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जानकारों का मानना है कि अभिनेता अजय देवगन और निर्माता करण जौहर के बीच जारी विवाद के पीछे बॉलीवुड की खेमेबाजी है। प्रभावी खेमे के लोग अपने विरोधियों की फिल्मों को धराशायी करने के लिए अपने रसूख के साथ-साथ धन बल और बाहु बल का भी इस्तेमाल करते हैं
अमिताभ पाराशर
बात 2012 की दीवाली की है। अजय देवगन की फिल्म 'सन ऑफ सरदार' रिलीज होने वाली थी। ठीक उसी दिन शाहरुख खान की फिल्म 'जब तक है जान' का रिलीज होना तय था। 'जब तक है जान', यशराज फिल्म्स (दिवंगत यश चोपड़ा की कंपनी, जिसे अब उनके बेटे आदित्य चोपड़ा चलाते हैं) की फिल्म थी और इसे खुद यश चोपड़ा ने निर्देशित किया था। इसके हीरो शाहरुख खान थे।
दोनों में से कोई भी अपनी फिल्म की रिलीज को आगे खिसकाने के लिए तैयार नहीं था। यशराज फिल्म्स ने अपने रसूख का इस्तेमाल कर देश के ज्यादातर मल्टीप्लेक्स और सिनेमा हॉल को मजबूर कर दिया कि वे सिर्फ 'जब तक है जान' ही दिखाएंगे और 'सन ऑफ सरदार' को छूएंगे भी नहीं। नतीजा यह हुआ कि अजय देवगन को अपनी फिल्म के लिए ढंग के सिनेमा हॉल ही नहीं मिले। अपनी प्रोडक्शन में बनने वाली इस फिल्म को बचाने के लिए देवगन ने बातचीत से रास्ता निकालने की कोशिश की, लेकिन जब बात नहीं बनी तो दिल्ली स्थित कंपीटीशन कमीशन ऑफ इंडिया में शिकायत दर्ज कराई। मामला गरमाया लेकिन देवगन को इससे कोई खास फायदा नहीं हुआ। उलटे बॉलीवुड का एक मजबूत खेमा उनके खिलाफ हो गया।
आज करीब 4 साल बाद बॉलीवुड का वही मजबूत खेमा फिर से अजय देवगन के पीछे पड़ गया है। कई खेमों में बंटे बॉलीवुड का यह सबसे मजबूत खेमा माना जाता है। इसके सदस्य शाहरुख खान, आदित्य चोपड़ा, करण जौहर, फरहान अख्तर, जावेद अख्तर जैसे प्रभावी लोग हैं। ताजा मामला अजय देवगन की नई फिल्म 'शिवाय' से जुड़ा है। इस बार अजय देवगन और करण जौहर आमने-सामने हैं। जिस दिन (28 अक्तूबर, 2016) 'शिवाय' रिलीज हो रही है, उसी दिन करण जौहर की फिल्म 'ऐ दिल है मुश्किल' (रणबीर कपूर, ऐश्वर्या रॉय) रिलीज होगी। अजय देवगन ने सीधे आरोप लगाया है कि करण जौहर उनकी फिल्म को धराशायी करने और उसके खिलाफ कुप्रचार करने के लिए पैसे खर्च कर रहे हैं और उन्होंने इसके लिए एक पिटे हुए अभिनेता कमाल खान की सेवा ली है और उन्हें 25 लाख रुपए दिए हैं। खान गलत बयानबाजी और ट्वीट्स के जरिए उनकी फिल्म को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
इस मामले में अंतत: क्या होगा, कहना मुश्किल है, लेकिन इससे बॉलीवुड की धड़ेबाजी का एक और नया पक्ष सामने आ गया है। बॉलीवुड में खेमाबाजी या धड़ेबाजी कोई नई बात नहीं है। शाहरुख खान के खेमे में करण जौहर, आदित्य चोपड़ा जैसे लोग हैं तो सलमान खान खेमे में फिल्म निर्देशक कबीर खान, साजिद-वाजिद समेत कई लोग हैं। वहीं महेश भट्ट खेमे में इमरान हाशमी, मोहित सूरी जैसे अनेक लोग हैं। अमिताभ बच्चन का भी खेमा है, जो कमोबेश यशराज के खेमे से सहानुभूति रखता है। रामगोपाल वर्मा का खेमा फिलहाल कमजोर है, लेकिन एक समय इसकी