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इदकिडू: दक्षिणी कन्नड़ जिलान्तर्गत बेंतवाल तहसील में स्थित इदकिडू गांव ग्राम विकास की एक प्रयोगशाला के रूप में उभरा है। सामूहिक प्रयास किस प्रकार फलीभूत होते हैं इसके प्रत्यक्ष दर्शन यहां किये जा सकते हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कुछ समर्पित कार्यकर्ताओं की पहल पर यहां विकास गतिविधियों ने 1989 में गति पकड़ी। प्रत्येक घर में एक गाय, रासायनिक उर्वरकों के बिना खेती, सभी घरों में बायोगैस संयंत्र और सौर ऊर्जा पैनल, घर के आस-पास साग सब्जी और औषधीय वृक्ष उगाना, शहद उत्पादन, शराबबंदी और जल संरक्षण जैसे लक्ष्य यहां सामूहिक प्रयास से हासिल किये गये।
कभी गंभीर जलसंकट का सामना करने वाले इदकिडु में आज जल के दुरुपयोग को रोकने तथा वर्षा जल संरक्षण को लेकर एक संस्कार विकसित किया गया है। गांव के ही एक पशु चिकित्सक ने इस संबंध में एक मॉडल विकसित कर लोगों को जागरूक किया। आज गांव में सभी ग्रामवासी एक ही जलस्रोत से जल ग्रहण करते हैं, जिसके कारण सभी प्रकार का भेदभाव समाप्त कर समरसता का वातावरण बना है। जल संरक्षण का यह प्रयोग सूखे की चपेट में आए देश के सभी इलाकों के लिए प्रेरणा-स्रोत है।
गांव में 1,500 से अधिक सुपारी के पेड़ हैं। इनसे जो आमदनी होती है वह छात्रों की शिक्षा और आर्थिक रूप से कमजोर रोगियों के इलाज पर खर्च होती है। विद्यालय के छात्र अपने गांव ही नहीं बल्कि आसपास के गांवों में जाकर भी प्लास्टिक के प्रयोग से बचने की सलाह देते हैं। वे समाज को प्लास्टिक के खतरे के प्रति जागरूक करते हैं। जो छात्र गांव में दस किलो से अधिक प्लास्टिक का कचरा इकट्ठा करता है, उसे आवश्यक स्टेशनरी देकर प्रोत्साहित किया जाता है।
इदकिडू सीए बैंक की गांव में चार शाखाएं हैं और सभी परिवारों का बैंक में कम से कम एक खाता अवश्य है। बैंक में गांव के दो हजार से अधिक खाते हैं। 200 से अधिक नवोदय समूह एवं 250 महिला स्वयं सहायता समूह हैं जो बैंक से जुड़े हुए हैं। बैंक का अध्यक्ष सर्वसम्मति से चुना जाता है। राज्य सरकार ने बैंक को सम्मानित किया है। गांव में तीन सरकारी दुग्ध योजनाएं हैं, जिनके कारण इदकिडु पूरे जिले में सबसे अधिक दुग्ध उत्पादन करने वाला गांव बना है। 300 से अधिक परिवार यहां खेती के साथ-साथ दूध के कारोबार में लगे हैं। 150 से अधिक परिवारों के पास बायो गैस संयंत्र हैं। इससे एलपीजी गैस और लकड़ी की खपत में कमी आई है।
कुछ दशक पहले सामूहिक प्रयास से 50,000 रुपए खर्च करके एक पुल बनाया गया था। इस पुल के बनने के बाद गांव से निकटतम शहर विट्ठल की दूरी 5 किमी कम हो गई। एक डेढ़ किलोमीटर की सड़क भी ग्रामीणों ने श्रमदान करके बनायी है।
गांव में पिछले 21 वर्ष से रेबीज के टीकाकरण के लिए खास अभियान चलाया जाता है। गांव में खासतौर पर एक परिसर तैयार किया गया है, जहां दैनिक जीवन के लिए आवश्यक सभी चीजें यानी किरयाने की दुकानें, खाद, बीज, बैंक, कृषि उत्पाद आदि एक ही स्थान पर सभी के लिए उपलब्ध है।
दकिडू, दक्षिणी कन्नड़ जिला, कर्नाटक
स्थान : मंगलौर से 38 किलोमीटर
जनसंख्या: 4125
प्रयास : 300 परिवार दुग्ध व्यवसाय में हैं। 150 से अधिक परिवारों के पास बायो गैस संयंत्र
250 स्वयं सहायता समूह,
वृक्षारोपण से हुई
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