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शैक्षिणिक क्षेत्र में विद्याभारती गुपचुप तरीके से एक क्रान्तिकारी बदलाव ला रही है, जिसका असर अब दिखना शुरू हो चुका है। इन तमाम विषयों पर विद्याभारती के अखिल भारतीय राष्ट्रीय मंत्री श्री शिवकुमार से बात की आर्गेनाइजर के वरिष्ठ संवाददाता प्रमोद कुमार ने। बातचीत के प्रमुख अंश प्रस्तुत हैं:-
विद्याभारती द्वारा संचालित विद्यालयों का परीक्षा परिणाम अच्छा आया है। अधिकतर राज्यों में बच्चों ने सर्वोत्तम स्थान प्राप्त किया है। वे कौन से कारक हैं जिनके कारण इतना बेहतर परिणाम आ रहा है?
हम विद्याभारती में विद्यालयों में कक्षा शिक्षण का जो काम करते हैं, उसका तीन प्रकार का आधार रहता है। एक तो हम सामान्य तौर पर अध्यापकों का प्रशिक्षण कराते हैं, जिसके कारण विषय में विशेषज्ञता मजबूत होती है। आज की आधुनिक तकनीक को साथ लेते हुए, प्रशिक्षण का प्रारूप तैयार करते हैं और उन प्रारूपों के आधार पर हम अध्यापकों को प्रशिक्षण दिलाते हैं। इसके कारण अध्यापक हर विषय के बारे में जागरूक रहते हैं। शिक्षण पद्धति सभी बच्चों के लिए खरी हो। यानी तेज सीखने वाले बच्चों के लिए भी और सामान्य तरह के बच्चों के लिए भी। इससे होता यह है कि जो बच्चे सामान्य बुद्धि के होते हैं वह भी 50 या 60 फीसद तक अंक पाते हैं। तीसरा, हमने बच्चों के छोटे-छोटे से समूह बनाए हैं। जैसे एक कक्षा में 40 बच्चे हैं तो उसमें 7-8 समूह बनाते हैं। इसमें क्रमश: कुछ बच्चे तेज सीखने वाले, फिर मध्यम और फिर उससे सामान्य शामिल रहते हैं। ये 5-6 बच्चे मिलकर शिक्षक द्वारा जो पढ़ाया जाता है, उसके बारे में चर्चा करते हैं। कौन सी बात किस बच्चे को कितनी समझ में आई या कौन सी बात वह स्पष्ट करना चाहता है। तो यहां पर जो तेज बुद्धि का बच्चा है वह सामान्य बच्चे को पढ़ने के बारे में समझाता है, क्योंकि आपस में मित्रता का भाव होता है। इससे दो फायदे होते हैं। पहला, तेज बच्चे को विषय को फिर से पढ़ने का मौका मिल जाता है तो वहीं सामान्य बुुद्धि के बालकों को वह विषय समझने का। यही हमारा सिस्टम है जिसके आधार पर हमारा परिणाम बेहतर होता जा रहा है।
क्या सरकारी और निजी विद्यालयों से विद्याभारती का पाठ्यक्रम थोड़ा भिन्न रहता है?
देखिये, हम अगर राज्य या सीबीएसई के बोर्ड से संबद्ध हैं तो हम उसी बोर्ड के पाठ्यक्रम को चलाते हैं। पर हम पाठ्यक्रम को लेकर जो भारतीय संस्कृति की बात करते हैं, उन संस्कारों, योग आधारित एवं शारीरिक शिक्षा के आधार पर जो एक पूरा व्यक्तित्व निखारने की बात हम करते हैं, उस दृष्टि से हमने पाठ्यक्रम का प्रारूप कुछ अलग बनाया है। तो जो बोर्ड द्वारा तैयार किया गया पाठ्यक्रम है, हम उसमें अपने प्रारूप को मिलाते हुए पाठ्यक्रम बनाते हैं।
क्या दाखिले की कोई अलग पद्धति है?
प्रवेश की अपनी कोई अलग पद्धति नहीं है। हम तो बहुत ही सामान्य बच्चों को लेते हैं। हमारी फीस भी बहुत ही सामान्य होती है। सामान्य बच्चों को कम से कम खर्चे में अच्छी शिक्षा मिले ये विद्याभारती का उद्देश्य रहता है।
विद्याभारती के विद्यालयों में हिन्दू मूल्यों पर ध्यान दिया जाता है। जबकि इन विद्यालयों में भिन्न उपासना पद्धति के बच्चे भी आते हैं, क्या कभी उनके द्वारा आपत्ति जैसी कोई बात सामने आई?
सबसे पहले आप यहां हिन्दू मूल्य न कहकर भारतीय मूल्य कहिए, क्योंकि हिन्दू कहने में कई बार लोगों को यह लगता है कि ये मुस्लिम विरोधी या ईसाई विरोधी हैं। असल में ये भारतीय मूल्य हैं। रही बात मुस्लिम और ईसाई बच्चों की आपत्ति की तो हमारे यहां किसी विशेष पद्धति से पूजा करनी है, मंदिर में जाना है, तो ऐसा नहीं है। हमारे यहां पढ़ने वाले सभी बच्चे, वे चाहे किसी जाति विशेष या मत-पंथ के हों, बड़े ही उत्साह के साथ सभी चीजों का पालन करते हैं।
आपके विद्यालय आतंक प्रभावित एवं अन्य संक्रमित क्षेत्रों में चल रहे हैं। क्या इन क्षेत्रों में विद्याभारती कुछ विशेष नीति के आधार पर कार्य करती है ?
स्वाभाविक रूप से जो क्षेत्र आतंक या क्षेत्रीय समस्या से प्रभावित हैं, इनमें कुछ विशेष प्रकार का मनोवैज्ञानिक कार्यकलाप कराते हैं। हमारे बहुत से विद्यालय नक्सली प्रभावित क्षेत्रों में चलते हैं। हम जब भी इन विद्यालयों में प्रवास पर जाते हैं तो कई बार ऐसे नक्सली मिलते हैं जो हमसे कहते हैं कि आप बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। आप हमारे बच्चों को बहुत अच्छी शिक्षा और संस्कार दे रहे हैं। इसलिए आपसे हमारा कोई विरोध नहीं है। बिना किसी विरोध के उस क्षेत्र में हमारे कार्य की स्वीकार्यता बनी हुई है।
विद्याभारती के कार्यों की पूरे देशभर में क्या स्थिति है?
विद्याभारती के अंतर्गत देशभर में 12,364 विद्यालय हैं। इनमें कक्षा शिशु से लेकर 12वीं तक के विद्यालय हैं। 40 बीएड महाविद्यालय भी हैं। कुछ सेवा क्षेत्रों यानी पिछड़ी बस्तियों में भी हम 12,000 सेवा संस्कार केन्द्र चलाते हैं। इनमें नि:शुल्क शिक्षा दी जाती है। कुल मिलाकर 32 लाख बच्चे और 1,40,000 अध्यापकों की संख्या है। वहीं 3 लाख के लगभग शिक्षाविद् हैं जो प्रबंधन से लेकर शैक्षिक प्रारूप बनाने तक व अन्य बहुत से क्षेत्रों में हमारा सहयोग करते हैं। 25 लाख के लगभग हमारा अभिभावक परिवार है। तो विद्याभारती से कुल मिलाकर के 1 करोड़ का शिक्षा परिवार जुड़ा हुआ है।
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