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अपने आंसुओं को रोकते हुए सुजित की मां सुलोचना कहती हैं, ''उन्होंने मेरे बेटे को मेरे सामने फांसी पर लटका दिया। उसे केवल इसलिए मारा गया क्योंकि वह भाजपा का कार्यकर्ता था।'' हमलावरों का झुंड उनके घर में घुस आया था। सुलोचना ने अपना हाथ उठाना चाहा, लेकिन वह उसे नहीं हिला सकीं। कुछ ही दिन पहले उनके हाथ का प्लास्टर उतरा था। सुजित के भाई जयेश का अभी भी इलाज चल रहा है और उसके हाथ पर अभी तक प्लास्टर चढ़ा था। तीनों को गंभीर चोटें आई थीं। सुजित की मृत्यु घटनास्थल पर ही हो गई थी।
इसी वर्ष 16 फरवरी का दिन था जब उनके परिवार पर माकपाई गुंडों ने हमला बोला था। उस हमले में सुजित के पिता को भी बेरहमी से पीटा गया और उन्हें हमलावरों ने एक ओर फेंक दिया। उनमें मुकाबला करने की हिम्मत नहीं बची थी। वह बताते हैं, ''मैंने तुरंत पुलिस को बुलाया। लेकिन उसी दौरान एक गंुडे ने मुझ पर हमला कर दिया। उसके बाद मुझे याद नहीं कि क्या हुआ। मैं होश खो बैठा था।''
सुजित की मां बताती हैं, ''मैंने और मेरे बड़े बेटे ने उन्हें रोकने की बेहद कोशिश की। उन्होंने जयेश को बुरी तरह पीटा और जब मैं अपने बेटे को बचाने को आगे आई तो मुझे भी मारा गया और मेरा हाथ टूट गया।''
उस रात की घटना के बारे में जयेश बताते हैं, ''उस समय रात के करीब 11 बजे थे। हम टीवी देखने के बाद सोने जा रहे थे। अचानक मुझे बाहर कुछ आवाजें सुनाई दीं। मैं बाहर गया। अंधेरे में किसी ने मेरे कंधे पर हाथ रखा और कान में फुसफुसाया, 'धीरे से चुपचाप चलो', उसने सोचा कि मैं भी उसके गुट का ही हूं। मैं सकते में था। तब तक वह हमारे घर पर हमला कर चुके थे और दहशत का माहौल बन गया था। उन्होंने मेरे भाई को बुरी तरह से मारा। उसे बेरहमी से फांसी पर लटका दिया गया।''
उनकी मां बताती हैं कि स्कूल के बाद सुजित स्प्रे पेंटर के तौर पर काम कर रहा था। सुजित की आयु केवल 26 वर्ष की थी। उनके एक पड़ोसी के अनुसार, ''सुजित को कई वर्ष पहले माकपा के स्थानीय नेताओं ने धमकाया था। चार वषार्ें के दौरान उस पर कई जानलेवा हमले भी हुए थे।'' हमले से एक दिन पहले माकपाई गुंडे उस इलाके में कम से कम चार चक्कर लगाकर गए थे। सुजित के पड़ोसी के अनुसार यह हत्या योजनापूर्ण तरीके से की गई थी।
सुजित की मां बताती हैं, ''हम उस गुट के सभी सदस्यों को जानते हैं। मुझे अच्छी तरह याद है कि लिजेश ने मेरा हाथ तोड़ा था।'' एक वरिष्ठ स्वयंसेवक के अनुसार, ''सुजित संघ के मंडल कार्यवाह थे। लेकिन बाद में उन्हें इस जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया गया था क्योंकि कार्यकर्ता उनकी सुरक्षा को लेकर चिंतित थे।'' सुजित का परिवार पप्पिनिस्सेरी के अरोली में रहता है, जो वामपंथियों का गढ़ है। अभी जयेश या उसके पिता काम पर जाने के लिए पूरी तरह से ठीक नहीं हैं। इसलिए फिलहाल उनके परिवार को संघ के स्वयंसेवक मिलकर सहयोग कर रहे हैं। भावुक सुलोचना कहती हैं,''सभी अपराधियों को फांसी होनी चाहिए। यह उनके लिए न्यूनतम सजा होगी जिन्होंने मेरे निदार्ेष बेटे को मारा।''
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