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राहुल की खाट सभा में हुई पार्टी की नीतियों और सोच की किरकिरी ने चुनाव प्रचार की शुरुआत में ही कांग्रेस की नींद उड़ा दी है। उसके नेता भले सत्ता में वापसी का दावा कर रहे हैं, लेकिन न तो कांग्रेस का और न ही सपा का कुनबा एकजुट है। बसपा के बड़े नेता पार्टी छोड़ चुके हैं। ऐसे में भाजपा की उम्मीदें बढ़ रही हैं
सुनील राय
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। बसपा ने अपनी चुनावी रैलियों की शुरुआत भी कर दी है। समाजवादी पार्टी अपनी चुनावी सभाओं का आरम्भ पिछली बार की तरह आजमगढ़ से करेगी। मगर इस बार के चुनाव की खास बात यह है कि सभी राजनीतिक दल जनता के बीच यात्राओं की शक्ल में पहुंचने को बेताब हैं। कांग्रेस की तरफ से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद के लिए घोषित उम्मीदवार शीला दीक्षित भी यात्रा निकाल रही हैं जिसका नारा है-27 साल यू. पी. बेहाल। इसी के साथ कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी एक बड़ी यात्रा शुरू कर चुके हैं। सपा और भाजपा भी चुनाव में जनता तक पहुंचने के लिए यात्राएं निकालने वाली हैं। दरअसल, पहले के जमाने में जब कोई चुनावी यात्रा निकलती थी, तो उस यात्रा के नेता यात्रा के साथ शुरू से आखिर तक रहते थे। मगर अब 'हाईटेक' जमाने में यात्रा का नेतृत्व कर रहे बड़े नेता कुछ खास जगहों पर ही यात्रा में शामिल होते हैं, यानी जब यात्रा किसी बड़े शहर में पहुंचती है तब। नेता आते हैं और भाषण करके निकल लेते हैं। शायद यही वजह है कि आज जनता, चुनावी यात्राओं को अजूबे की तरह देखती है। मौजूदा समय में यात्राएं भी काफी आधुनिक हो चुकी हैं। शीला दीक्षित के नेतृत्व में चल रही कांग्रेसी यात्रा '27 साल यू. पी. बेहाल' कुछ इसी तरह की है। जब यह यात्रा गोरखपुर जनपद में पहुंची तो उम्रदराज शीला दीक्षित की अचानक तबियत खराब हो गई और वे यात्रा बीच में ही छोड़ कर वापस लौट गईं। उसके कुछ दिन बाद यह यात्रा प्रतापगढ़ पहंुची। प्रतापगढ़ जनपद में सभा करने के बाद यात्रा इलाहाबाद पहुंची जहां रात में विश्राम करने के बाद वातानुकूलित वाहनों का काफिला कौशांबी जनपद पहुंचा। वहां से फिर शीला दीक्षित वापस लौट गईं। इस यात्रा में शीला दीक्षित ने कहा कि पिछले 27 वषार्ें से उतर प्रदेश के हालात बहुत खराब हैं। वे कहती हैं कि इस बार प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है। उन्हें उम्मीद है कि इस चुनाव में प्रियंका गांधी भी चुनाव प्रचार में उतरेंगी।
इस बीच राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश के देवरिया जनपद से एक बड़ी यात्रा यानी खाट पर चर्चा कार्यक्रम की शुरुआत की। हालांकि शुरुआत में ही एक हास्यास्पद घटना यह हुई कि देवरिया जनपद में सभा स्थल पर आये लोग खाटें उठा कर अपने घर दौड़ पड़े। पहले तो कांग्रेस के लोगों ने उन्हें रोकने की कोशिश की, मगर भीड़ झगड़े पर उतारू हो गई जिसके बाद कांग्रेस के समर्थक पीछे हट गए।