तूती बोलती थी। इसमें उर्मिला मातोंडकर समेत कई नए-पुराने कलाकार थे। इस तरह बॉलीवुड में कई खेमे हैं। इन खेमों के कारण कलाकार, संगीतकार और यहां तक कि पत्रकार भी बंटे हुए हैं। इन खेमों का एक सीधा-सा सूत्र है ''अगर आप हमारे साथ नहीं हैं तो आप हमारे दुश्मन हैं।'' बॉलीवुड में खेमे तो बहुत पहले से चले आ रहे हैं लेकिन खेमे के नाम पर विरोधियों की फिल्मों को नुकसान पहुंचाना और उनकी शक्ल तक से नफरत करने जैसे हालात 16 जुलाई, 2008 में तब शुरू हुए जब कटरीना कैफ के लिए सलमान खान द्वारा आयोजित मुंबई की एक पार्टी में शाहरुख और सलमान के बीच जमकर गाली-गलौज और मारपीट हुई। जावेद अख्तर, फरहान अख्तर, यश चोपड़ा, साजिद खान, करण जौहर जैसे लोग खुलकर शाहरुख के साथ आ गए तो करीना कपूर, अक्षय खन्ना, फरदीन खान, जायेद खान जैसे कुछ और सितारे सलमान के साथ खड़े हो गए।
एक वक्त में शाहरुख खान खेमे की विश्वासपात्र समझी जाने वाली अनुभवी फिल्म पत्रकार भारती दुबे कहती हैं, ''इस घटना ने पूरी फिल्म इंडस्ट्री को दो भाग में बांट दिया। एक खेमे के लोगों का दूसरे खेमे के लोगों के साथ काम करना निषिद्ध हो गया और ऐसा करना विश्वासघात के तौर पर देखा जाने लगा।'' नतीजा यह हुआ कि शाहरुख खेमे की दीपिका पादुकोण कभी सलमान के साथ कोई फिल्म नहीं कर सकीं, तो सलमान खेमे की नजदीकी सोनाक्षी सिन्हा, शाहरुख के साथ किसी फिल्म में नजर नहीं आ सकीं। ऐसा लेखकों, निर्देशकों और संगीतकारों के साथ भी होने लगा। विरोधी खेमे के पत्रकार एक-दूसरे के खिलाफ खबरें लिखने लगे।
आज माना जाता है कि शाहरुख और सलमान में दोस्ती हो गई है। पिछले दिनों मुंबई के एक मुस्लिम नेता ने दोनों 'भाइयों' की दोस्ती करा दी और मीडिया में फोटो छपवा दिए गए, लेकिन सितारों के अहं इतने बड़े हो जाते हैं कि ऐसी दोस्ती लंबे समय तक नहीं टिक पाती। यह दोस्ती ऊपरी स्तर की होती है जिसका कोई न कोई व्यापारिक या अन्य निहित स्वार्थ होता है। यही वजह है कि निर्माता करण जौहर अपनी तमाम सद्च्छिाओं के बावजूद सलमान के साथ आज तक कोई फिल्म नहीं कर पाए हैं तो सलमान खेमे के संगीत निर्देशक साजिद-वाजिद को आज तक शाहरुख की फिल्म में कोई काम नहीं मिला। यही नहीं, सलमान के नजदीकी माने जाने वाले हिमेश रेशमिया का भी यही हाल रहा। उसी तरह शाहरुख खेमे के संगीत निर्देशक विशाल-शेखर अभी भी सलमान की किसी फिल्म में संगीत देने के लिए निषिद्ध माने जाते हैं। वैसे कुछ लोग हर खेमे से सटे रहते हैं, जैसे अमिताभ बच्चन। हालांकि उनकी सहानुभूति शुरू से ही यश चोपड़ा, आदित्य चोपड़ा, करण जौहर, शाहरुख खान वाले खेमे से है, लेकिन बॉलीवुड के दूसरे खेमों के साथ दरवाजे उनके लिए बंद नहीं होते। इसकी वजह यह है कि आमतौर पर वे 'ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर' वाले सिद्धांत को लेकर चलते हैं। अनुपम खेर भी इसी श्रेणी में आते हैं जिनके संबंध हर खेमे के लोगों के साथ हैं। वे कहते हैं, ''मैं खेमे वगैरह को नहीं मानता। मुझे लगता है कि इस तरह के खेमों का अस्तित्व सिर्फ मीडिया में है, फिल्म इंडस्ट्री में नहीं। यह तो स्वाभाविक ही है कि कोई अभिनेता या कोई निर्देशक किसी खास कलाकार या निर्देशक के साथ ज्यादा सहज तरीके से काम करता है। मेरे संबंध सबके साथ अच्छे हैं। मुझे गुटबाजी नहीं आती और न मैं यह काम कभी करूंगा।''
