पुणे स्थित श्री संत गुलाबराव महाराज सर्वोदय ट्रस्ट, विश्वशांति केंद्र, माईर्स एमआईटी, पुणे के तत्वावधान में प्रमुख अतिथि के रूप में उपस्थित श्री भागवत ने कहा कि सनातन हिन्दू धर्म सार्वकालिक, सर्वसमावेशक और वैश्विक रूप में रहा है। आज विश्व में अशांति, संघर्ष, नैसर्गिक आपत्ति जैसी कई समस्याएं हैं। इस सब का उपाय हमारी अपनी संस्कृति में है। अहंकार होने से और अपना विचार दूसरों के ऊपर जबरदस्ती लादने की वजह से संघर्ष की स्थिति निर्मित होती है। हम सभी को यह ध्यान रखना होगा कि सभी मत-पंथों का जन्म भारतीय संस्कृति से ही हुआ है। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों की वजह से हमारे विचारों में बाधा आ गई और हम एक दूसरे के सामने खड़े हो गए। लेकिन इस वास्तविकता को सामने लाने के लिए समन्वय की भावना में संत गुलाबराव महाराज ने बड़ा साहित्य निर्माण किया है। हम सभी को ज्ञान-विज्ञान को साथ लेकर गुलाबराव महाराज के बताए विचार पर चलना होगा। श्री भागवत ने राम मंदिर के विषय में कहा कि अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए किसी भी मजहब का विरोध नहीं है। बस राजनीति के कारण राममंदिर अटका हुआ है। लेकिन अगले कुछ समय में इस राजनीति को पराजित करके अयोध्या में रामंदिर बनाया जाएगा।
महाराष्ट्र सरकार में कैबिनेट मंत्री श्रीमती पंकजाताई मुंडे ने कहा कि रोशनी होने से सब कुछ दिखाई देता है। मात्र, अंधेरे में देखने के लिए केवल आंखों की जरूरत नहीं होती, उसके लिए दृष्टि होना जरूरी है। यह सिर्फ अध्यात्म से ही संभव हो सकता है। डॉ. विजय भटकर ने कहा कि संत गुलाबराव महाराज का उपलब्ध साहित्य को आने वाली पीढ़ी तक पहुंचाना होगा। कार्यक्रम में मुख्य रूप से उपस्थित डॉ. रामविलास वेदांती, आचार्य श्री धमेंद्र महाराज एवं महायोगी श्री एम ने भी अपने विचार रखे। प्रतिनिधि
''विघ्नहर्ता के गुणों को करना होगा आत्मसात''
गत दिनों राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने गुजरात के वड़ोदरा में अकोटा स्थित जैन देरासर में जैन मुनि पू.विजय रत्नसंुदर सुरीश्वर जी महाराज से औपचारिक मुलाकात की। इस दौरान पू. महाराजश्री से श्री भागवत ने देश-समाज पर लंबी चर्चा की और मार्गदर्शन प्राप्त किया। इसके बाद श्री भागवत ने श्रीमंत एसवीसीपी ट्रस्ट द्वारा आयोजित श्री गणपति पूजा में भाग लिया। इस कार्यक्रम में केंद्रीय रक्षा मंत्री श्री मनोहर पर्रिकर भी उपस्थित थे। इस अवसर पर श्री भागवत ने अपने उद्बोधन में कहा कि श्री गणेश विघ्नहर्ता हैं। वे सभी के कष्टों को दूर करने वाले हैं।
श्री गणेशजी की पूजा से ही प्रत्येक शुभकार्य का प्रारंभ होता है। भारत को परमवैभव पर ले जाने के लिए श्रीगणेश जी के गुणों को आत्मसात करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जैसे कि दूरदृष्टि रखना, बडे़ कान यानी सब कुछ सुनना और बड़ा पेट यानी सब बातें संग्रह करना। संगठन चलाने के लिए भी श्री गणेश जी के ये गुण अत्यावश्यक हैं। प्रतिनिधि
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