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गत दिनों उत्तर प्रदेश के हापुड़ में भाऊराव देवरस सेवा न्यास द्वारा 'शिक्षा की चुनौतियां एवं निराकरण' विषय पर एक व्याख्यान कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री डॉ. महेन्द्रनाथ पाण्डेय उपस्थित थे। डॉ. महेन्द्रनाथ पाण्डेय ने कहा कि आज के समय के बच्चों के ऊपर पुस्तकों के दबाव के साथ-साथ अंक लाने का दबाव भी रहता है। जबकि आज प्रथम श्रेणी लाने का कोई मतलब नहीं है। अभिभावकों की भी बच्चों से अपेक्षाएं बढ़ गई हैं। वे चाहते हैं कि जब दूसरे का बच्चा डॉक्टर बन सकता है तो मेरा बच्चा क्यों नहीं? लेकिन उनको चाहिए अपनी इच्छाएं बच्चों पर न थोपें। उन्होंने कहा कि आज बच्चों के अंदर राष्ट्रभावना जगाना जरूरी है, क्योंकि जब तक वे राष्ट्र के लिए नहीं सोचेंगे, तब तक देश का विकास नहीं हो सकता। मुख्य वक्ता के रूप में एनसीईआरटी के पूर्व निदेशक प्रो. जगमोहन सिंह राजपूत ने कहा कि शिक्षा नीति में सुधार वर्तमान समय की आवश्यकता है। आज ऐसी शिक्षा चाहिए जो राष्ट्र को राष्ट्र माने। युवाओं को इस प्रकार से तैयार करना होगा, कि वह अपने लिए नहीं दूसरों के लिए कार्य करें। अध्यक्षता स्थानीय सांसद राजेन्द्र अग्रवाल ने की। भाऊराव देवरस सेवा न्यास के संस्थापक न्यासी ब्रह्मदेव शर्मा, न्यास के अध्यक्ष डॉ. अवधेश सिंह प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। – प्रतिनिधि
भारतीयता का परिचायक संस्कृत अध्ययन
संस्कृत भाषा और भारतीय साहित्य अनादि काल से और अब तक मानवता के संरक्षण की प्रेरणा देती आ रहा है। वेदांे से लेकर आज की रचनाओं में मानवीयता को सवार्ेच्च प्राथमिकता दी गई है। संस्कृत का अध्ययन न केवल भारतीयता का परिचायक है अपितु विश्वबंधुत्व की भावना को संपुष्ट भी करता है। यह विचार कविता के माध्यम से हरियाणा संस्कृत अकादमी के उपाध्यक्ष एवं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. श्रेयांश कुमार द्विवेदी ने वाणी विहार, नई दिल्ली में आयोजित देववाणी परिषद के 41 वे संकल्पना दिवस के अवसर पर व्यक्त किये।
इस अवसर पर संस्कृत पत्रकारिता विषयक परिचर्चा, संस्कृत काव्य गोष्ठी, विद्वानों के उद्बोधन तथा शिशुओं के संस्कृत श्लोकपाठ आदि विभिन्न कार्यक्रम
संपन्न हुए।
इस अवसर पर अनेक गणमान्यजन एवं संस्कृत के विद्धान उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता परिषद के अध्यक्ष आचार्य इच्छाराम द्विवेदी ने की।
– प्रतिनिधि
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