अक्षय कुमार उन सितारों में हैं, जिन्होंने हालांकि अपने लंबे करियर के दौरान कई उतार-चढ़ाव देखे, लेकिन किसी एक खेमे से नहीं जुड़े और न ही उन्होंने अपना कोई खेमा बनाया। लगातार तीन हिट फिल्में (एयरलिफ्ट, हाउसफुल-3, रुश्तम) देने वाले अक्षय की ताजा सफलता से वे लोग बेचैन हैं, जो सिर्फ खान बंधुओं को ही असली सितारा मानते रहे हैं। अक्षय कहते हैं, ''बॉलीवुड में सफल होने के लिए किसी खेमे की नहीं, बल्कि कड़ी मेहनत, इच्छाशक्ति, थोड़ी किस्मत और सपनों की जरूरत होती है। खेमे एक किस्म के सुरक्षा कवच जैसे होते हैं, लेकिन मैंने वह सुरक्षा कवच खुद अपनी मेहनत से बनाया है। खेमे आपको सफलता की गारंटी नहीं दे सकते।''
जानकार मानते हैं कि कई बार लोगों को किसी खेमे में नहीं रहने का खामियाजा भुगतना पड़ता है, खास कर बड़े सितारों को। जैसे हिृतिक रोशन के बारे में चर्चा है कि वे किसी खेमे में नहीं हैं। लेकिन इस वजह से जब भी उनकी कोई फिल्म सफल नहीं होती तो उन पर सबसे पहला और बड़ा आक्रमण शाहरुख, सलमान और अन्य खेमे के पत्रकारों, चमचों या इन बड़े खेमों के टुकड़ों पर पलने वाले लोगों की ओर से होता है। ये लोग हिृतिक रोशन की धज्जियां उड़ा देना चाहते हैं। हाल में उनकी असफल फिल्म 'मोहनजोदारो' के मामले में ऐसा ही प्रचारित किया गया कि हिृतिक रोशन अब केवल नाम के सितारे रह गए हैं और खान भाइयों की सामने उनकी कोई औकात नहीं रह गई है!
अजय देवगन के साथ जुड़ा ताजा मामला इसलिए मनोरंजक है कि देवगन ने पहली बार बॉलीवुड में खेमे के महत्व को समझा है और अपना एक खेमा बनाना शुरू किया है। जानकारों ने बताया कि सफल फिल्मकार रोहित शेट्टी ने अजय देवगन के साथ कई सफल फिल्में बनाने के बाद जो पिछली फिल्म शाहरुख खान के साथ (दिलवाले,2015) की, वह बुरी तरह पिट गई। अजय ने रोहित शेट्टी से साफ कहा कि या तो शाहरुख के साथ ही रहो या फिर मेरे पास वापस आ जाओ। माना जा रहा है कि शेट्टी ने शाहरुख को तिलांजलि देकर देवगन के नए खेमे में वापसी कर ली है। दोनों 'गोलमाल' सीरीज की अगली फिल्म कर रहे हैं। नतीजतन इससे शाहरुख का खेमा नाराज हो गया और उनके चेले करण जौहर ने अपनी फिल्म (ऐ दिल है मुश्किल) की आड़ में अजय देवगन पर पीठ पीछे हमले तेज
कर दिए।
यह जानना भी दिलचस्प है कि 'दिलवाले' के फ्लॉप होने के पहले तक, काजोल के रिश्ते (इस बात के बावजूद कि वे अजय देवगन की पत्नी हैं) करण जौहर या शाहरुख खेमे से अच्छे थे। लेकिन अब स्थितियां बदल गई हैं।
खेमेबाजी के कारण सबसे ज्यादा नुकसान उन नवोदित कलाकारों का हो रहा है, जो किसी खेमे में नहीं रहना चाहते और अपनी मेहनत से आगे बढ़ना चाहते हैं। हम और आप ऐसे कलाकारों के लिए दुआ ही कर सकते हैं।
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