बहरहाल, राहुल गांधी की खाट चर्चा हंसी का विषय बनकर रह गई। राहुल गांधी इस यात्रा में खासतौर पर 'किसानों की समस्याओं' को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं। यह यात्रा विभिन्न जनपदों के ग्रामीण इलाकों में आयोजित की जाएगी। 13 सितंबर को यात्रा इलाहाबाद पहुंचेगी। अजीब बात यह है कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं, पर राहुल ने देवरिया में सपा, बसपा की कम, पूरे भाषण में मोदी सरकार की चर्चा ही की। उधर, उत्तर प्रदेश में करीब एक दशक से भी ज्यादा समय से विपक्ष में बैठी भाजपा भी पूरी ताकत लगा रही है। भाजपा का दावा है कि इस बार के चुनाव में उसके 265 से ज्यादा विधायक जीत कर आयेंगे। हालांकि यह जादुई आंकड़ा पार करना इतना आसान नहीं है मगर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य को पूरा विश्वास है कि इस बार भाजपा पूर्ण बहुमत से सरकार बनायेगी। सो जनता तक पहुंचने के लिए मौर्य उत्तर प्रदेश में यात्रा निकालने जा रहे हैं। भाजपा इस यात्रा के माध्यम से जनता को बदलाव के लिए प्रेरित करेगी और उत्तर प्रदेश केे मौजूदा हालात के बारे में जनता को बताएगी। इस यात्रा के बारे में मौर्य का कहना है कि यह परिवर्तन यात्रा राज्य के चुनाव में सत्ता का परिवर्तन कराएगी और उत्तर प्रदेश को सपा और बसपा के जाल से मुक्त करायेगी।
2012 के चुनाव में अखिलेश यादव एक रथ पर यात्रा लेकर भी निकले थे। उस चुनाव में यह घोषित नहीं था कि अगर सपा की सरकार बनती है तो अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। चुनाव के बीच लोगों को यही अंदाज था कि सपा को सत्ता मिली तो मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव बनंेगे। सपा को पूर्ण बहुमत मिला मगर ऐन वक्त पर मुलायम सिंह ने यह इच्छा जाहिर की कि अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाया जाए और फिर वैसा ही हुआ। उस चुनाव मे अखिलेश यादव अपनी पार्टी के प्रचार के लिए यात्रा लेकर निकले थे। बसपा के शासन से ऊब चुकी जनता ने उनका खूब स्वागत किया था। उस यात्रा में ही अखिलेश ने लैपटाप बांटने का वादा किया था। परंपरागत रूप से अंग्रेजी का विरोध करती आ रही सपा ने यह तय किया कि अब वह अंग्रेजी का विरोध नहीं करेगी। खबर है कि अखिलेश यादव फिर से विकास यात्रा लेकर प्रदेश में निकल सकते हैं। ल्ल
''सपा-बसपा की असलियत उजागर करेंगे''
उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव से पूर्व कांग्रेस की एक यात्रा का नेतृत्व शीला दीक्षित कर रही हैं तो दूसरी यात्रा राहुल गांधी के नेतृत्व मे निकल रही है। ऐसे में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य भी यात्रा निकालने वाले हैं। चुनावों के संदर्भ में पाञ्चजन्य की भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य से हुई बातचीत के प्रमुख अंश
चुनाव के अवसर पर भाजपा की इस प्रस्तावित यात्रा का मकसद क्या है?
यह यात्रा जनता को सपा और बसपा की असलियत बतायेगी। पिछले कई वषार्ें से कभी सपा और कभी बसपा का खेल चल रहा है। इस बुआ और भतीजे के गठजोड़ के बारे में जनता को सजग करने के लिए हम लोग यात्रा लेकर निकल रहे हैं। यह यात्रा सत्ता का परिवर्तन का माध्यम बनेगी।
प्रदेश में कांग्रेस की दो यात्राएं निकल रही हैं। उन पर क्या कहेगे?
कांग्रेस चाहे कितनी भी यात्राएं निकाले, जनता का उससे मोह भंग हो चुका है। जब-जब कांग्रेस की सरकार रही है, हद से ज्यादा भ्रष्टाचार और घोटाले हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कांग्रेस मुक्त भारत का जो सपना देखा है, वह पूरा होने जा रहा है।
ल्ल बसपा प्रमुख मायावती ने अपनी रैली में आरोप लगाया कि भाजपा सत्ता में आने के लिए कोई फरेब रच सकती है। आप क्या कहना चाहेंगे?
