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स्वच्छ भारत अभियान-स्वच्छता की कठिन डगर हुई सीधी

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May 2, 2016, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 02 May 2016 14:08:21

 

 

 

 

 

 

 

 

 

अरुण कुमार सिंह/ उदय कमल मिश्र  

भारत सरकार के 'स्वच्छ भारत अभियान' का असर अब दिखने लगा है। देश के कई जिले इस अभियान के जरिए निर्मल जिला बनने की ओर बढ़ रहे हैं। इसका ताजा उदाहरण है मध्य प्रदेश का सीधी जिला। यदि सब कुछ योजना के अनुसार ही होता रहा तो 30 जून, 2016 के बाद सीधी देश का पहला ऐसा जिला हो सकता है, जहां का हर घर शौचालय से युक्त हो जाएगा। 2011 की जनगणना के अनुसार इस जिले की कुल आबादी 11.27 लाख है। इसमें सबसे अधिक वनवासी हैं। वनवासी समाज में अभी भी खुले में शौच करने की सोच है। वनवासी यह बात सरलता से सोच ही नहीं सकते कि किसी कोठरी जैसी जगह में भी शौच किया जा सकता है। इस सोच से घिरा रहा सीधी जिला अब निर्मल जिला बनने की ओर बढ़ रहा है, यह कोई साधारण बात नहीं है।

बता दें कि इन दिनों सीधी जिले के हर घर को शौचालय-युक्त करने के लिए एक विशेष अभियान चल रहा है। एक अप्रैल से 30 जून, 2016 तक चलने वाले इस अभियान के तहत लोगों को शौचालय बनवाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है और इसका नतीजा देखने को मिल रहा है। जो लोग शौचालय बनवाने में सक्षम हैं, वे खुद शौचालय बनवा रहे हैं और जो लोग नहीं बनवा सकते, उन्हें सरकार की ओर से 12,000 रु. का अनुदान दिया जा रहा है। इस अभियान के जनक हैं सीधी के युवा जिलाधिकारी विशेष गढ़पाले। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किए गए स्वच्छ भारत अभियान से प्रभावित होकर गढ़पाले ने जिले के हर घर को शौचालय से युक्त करने का संकल्प लिया है।

इस अभियान के तहत गांव-गांव में स्वच्छता की अलख जगाकर हर घर में शौचालय का निर्माण करवाया जा रहा है। लक्ष्य है कि 30 जून तक पूरे जिले के हर घर में शौचालय बन जाए। जिलाधिकारी विशेष गढ़पाले कहते हैं, ''स्वच्छता मानवीय विकास की पहली शर्त है। मानव इतिहास में पहली बार सीधी जिले ने खुले में शौच न करने का संकल्प लिया है। शौचालय निर्माण एक भौतिक घटना है, जबकि खुले में शौच न करना एक युगान्तकारी अनुभूति है, जो सीधे रूप से नारी मर्यादा और स्वस्थ समाज से संबंद्ध है।''

उल्लेखनीय है कि अभी सीधी जिले के 2,15,026 मकानों में शौचालय नहीं हैं। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए जिले के प्राय: सभी विभागों को लगाया गया है, साथ ही आम लोगों की भी मदद ली जा रही है।

लोगों को प्रेरित करने के लिए जिलाधिकारी और जिले के अन्य पदाधिकारी सुबह चार बजे ही किसी गांव में जाते हैं और लोगों को शौचालय का महत्व समझाते हैं और इसके नहीं होने से होने वाली बीमारियों के बारे में भी बताते हैं। जिले में स्वच्छता के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए स्वच्छता शिविर एवं स्वच्छता रैलियां भी आयोजित हो रही हैं। इसमें वे 80 प्रेरक भी अपनी भूमिका निभा रहे हैं, जिनका चयन प्रेरक के पद पर नवम्बर, 2015 में किया गया था। ये प्रेरक बिना किसी मानदेय के स्वच्छता अभियान को जन-जन तक पहुंचाने में लगे हैं।

इस अभियान को चलाने में शिक्षा विभाग एवं महिला बाल विकास विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका है। शिक्षा विभाग के शिक्षक अपने घरों में शौचालय बनवाने के साथ ही, विद्यालय में छात्रों को उनके घरों में शौचालय का निर्माण करने के लिए पे्ररित कर रहे हैं। जिले के सभी सरकारी कर्मचारियों को भी कहा गया है कि वे अपने-अपने घरों में शौचालय बनवाएं, नहीं तो वार्षिक गोपनीय रपट में प्रतिकूल टिप्पणी करके उनका वेतन रोका जा सकता है। वहीं आम लोगों से कहा गया है कि जो लोग अपने घरों में शौचालय नहीं बनाएंगे, उन्हें सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत मिलने वाला सस्ती दर का खाद्यान्न, पेंशन और अन्य योजनाओं का लाभ नहीं दिया जाएगा। इसका असर दिखने लगा है। लोग शौचालय बनवाने को प्राथमिकता दे रहे हैं। इससे पहले सीधी जिले में वर्ष 15-16 के शिक्षा सत्र के प्रारम्भ होने से पहले सभी विद्यालयों में बालक-बालिकाओं के लिए अलग-अलग शौचालय निर्माण करने का विशेष अभियान चलाया गया था। इसके तहत 2,348 विद्यालयों में शौचालय बनाए गए। इस कारण सीधी देश के उन 18 जिलों में शामिल हो गया है, जिन्हें स्वच्छ भारत के क्षेत्र में अच्छा कार्य करने के लिए चिन्हित किया गया है।