भाजपा ने सत्ता में आने के लिए कभी भी कोई ऐसा काम नहीं किया। जब हमें विपक्ष में बैठने का जनादेश मिला, हम विपक्ष में बैठे, हम लगातार जनता के साथ संघर्ष कर रहे हैं। मगर 2012 में जब मायावती को विपक्ष का जनादेश मिला तो वे प्रदेश छोड़कर चली गईं और जब चुनाव का समय आया है तो फिर इन्हें उत्तर प्रदेश की जनता की याद आयी है। मायावती दलितों की हितैषी नहीं हैं, बस लोक लुभावन बातें करके दलितों को फुसलाए रखना चाहती हैं।
निठारी कांड हो या बुलंदशहर की घटना, पुलिस हमेशा 'बैक फुट' पर दिखी है। क्या लगता है आपको, ऐसा क्यों हो रहा है?
अखिलेश यादव के शासनकाल में पुलिस अकर्मण्य ही रही है। करीब डेढ़ हजार से ज्यादा पुलिसकर्मी पिट चुके हैं, करीब डेढ़ सौ से ज्यादा मारे जा चुके हैं। पर अखिलेश सरकार ने कोई भी सख्त कदम नहीं उठाया। न कोई कार्रवाई नहीं की। प्रदेश के मुख्यमंत्री स्वयं अपराधियों को संरक्षण देने में लगे हुए हैं। प्रदेश के सभी बड़े अपराधियों को सपा का संरक्षण प्राप्त है।
प्रदेश में जब भाजपा की सरकार रहीं, कानून-व्यवस्था का मुद्दा तो उस समय भी उठा था?
जब प्रदेश में भाजपा की सरकार रही, अपराध नियंत्रण में था। चाहे कल्याण सिंह जी का कार्यकाल रहा हो या फिर राजनाथ सिंह जी का, अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हुई है। भाजपा के शासनकाल में हर तरह के अपराध का ग्राफ घटा था। मगर जब से प्रदेश में बसपा और फिर सपा का राज आया, जनता का जीना मुश्किल हो गया। महिलाओं के प्रति अपराध बढ़े हैं। डीजीपी हो चाहे सिपाही, सभी को इस बात के मौखिक निर्देश हैं कि अगर अपराधी सपा से जुड़ा है तो उस पर नरमाई करो। ऐसे में कानून-व्यवस्था तो चरमराएगी ही। ल्ल
''27 साल बाद सत्ता में लौटेगी कांग्रेस''
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जनपद से लगातार 9 बार कांग्रेस के विधायक रहे और अब राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी इन दिनों प्रदेश में कांग्रेस की तरफ से आयोजित यात्राओं में खासे व्यस्त हैं। इस चुनावी माहौल में पाञ्चजन्य की उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश इस प्रकार हैं:
चुनाव आते ही इतनी यात्राएं? क्या वजह है?
मैं और लोगों के बारे में तो नहीं बता सकता मगर कांग्रेस का जहां तक प्रश्न है, हम बड़े पैमाने पर जनता तक पहुंच रहे हैं। जहां-जहां भी हमारी पार्टी की यात्रा पहुंच रही है, हमें अपार जनसमर्थन मिल रहा है। जनता सपा, बसपा और भाजपा से पूरी तरह तंग आ चुकी है।
कांग्रेस एक साथ दो यात्राएं क्यों निकाल रही है?
एक यात्रा जो निकल रही है, जिसका नारा है 27 साल यू. पी. बेहाल वह पूरी तरह से प्रदेश के हालात को लेकर है। दूसरी यात्रा जो राहुल जी के नेतृत्व में चल रही है ,वह पूरी तरह किसानों की समस्याओं पर केन्द्रित है। राहुल जी सीधे किसानों की समस्याओं से रू-ब-रू हो रहे हैं।
किस आधार पर लगता है कि प्रदेश में कांग्रेस अच्छा प्रदर्शन करेगी?
अपार जन समर्थन। हर जगह हमें लोगों का भरपूर समर्थन मिल रहा है। सपा, बसपा और भाजपा का खेल खत्म हो चुका है। अब 27 साल बाद कांग्रेस सत्ता में लौटेगी।
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