सीधी की सांसद रीती पाठक, विधायक कुंवर सिंह टेकाम, जिला पंचायत अध्यक्ष कुंवर अभ्युदय सिंह, अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी डॉ. एम.पी. पटेल, अधीनस्थ अधिकारियों, कर्मचारियों, अन्य जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणजनों की सहायता से ग्राम पंचायत के प्रतिनिधियों को उपयुक्त संसाधन उपलब्ध कराया जाता है। तेजी से शौचालयों के निर्माण से जिले की अनेक पंचायतें, जैसे- चूल्ही, घुरघुटी, थाड़ीपाथर, धूपगढ़, मझिगवां, कडि़यार, बमुरी, कपुरी बदौलियान, गुजड़ेर आदि निर्मल ग्राम पंचायत की श्रेणी में खड़ी हो गई हैं। इन पंचायतों की ग्राम सभाएं उन लोगों को दंडित भी करती हैं, जो खुले में शौच करते हैं।

जिले में शासन से प्राप्त अनुदानों के माध्यम से 1 अपै्रल, 2015 से 31 मार्च, 2016 तक 28,353 शौचालयों का निर्माण कराया गया है। लेकिन कुछ ग्रामीण शौचालयों में शौच नहीं कर रहे थे। यह जानकारी जब जिला प्रशासन को हुई तो लोगों को जागरूक करने के लिए पिछले दिनों कठौतहा में एक शिविर आयोजित किया गया और लोगों को शौचालय के लाभ और हानि से परिचित कराया गया। इसके बावजूद जो लोग शौचालय का इस्तेमाल नहीं करते थे, उन्हें रोकने के लिए प्रत्येक पंचायत में 1 नोडल अधिकारी और 3 पंचायतों में संकुल अधिकारी की नियुक्ति की गई। नोडल अधिकारी ग्राम पंचायत में बच्चों की वानर सेना तैयार कर सुबह 4 बजे ग्रामीण जनों की सहायता से खुले में शौच करने वाले ग्रामीणों को शौचालयों में शौच करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं और जिनके पास शौचालय नहीं है, उन्हें इस बात के लिए तैयार किया जा रहा है कि वे शौच के बाद मल पर मिट्टी या राख डालें।

वच्छता मानवीय विकास की पहली शर्त है। मानव इतिहास में पहली बार सीधी जिले ने खुले में शौच न करने का संकल्प लिया है।

– विशेष गढ़पाले, जिलाधिकारी, सीधी

शौचालयों के निर्माण से स्वास्थ्य और स्वच्छता के अतिरिक्त अपराधों में भी काफी कमी आएगी। उम्मीद है कि 30 जून तक पूरे जिले का हर घर शौचालय-युक्त हो जाएगा।

-रीती पाठक, सांसद, सीधी

जिले को खुले में शौच से मुक्त करने में जनता-जनार्दन द्वारा जो सहयोग मिल रहा है, खासकर वनवासी क्षेत्रोंं में, वह प्रशंसनीय है।

-कुंवर अभ्युदय सिंह

अध्यक्ष, जिला पंचायत सीधी

यह कल्पना कभी नहीं की थी कि यहां का कोई गांव निर्मल ग्राम बन जाएगा, लेकिन जिला पंचायत एवं केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं से ऐसा संभव हुआ।

-कुंवर सिंह टेकाम, विधायक, धौंहनी

जिले के वनवासी क्षेत्रों में शौचालयों के निर्माण में अपार उत्साह है। इन्हीं कारणों से हम 30 जून तक सीधी जिले को पूर्णरूप से खुले में शौचमुक्त जिला घोषित करने में सफलता प्राप्त कर सकेंगे।

– डॉ़ एम़ पी़ पटेल

अतिरिक्त जिला दण्डाधिकारी, सीधी

गांव-गांव में शौचालय निर्माण की पहल की तारीफ करनी चाहिए। स्वच्छता के प्रति लोगों में जगरूकता आई है।

-मीना गुप्ता, संस्थापक सदस्य, रोली मेमोरियल चैरिटेबल ट्रस्ट, सीधी

इन्हें मिल रहा है अनुदान

अनुसूचित जाति एवं जनजाति के बी.पी.एल., ए.पी.एल., सामान्य, पिछड़ा वर्ग के बी.पी.एल., लघु एवं सीमान्त कृषक, ग्राम पंचायत के भूमिहीन परिवार, शारीरिक रूप से निशक्त, परिवार की मुखिया यदि महिला हो तो सरकार की ओर से शौचालय बनवाने के लिए 12000 रु. का अनुदान दिया जाता है।  

 

 

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